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हमीरपुर से लोकसभा के लिए हैट्रिक बनाई थी सुरेश चंदेल ने, 1998 में रह चुके हैं प्रदेशाध्‍यक्ष

अंतत सुरेश चंदेल ने कांग्रेस में तीन वर्ष बिताने के बाद भाजपा में वापसी कर ली। भारतीय जनता पार्टी के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष जगत प्रकाश नड्डा के गृहजिला बिलासपुर से संबद्ध सुरेश चंदेल तीन बार लोकसभा सदस्‍य रह चुके हैं। सुरेश चंदेल भाजपा के प्रदेशाध्‍क्ष भी रहे हैं।

By Jagran NewsEdited By: Richa RanaUpdated: Tue, 04 Oct 2022 04:52 PM (IST)
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जगत प्रकाश नड्डा के गृहजिला बिलासपुर से संबद्ध सुरेश चंदेल तीन बार लोकसभा सदस्‍य रह चुके हैं।
बिलासपुर, जागरण संवाददाता। अंतत: सुरेश चंदेल ने कांग्रेस में तीन वर्ष बिताने के बाद भाजपा में वापसी कर ली। भारतीय जनता पार्टी के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष जगत प्रकाश नड्डा के गृहजिला बिलासपुर से संबद्ध सुरेश चंदेल तीन बार लोकसभा सदस्‍य रह चुके हैं। सुरेश चंदेल भाजपा के प्रदेशाध्‍क्ष भी रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी को 1990 के आसपास अपने जिन युवा चेहरों से आशाएं और अपेक्षाएं थी, सुरेश चंदेल उनमें से एक रहे हैं। 1988 में भारतीय जनता पार्टी के महासचिव बनने के दस वर्ष बाद 1998 में वह भाजपा के प्रदेशाध्‍यक्ष बने थे।

तीन बार रहे लोकसभा सदस्‍य

1998 में जब प्रेम कुमार धूमल के नेतृत्‍व में पंडित सुखराम की हिमाचल विकास कांग्रेस के सहयोग से सरकार बनी तो सुरेश चंदेल से लोकसभा का चुनाव लड़वाया गया और वह विजयी रहे। यह बारहवीं लोकसभा थी। 1999 में तेरहवीं लोकसभा के लिए चुनाव हुआ जिसमें चंदेल फिर विजयी रहे। 2004 में चौदहवीं लोकसभा के लिए हुए चुनाव में भी चंदेल ने जीत प्राप्‍त कर हमीरपुर का प्रतिनिधित्‍व किया। बाद में 'प्रश्‍न के बदले धन' लेने के मामले ने उन्‍हें राजनीति से लगभग बाहर ही कर दिया। वह मामला अभी चल रहा है। चंदेल और उनके समर्थक मानते हैं कि वह स्टिंग आपरेशन एक षड़यंत्र था।

सुरेश चंदेल ने 2012 में भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर बिलासपुर से चुनाव लड़ा किंतु उन्‍हें कांग्रेस के उम्‍मीदवार बंबर ठाकुर के हाथों हार का मुंह देखना पड़ा। बंबर ठाकुर ने उन्‍हें 5141 मतों से हराया। उसके बाद सुरेश चंदेल फिर गुमनामी में चले गए। 2017 में उन्‍हें बिलासपुर सदर से भाजपा का टिकट नहीं मिला।

2019 में थाम लिया था कांग्रेस का हाथ

लोकसभा चुनाव -2019 में चर्चा रही कि वह भाजपा के साथ कुछ बड़ी जिम्‍मेदारी लेने की बात कर रहे थे। जब ऐसा कुछ नहीं हुआ तो उन्‍होंने कांग्रेस का हाथ थाम लिया। लगभग सवा तीन वर्ष के बाद उन्‍होंने कांग्रेस को अलविदा कह कर भाजपा में वापसी कर ली। यह वापसी बिलासपुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे से एक दिन पहले हुई है।

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