ज्वालामुखी मंदिर में अब श्रद्धालुओं को परोसी जाएगी कांगड़ी धाम
शक्तिपीठ ज्वालामुखी मंदिर के लंगर में अब श्रद्धालुओं को कांगड़ी धाम परोसी जाएगी।
By Munish DixitEdited By: Updated: Fri, 31 Aug 2018 11:19 AM (IST)
जेएनएन, ज्वालामुखी: शक्तिपीठ ज्वालामुखी मंदिर के लंगर में अब श्रद्धालुओं को कांगड़ी धाम परोसी जाएगी। मंदिर न्यास के सदस्यों ने इस संबंध में प्रस्ताव पारित कर उपायुक्त कांगड़ा संदीप कुमार को भेज दिया है। शक्तिपीठ ज्वालामुखी, चिंतपूर्णी मंदिर, नंदीकेश्वर धाम चामुंडा देवी, बज्रेश्वरी देवी कांगड़ा समेत कुछ अन्य मंदिरों में लंगर लगाया जाता है। इसकी व्यवस्था मंदिर न्यास की ओर से की जाती है। मां के दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालु लंगर जरूर ग्रहण करते हैं। मंदिरों में दोपहर व शाम को लंगर बरताया जाता है और इसमें चावल, दाल व कढ़ी परोसी जाती है।
अब मंदिर न्यास ज्वालामुखी के सदस्यों ने लंगर में कांगड़ी धाम परोसने का निर्णय लिया है। बैठक में प्रस्ताव पारित कर एसडीएम के माध्यम से उपायुक्त कांगड़ा को प्रेषित कर दिया है। मंजूरी मिलते ही ज्वालामुखी मंदिर के लंगर में श्रद्धालुओं को कागड़ी धाम खाने का अवसर प्राप्त होगा। यह पहली बार होगा कि न्यास सदस्यों ने इस तरह की पहल की है। इस बार चुने हुए न्यास सदस्यों ने लंगर व्यवस्था में सुधार और खाने में कागड़ी धाम के जायके को जोड़ने का प्रस्ताव रखा है।
इन्होंने रखा कांगड़ी धाम का प्रस्ताव
मंदिर न्यास सदस्य मधुसूदन शर्मा, प्रशात शर्मा, सौरभ, शैलेश, कृष्ण स्वरूप, जेपी दत्ता, शशि चौधरी, प्रताप चौधरी, देशराज भारती ने लंगर में कागड़ी धाम शुरू करने का प्रस्ताव रखा। उनका मानना है कि इससे श्रद्धालुओं को स्वादिष्ट भोजन मिलेगा। मंदिर में देश व विदेश से श्रद्धालु माता के दर्शन के लिए आते हैं और माता के प्रसाद के रूप में लंगर भी ग्रहण करते हैं। लंगर में कांगड़ी धाम परोसे जाने से जिला का जायका देश-विदेश तक पहुंचेगा।
क्या है कागड़ी धाम
हिमाचल में जलवायु और स्थान के अनुसार भोजन पकाया जाता है। त्योहार में विशेष व्यंजन पकाने की परंपरा है। कागड़ी धाम का अपना अलग जायका है और इसे चरोटी यानी पीतल के बडे़ वर्तन में रसोइयों द्वारा पकाया जाता है। धाम में चावल, चने की दाल, आलू-सफेद चने (मधरा), राजमाह, कढ़ी, माह की दाल, काले चने का खट्टा व मीठे चावल पकाए जाते हैं।
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