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Himachal News: महिला को थमा दी किसी दूसरे मरीज की रिपोर्ट, 5 दिन तक खानी पड़ गई डायबिटीज की दवा

हिमाचल प्रदेश (Himachal News) के कांगड़ा जिले के पालमपुर सिविल अस्पताल के क्रश्ना टेस्टिंग लैब में बड़ी लापरवाही का मामला सामने आया है। यहां एक महिला को दूसरे डायबिटीज मरीज की रिपोर्ट थमा दी गई। जिसके बाद महिला को मजबूरन 5 दिन तक डायबिटीज की दवा खानी पड़ गई। पीड़ित महिला ने शिकायत करते हुए लैब के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।

By dinesh katoch Edited By: Jagran News NetworkUpdated: Sun, 21 Jul 2024 02:41 PM (IST)
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कांगड़ा जिले के पालमपुर में स्थित सिविल अस्पताल (जागरण फाइल फोटो)

संवाद सहयोगी, पालमपुर। कांगड़ा जिले के पालमपुर में स्थित सिविल अस्पताल की क्रश्ना टेस्टिंग लैब मरीजों के लिए जी का जंजाल बन गई है। गलत जांच के कारण मरीजों का विश्वास खोने के साथ ही अब तीन दिनों से जांच रिपोर्ट नहीं दी जा रही है। इसके कारण तीन दिनों से जांच रिपोर्ट को चिकित्सक के समक्ष प्रस्तुत करने में मरीज विफल हो रहे हैं, वहीं लोगों को उपचार नहीं मिल पा रहा है।

लैब से अन्य व्यक्ति की जांच रिपोर्ट थमाने के कारण एक महिला को बिना वजह पांच दिनों तक मधुमेह की दबाई खाने को मजबूर होना पड़ा है। पाहड़ा बोधल की महिला सुमना देवी उपचार के लिए सिविल अस्पताल आई व चिकित्सक ने कुछ जांच रिपोर्ट अस्पताल लैब से लाने को कहा। उन्होंने सरकार की ओर से अधिकृत क्रश्ना लैब में 16 जुलाई को सैंपल दिए।

इसकी रिपोर्ट मिलने पर महिला ने चिकित्सक को दिखाया। चिकित्सक ने महिला का शुगर लेवल अधिक होने पर एक सप्ताह की दवाई दी। लेकिन पांच दिन तक दवाई खाने के बाद महिला की तबियत बिगड़ी और चिकित्सक को दिखाया। आनन फानन में लैब से मिली अन्य व्यक्ति की रिपोर्ट को चिकित्सक भी नहीं पढ़ पाया।

मरीज को थमा दिया किसी और का रिपोर्ट

लेकिन जब महिला दोबारा चिकित्सक के समक्ष उपचार लेने पहुंची तो चिकित्सक ने पाया कि उक्त जांच रिपोर्ट 62 वर्षीय मरीज सुभाष चंद की है, जिनका शुगर लेबल 300 से अधिक बढ़ा था। इसके बाद पीड़ित महिला क्रश्ना लैब गई और शिकायत की। लैब के कंप्यूटर में बैठी नर्स ने आनन-फानन में पुरानी रिपोर्ट कचरा डिब्बा में डाली और महिला की असली रिपोर्ट उन्हें सौंप दी। इसमें महिला का शुगर स्तर सामान्य था। उन्होंने अस्पताल प्रशासन सहित सरकार से इसपर कार्रवाई की मांग की है।

उधर, अस्पताल के मरीजों ने इस लैब पर सवाल उठाते हुए अस्पताल प्रशासन को भी आड़े हाथों लिया। वहीं, एक जैसे टेस्ट के लिए अस्पताल लैब और निःशुल्क सुविधा वाली अधिकृत लैब में अलग-अलग रक्त नमूने देने पर आपत्ति जताई है। चंद मिनटों के अंतराल में दो बार खून निकालने की जगह एक ही जगह से सैंपल लेने का प्रविधान करने का अनुरोध किया है।

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