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Modi Chamba Visit: प्रधानमंत्री को भेंट किया जाएगा श्रीकृष्ण की आकृति वाला चंबा रूमाल, आप भी जान लीजिए खासियत

Narendra Modi Himachal Visit रावी व साल नदियों के बीच बसे राजाओं के शहर चंबा आ रहे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पद्मश्री ललिता वकील के हाथों बना पारंपरिक चंबा रूमाल भेंट किया जाएगा। रूमाल एक-दो दिन में तैयार हो जाएगा।

By Jagran NewsEdited By: Rajesh Kumar SharmaUpdated: Tue, 11 Oct 2022 12:17 PM (IST)
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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पद्मश्री ललिता वकील के हाथों बना पारंपरिक चंबा रूमाल भेंट किया जाएगा।
चंबा, मान सिंह वर्मा। Narendra Modi Himachal Visit, रावी व साल नदियों के बीच बसे राजाओं के शहर चंबा आ रहे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पद्मश्री ललिता वकील के हाथों बना पारंपरिक चंबा रूमाल भेंट किया जाएगा। रूमाल एक-दो दिन में तैयार हो जाएगा। काष्ठ कला में लकड़ी की नक्काशीयुक्त फ्रेम में रूमाल को फिट किया जाएगा। रूमाल में भगवान श्रीकृष्ण की आकृति उकेरी जा रही है। यह सुझाव मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने दिया था। रूमाल को 13 अक्टूबर को चंबा चौगान के ही मंच पर प्रधानमंत्री को भेंट किया जाएगा

अद्भुत कला का नमूना है चंबा रूमाल

अद्भुत व अनूठी हस्तशिल्प कला के लिए विश्वभर में विख्यात चंबा रूमाल को नीडल पेंटिंग के नाम से भी जाना जाता है। सफेद रेशम व सूती कपड़े पर धागों से बुना ऐसा ताना-बाना है जो दोनों ओर से एक जैसा दिखता है। इस कला को दो रूखा टांका नाम भी दिया गया है। 17 शताब्दी में चंबा रूमाल को उपहार स्वरूप बेटियों को शादियों में दिया जाता था। ब्रिटिश अधिकारियों व पड़ोसी रियासतों के राजाओं को भी चंबा रूमाल उपहार स्वरूप भेंट किया जाता था। जर्मनी व इंग्लैंड के संग्रहालयों में भी चंबा रूमाल मौजूद है। रूमाल पर श्रीकृष्ण की रासलीला के पौराणिक विषयों और रामायण के विषयों के अलावा विवाह के दृश्यों, खेल शिकार, गीता गोविंदा, राधा-कृष्ण, शिव-पार्वती के चित्रों को भी उकेरा जाता है।

चंबा रूमाल का यह है इतिहास

इतिहास बताता है कि चंबा रूमाल का प्रारंभिक रूप 16वीं शताब्दी में गुरु नानक देव जी की बहन बेबे नानकी द्वारा बनाया गया था, जो अब होशियारपुर के गुरुद्वारा में संरक्षित है। विक्टोरिया अल्बर्ट संग्रहालय लंदन में एक रूमाल है जो 1883 में राजा गोपाल सिंह द्वारा अंग्रेजों को उपहार में दिया गया था। इसमें महाभारत के कुरुक्षेत्र युद्ध का एक दृश्य है। 1748 शताब्दी में चंबा के राजा उम्मेद सिंह ने चंबा रूमाल की कला को संरक्षण व प्रोत्साहन दिया। 17वीं शताब्दी में राजा पृथ्वी सिंह ने चंबा रूमाल पर दो रुखा टांका कला शुरू की।। रूमाल को बनाने में दो सप्ताह से छह माह का समय भी लग जाता है। मौजूदा समय में 2000 रुपये से लेकर 50,000 रुपये तक तक चंबा रूमाल की कीमत है।

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