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नेहरू जयंती पर विशेष : नेहरू के कथन 'आज भी यहां डायर जिंदा है' से बदला था सोलन ब्रुअरी का नाम

Jwahar Lal Nehru Jayanti देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू चायल में किसी सांस्कृतिक कार्यक्रम में भाग लेने जा रहे थे तो उनकी नजर जलियांवाला बाग नरसंहार करने वाले डायर के नाम पर पड़ी जिसे देखकर वह रुके और सचिव को कहा आज भी यहां डायर जिंदा है।

By Virender KumarEdited By: Updated: Sun, 14 Nov 2021 09:14 AM (IST)
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हिमाचल के सोलन में स्थित मोहन मीकिन ब्रु्रअरी। जागरण
सोलन, मनमोहन वशिष्ठ।

Jwahar Lal Nehru Jayanti, देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू चायल में किसी सांस्कृतिक कार्यक्रम में भाग लेने जा रहे थे तो उनकी नजर जलियांवाला बाग नरसंहार करने वाले डायर के नाम पर पड़ी, जिसे देखकर वह रुके और अपने सचिव को कहा कि 'आज भी यहां डायर जिंदा है।' उनके इस रिमार्क (टिप्पणी) के बाद उस बोर्ड पर लगा डायर का नाम हटा दिया था।

यह वाकया देश की सबसे पुरानी सोलन ब्रुअरी का है। अक्टूबर, 1960 में चायल में किसी कार्यक्रम में शिरकत करने जाते समय जब पंडित नेहरू का काफिला सोलन ब्रुअरी से गुजर रहा था तो उन्होंने डायर मिकिन ब्रुअरी का बोर्ड देखा था। प्रधानमंत्री के इस रिमार्क के बाद कंपनी प्रबंधन ने 1966-67 में डायर मिकिन ब्रुअरी से मोहन मीकिन ब्रु्रअरी नाम कर दिया। अब इसे मोहन मीकिन लिमिटेड के नाम से जाना जाता है। कंपनी के सचिव एचएन हांडा ने बताया कि पंडित नेहरू ब्रुअरी में कभी नहीं आए। 1960 में नेहरू चायल जा रहे थे तो बोर्ड देख कर हैरान हुए थे।

अंदर जाने से कर दिया था इन्कार

हालांकि कुछ लोगों का कहना है कि वह 1960 में शिमला जा रहे थे। सोलन ब्रुअरी के मालिक एनएन मोहन इच्छुक थे कि पंडित नेहरू ब्रुअरी का दौरा करें, लेकिन जब पंडित नेहरू ने सड़क में डायर के नाम से लगा बोर्ड देखा तो उन्होंने अंदर जाने से इन्कार कर दिया था। क्योंकि इसका नाम एडवर्ड डायर के नाम पर रखा गया था, जिसका बेटा जनरल रेजिनाल्ड एडवर्ड डायर जलियांवाला बाग हत्याकांड का जिम्मेदार था।

लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) प्रदीप खन्ना ने बताया कि उनके पिता 1959 से 1975 तक कंपनी के वित्तीय निदेशक थे। उनसे सुना था कि पंडित नेहरू ने डायर का नाम देखकर इसे हटाने को कहा था। उसके बाद ही यह नाम बदल दिया गया था।

कसौली में खुली थी एशिया की पहली ब्रुअरी

एडवर्ड डायर 1820 में इंग्लैंड से भारत में पहली ब्रुअरी स्थापित करने के लिए आया था। उसने कसौली में एशिया की पहली ब्रुअरी स्थापित की। इसके साथ ही सोलन में डिस्टलरी स्थापित की। 1835 में कसौली से ब्रुअरी को सोलन में और सोलन डिस्टलरी को कसौली में अदला-बदली कर दी गई। 1855 में इसे डायर ब्रुअरीज के रूप में परिवर्तित किया गया। 1887 में एक अन्य ब्रिटिश उद्यमी एचजी मिकिन भारत आया। उसने एडवर्ड डायर सोलन समेत कई ब्रुअरीज खरीदी। प्रथम विश्व युद्ध के बाद मिकिन व डायर ब्रुअरीज का विलय हुआ और 1937 में कंपनी को लंदन स्टाकएक्सचेंज की एक सार्वजनिक कंपनी डायर मीकिन ब्रेवरीज के रूप में अपनी भारतीय संपत्ति के साथ पुनर्गठित किया गया। आजादी के बाद 1949 में एनएन मोहन ने डायर मीकिन ब्रेवरीज को खरीद लिया। एशिया की पहली लायन बीयर भी यहीं तैयार की जाती थी। ओल्ड मांक रम व सोलन नंबर वन व्हिस्की कई यहां के उत्पाद हैं।

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