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कारगिल हीरो ब्रिगेडियर खुशाल बोले, 1999 में हुआ धोखा पर अब हम पहले से बहुत मजबूत, चीन पर कही यह बात

Kargil Hero Brigadier Khushal वर्ष 1999 में कारगिल युद्ध पाकिस्तानी सेना के धोखे के कारण हुआ। आतंकवादियों के वेश में पाकिस्तानी आर्मी थी। उस समय आधुनिक तकनीक कम थी। लेकिन वर्तमान में हम काफी मजबूत हैं। वहीं अगर तालिबान अफगानिस्तान पर कब्जा करता है

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Updated: Mon, 26 Jul 2021 07:28 AM (IST)
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युवा सेवा मेडल से सम्मानित सेवानिवृत्‍त ब्रिगेडियर खुशाल सिंह ठाकुर
मंडी, मुकेश मेहरा। Kargil Hero Brigadier Khushal, वर्ष 1999 में कारगिल युद्ध पाकिस्तानी सेना के धोखे के कारण हुआ। आतंकवादियों के वेश में पाकिस्तानी आर्मी थी। उस समय आधुनिक तकनीक कम थी। लेकिन वर्तमान में हम काफी मजबूत हैं। वहीं अगर तालिबान अफगानिस्तान पर कब्जा करता है तो कश्मीर पर इसका अधिक असर नहीं होगा। यह कहना है कि कारगिल युद्ध में 18 ग्रेनेडियर का नेतृत्व करने वाले और युवा सेवा मेडल से सम्मानित सेवानिवृत्‍त ब्रिगेडियर खुशाल सिंह ठाकुर का।

ठाकुर कहते हैं कि पिछले 22 सालों मेें सेना ने काफी मजबूती हासिल की है। सैनिक आधुनिक हथियारों से लैस हैं। गश्त का तरीका बदला है। ड्रोन, सैटेलाइट की मदद से बॉर्डर पर नजर रखी जा रही है। सड़कें बॉर्डर तक बनने से रसद सहित विपरीत परिस्थितियों में सामान व सेना को पहुंचने में आसानी हो रही है। भारतीय सेना के बढ़ते शक्ति बल का ही नतीजा है कि आज चीन भी वार करने से पहले सौ बार सोचता है। गलवान में जो जवाब भारतीय सेना ने उनको दिया है, उसके बाद उनके कदम भी पीछे हटे हैं, हालांकि बीच-बीच में कोशिश करता है लेकिन भारतीय सेना के आगे टिक नहीं पाता। वहीं कश्मीर में धारा-370 के हटने से सेना की गतिविधियां अधिक हुई हैं और इससे पाकिस्तान भी डरा हुआ है।

चीन पर ब्रिगेडियर कहते हैं कि चीन बार्डर पर गश्त के कुछ नियम पहले बनाए गए थे, लेकिन चीन ने इन नियमों का उल्लंघन किया। जिसका जवाब उसे भारतीय सेना ने दिया है। चीन की आदत है कि वह आर्थिक व सैन्य रूप से मजबूत देशों के साथ युद्ध जैसे हालात बनाने का प्रयास करता है। वह पाकिस्तान की मदद करता है और भारत को काउंटर करने के लिए बेस बनाना चाहता है, लेकिन भारतीय सेना के दम के आगे उसकी कोशिश नाकाम रहती है।

हिमालय रेजीमेंट बनी तो हिमाचल को होगा सीधा लाभ

ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर कहते हैं कि परमवीर चक्र से लेकर वीरता पुरस्कार पाने वालों में हिमाचल के जवान सबसे अधिक हैं। ऐसे में अगर हिमालयन रेजीमेंट बनती है तो इसका सीधा लाभ हिमाचल के युवाओं को मिलेगा। इसके लिए एक निर्धारित भर्ती के नियम होते हैं, जिनको पूरा करना आवश्यक है। प्रदेश सरकार इस मामले को कई बार उठा चुकी है और उम्मीद है कि जल्द यह मांग पूरी होगी और हिमालय रेजीमेंट अलग होने से भर्ती में हिमाचल का कोटा भी बढ़ेगा।

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