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ऐसा अस्पताल जहां नहीं गूंजती किलकारियां

कांगड़ा स‍िव‍िल अस्‍पताल में गायनी रोग व‍िशेषज्ञ न होने से यहां वर्षो से बच्चों की किलकारियां नहीं गूंजी हैं।

By Edited By: Updated: Thu, 25 Oct 2018 03:01 AM (IST)
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ऐसा अस्पताल जहां नहीं गूंजती किलकारियां
नि:शुल्क प्रसव सुविधा मुहैया करवाने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने कई योजनाएं शुरू की हैं लेकिन सिविल अस्पताल कांगड़ा में इनके कोई मायने नहीं हैं। अस्पताल में गायनी रोग विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं हैं और वर्षो से यहां बच्चों की किलकारियां नहीं गूंजी हैं। मजबूरी में कांगड़ा हलके व आसपास क्षेत्रों की महिलाओं को प्रसव के लिए डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल टांडा का रुख करने के लिए मजबूर होना पड़ता है। पेश है सिविल अस्पताल कांगड़ा के सूरत-ए-हाल को दर्शाती यह रिपोर्ट।

वार्ड में पसरा रहता है सन्नाटा
50 बिस्तरों वाले इस अस्पताल के महिला वार्ड में अक्सर बिस्तर खाली रहते हैं। पहले इस अस्पताल में रोजाना एक बच्चे का जन्म होता था। अब महिलाओं को टांडा अस्पताल या निजी चिकित्सालयों में जाने के लिए मजबूर होना पड़ता है। वर्ष 2018 के 10 माह में  बमुश्किल 10 बच्चों का जन्म हुआ है। वर्तमान में रोजाना दो हजार से अधिक लोग यहां स्वास्थ्य जांच के लिए आते हैं। हालांकि अस्पताल के लिए स्वीकृत डॉक्टरों के आठ पदों पर चार महिला व दो पुरुष तैनात हैं। इसके अलावा दो पुरुष डॉक्टरों को प्रतिनियुक्ति पर भेजा गया है। अस्पताल के अंदर होने वाले टेस्ट निजी लैब के सहारे हैं और इस कारण यहां मरीजों की संख्या में दिन-ब-दिन कमी आई है।

'मामला ध्यान में है। मैं जल्द सरकार एवं स्वास्थ्य मंत्री से मिलकर विचार विमर्श करूंगा। रिक्त पद भरने का प्रयास किया जाएगा।' -पवन काजल, विधायक कांगड़ा 

'एसएमओ को निर्देश दिए हैं कि उनके पास प्रशिक्षित चिकित्सकों की टीम है। प्रसव की सुविधा जनता को उपलब्ध करवाएं। अगर कोई चिकित्सक प्रसव मामले में आनाकानी करेगा तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।' -डॉ. आरएस राणा, मुख्य चिकित्सा अधिकारी

क्या कहते हैं लोग अस्पताल में प्रसव की सुविधा न होना चिंता का विषय है। अस्पताल के प्रति लोगों के घटते विश्वास पर विभाग को शीघ्र ध्यान देना होगा। -संदीप कुमार 

कांगड़ा अस्पताल में महिलाओं को स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया करवाने के दावे खोखले साबित हो रहे हैं। डॉक्टरों की पूरी टीम होने के बावजूद मरीजों की संख्या में कमी आना चिंता का विषय है। सरकार इस ओर ध्यान दे। -सन्नी चौधरी

अस्पताल में टेस्ट करवाने के लिए निजी लैब का सहयोग लिया जा रहा है। रिपोर्ट मिलने में काफी समय व्यर्थ हो जाता है। स्वास्थ्य विभाग को कोई कदम उठाना चाहिए। -रजत चौधरी

अस्पताल में बच्चों से संबंधित रोगों के निदान के लिए तकनीकी उपचार की सुविधा न होने से लोगों को टांडा अस्पताल जाना पड़ता है। स्वास्थ्य विभाग को सभी सुविधाओं का ख्याल रखना होगा। -अनूप कुमार

-प्रस्तुति : विमल बस्सी, कांगड़ा

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