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मां ने किडनी देकर बचाई अपने जिगर के टुकड़े की जान, 6 महीने से डायलिसिस पर था बेटा

टांडा मेडिकल कॉलेज में 29 वर्षीय व्यक्ति को छह माह से किडनी की समस्या थी और डायलिसिस पर निर्भर था। पत्नी की किडनी का मिलान न होने पर उसकी मां किडनी डोनेट करने के लिए तैयार हो गईं। ऑपरेशन सफल रहा और दोनों के स्वास्थ्य में सुधार हो रहा है। टांडा मेडिकल कॉलेज में किडनी ट्रांसप्लांट के लिए 35 रोगी पंजीकृत हैं।

By Jagran News Edited By: Rajiv Mishra Updated: Sat, 12 Oct 2024 03:22 PM (IST)
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मां ने किडनी देकर बचाई बेटे की जान (प्रतीकात्मक फोटो)

तरसेम सैनी, टांडा (कांगड़ा)। डॉ. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल कांगड़ा स्थित टांडा के किडनी ट्रांसप्लांट व नेफ्रोलॉजी विभाग के विशेषज्ञ किडनी रोगियों को राहत पहुंचा रहे हैं। टांडा मेडिकल कॉलेज में किडनी ट्रांसप्लांट का पांचवां सफल आपरेशन किया गया। मां ने बेटे को किडनी दी। 29 वर्षीय व्यक्ति नगरोटा बगवां का रहने वाला है।

6 माह से चल रहा था उपचार

बेटा और मां दोनों नेफ्रोलाजी विशेषज्ञ डॉ. अभिनव राणा व किडनी ट्रांसप्लांट विशेषज्ञ डॉ. अमित शर्मा की निगरानी में सुपरस्पेशिलिटी विंग के सीसीयू (सघन चिकित्सा वार्ड) में उपचाराधीन हैं। दोनों के स्वास्थ्य में लगातार सुधार हो रहा है।

29 वर्षीय किडनी रोगी का टांडा मेडिकल कालेज में छह माह से उपचार चल रहा था। किडनी फेल हो गई थीं। डायलिसिस के सहारे था। इसका एक छोटा बच्चा है। छोटी उम्र व बच्चा भी छोटा होने के कारण विशेषज्ञों ने इसका जल्द ऑपरेशन करने का निर्णय लिया।

किडनी देने के लिए राजी हो गई मां

मरीज पत्नी की किडनी का मिलान न होने पर माता की काउंसलिंग की। वह तैयार हो गईं। मंगलवार को ऑपरेशन किया गया। दोनों के स्वास्थ्य में लगातार सुधार हो रहा है। माता को शनिवार को छुट्टी दे दी जाएगी। रोगी का पेशाब व किटनाइन का टेस्ट भी ठीक आया है। सोमवार को उसे भी छुट्टी दे दी जाएगी।

किडनी ट्रांसप्लांट के लिए 35 रोगी पंजीकृत

टांडा मेडिकल कॉलेज में किडनी ट्रांसप्लांट के लिए अभी 35 रोगी पंजीकृत हैं। स्टाफ की कमी की वजह से विशेषज्ञों को ऑपरेशन करने में दिक्कत आ रही है। विशेषज्ञ चाहते हैं कि उन्हें पूरा स्टाफ मिल जाए तो हर माह तीन से चार किडनी ट्रांसप्लांट के ऑपरेशन किए जा सकते हैं। इससे रोगियों को अन्य स्वास्थ्य संस्थानों में नहीं जाना पड़ेगा। फिस्टुला के 170 के केस लंबित हैं, जिन्हें एक-दो माह में निपटा लिया जाएगा।

ये रहे टीम में शामिल

नेफ्रोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. अभिनव राणा, किडनी ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. अमित शर्मा, एनेस्थीसिया विभाग से डॉ. शैली राणा व डॉ. ननिश शर्मा, ओटी असिस्टेंट, नर्सिंग स्टाफ, ट्रांसप्लांट कोआर्डिनेटर व अन्य सहायक स्टाफ।

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बिना ब्लड ग्रुप मैच किए ट्रांसप्लांट के लिए चाहिए उपकरण व स्टाफ

नेफ्रोलाजी के विभागाध्यक्ष डॉ. अभिनव राणा ने बताया कि अभी ब्लड ग्रुप का मिलान करके किडनी ट्रांसप्लांट कर रहे हैं। इसमें डोनर ढूंढने में दिक्कत आती है। कभी-कभी स्वजन का भी ब्लड ग्रुप मैच नहीं होता है। डोनर ढूंढने के लिए ट्रांसप्लांट करने में देर हो रही है। उपकरण व स्टाफ का मामला अस्पताल प्रशासन व सरकार से उठाया है। उम्मीद है जल्द मांग पूरी की जाएगी।

ऐसा हुआ तो बिना ब्लड ग्रुप मैच किए (एबीओ इनकंपैटीबल ट्रांसप्लांट) किडनी ट्रांसप्लांट के आपरेशन हो सकेंगे। इससे रोगियों को बड़ी राहत मिलेगी। रोगियों को पीजीआई चंडीगढ़ नहीं जाना पड़ेगा। किडनी रोगियों का सभी तरह का उपचार टांडा मेडिकल कालेज में किया जा रहा है।

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