हिमाचल के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर बोले - कै. संजय पराशर का अनुसरण करें लोग
Capt Sanjay Parashar हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने कहा कि कै. संजय पराशर ने जसवां-परागपुर हलके में सामाजिक कार्याें के लिए अच्छा प्रयास है। अन्य लोगों को भी उनका अनुसरण करना चाहिए। इससे समाज का उत्थान होगा।
By Virender KumarEdited By: Updated: Mon, 04 Jul 2022 08:03 AM (IST)
शिमला, राज्य ब्यूरो। Capt Sanjay Parashar, हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने कहा कि कै. संजय पराशर ने जसवां-परागपुर हलके में सामाजिक कार्याें के लिए अच्छा प्रयास है। अन्य लोगों को भी उनका अनुसरण करना चाहिए। इससे समाज का उत्थान होगा और गरीब व पिछड़े लोग विकास की धारा में शामिल होंगे। मोबाइल फोन व कंप्यूटर इस्तेमाल को वह गलत नहीं मानते हैैं, लेकिन पुस्तकें पढऩे की आवश्यकता है। हमें किताब जैसा शिक्षक नहीं मिलेगा, क्योंकि किताबें हमारी सच्ची मित्र, मार्गदर्शक व दार्शनिक हैं।
राज्यपाल ने शनिवार को राज्य अतिथि गृह पीटरहाफ में जसवां-परागपुर विकास परिषद की ओर से आयोजित विद्यार्थियों के साथ संवाद कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कहा कि अक्षर के साथ शब्द की भावना को समझना महत्वपूर्ण है। हर पंचायत में पुस्तकालय खोलने के प्रयास करें, ताकि विद्यार्थियों को घरद्वार के समीप यह सुविधा मिल सके। हमारी कथनी व करनी में समानता होनी चाहिए तभी जीवन सार्थक होगा। समाज में कई समस्याएं हैं, जो व्यक्ति इनका समाधान निकालकर आगे बढ़ता है वह समाज सेवा करता है। उन्होंने कहा कि भविष्य में भी बच्चों के साथ संवाद जारी रहेगा। संवाद कार्यक्रम में भाग लेने के लिए जसवां-परागपुर के करीब 188 विद्यार्थी व अध्यापक शैक्षणिक भ्रमण पर शिमला आए हैं।
पराशर मेरे मित्र और तुम्हारे मामा
राज्यपाल ने कहा कि कै. संजय पराशर मेरे मित्र हैं और सामाजिक कार्य करना उनका आचरण है, जिसके लिए उन्हें बच्चों का मामा कहा गया है, ये सही मायनों में चरितार्थ होता है। मामा हमेशा बच्चों के साथ खड़ा रहता है।
जसवां-परागपुर विकास परिषद के प्रयासों की सराहनाविशेष अतिथि बाल देसाई ने कहा कि अंग्रेजी शिक्षण एवं कंप्यूटर केंद्र की ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों को कौशल व ज्ञान प्रदान कर आगे बढऩे का अवसर देने की अच्छी पहल है। उन्होंने शिक्षा व सामाजिक क्षेत्र में जसवां-परागपुर विकास परिषद के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह देश के भविष्य से जुड़ा प्रेरणादायक कार्यक्रम हैै।
जसवां-परागपुर के बच्चे रचेंगे इतिहासराज्यपाल का स्वागत करते हुए जसवां-परागपुर विकास परिषद के अध्यक्ष कैप्टन संजय पराशर ने कहा कि क्षेत्र के 36 गांवों में निश्शुल्क कंप्यूटर व अंग्रेजी सीखने के केंद्र खोले गए हैं, जहां करीब 2500 विद्यार्थी पढ़ रहे हैं। इन केंद्रों में प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए विद्यार्थियां को किताबें, ङ्क्षप्रटर व इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध करवाई है। भारत के विश्व गुरु बनने की नींव यही बच्चे रखेंगे। जसवां-परागपुर के बच्चे इतिहास रचेंगे। इसलिए मैैं उनका मामा हूं।
चुनाव लडऩा तय, देखना है टिकट मिलता है या नहींरिज मैदान पर पत्रकारों की ओर से पूछे गए सवाल पर पराशर ने कहा कि चुनाव लडऩा तय है। अब देखना है कि टिकट मिलता है या नहीं। उन्होंने कहा कि जसवां-परागपुर के लोग चाहते हैं कि मैं विधानसभा चुनाव लडूं। हलके में कई समस्याएं हैं, जिन्हें मैं सीमित साधनों से दूर करने का प्रयास कर रहा हूं। कोरोना काल में दवाएं, आक्सीमीटर व अन्य उपकरण जरुरतमंदों तक पहुंचाना मेरी जिम्मेदारी थी। राज्यपाल से मिलना उनका सौभाग्य है। इसके बाद बच्चों ने कुफरी स्थित हिप्प-हिप्प हुर्रे में सैर का आनंद उठाया। बच्चों ने राजभवन में भारत-पाकिस्तान समझौते की टेबल भी देखी।
मैंने सपने में नहीं सोचा था समुद्री जहाज में नौकरी करुंगी16 वर्षीय सिमरन मर्चेंट नेवी में जहाज पर नौकरी करने वाली जसवां-परागपुर की पहली युवती होगी। पीटरहाफ में सिमरन ने कहा कि उसके माता-पिता नहीं हैं और घर की आर्थिक हालत भी अधिक अच्छी नहीं है। मुझे मर्चेंट नेवी के बारे में कुछ पता नहीं था। कै. संजय पराशर हमारे क्षेत्र में आए उसे मर्चेंट नेवी में भर्ती होने के लिए प्रोत्साहित किया। मर्चेंट नेवी में चयनित होने पर मैैं प्रशिक्षण ले रही हूं और जल्द समुद्री जहाज पर चढ़ूंगी। सिमरन ने युवाओं को संदेश दिया कि वे सपने देखें, क्योंकि इन्हें पूरा करने के लिए कै. संजय पराशर हैं।
राजभवन आए बच्चों के गाइड बने राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर, बताया भारत का इतिहासराज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर राजभवन आए बच्चों के गाइड बन गए। उन्होंने कांगड़ा जिला की जसवां-परागपुर विकास परिषद के सहयोग से आए बच्चों को राजभवन के महत्व की जानकारी दी। इन बच्चों ने राजभवन के महत्व की जानकारी ग्रहण की और भारत-पाक समझौता टेबल को देखा। इस टेबल पर भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय जुल्फिकार अली भुट्टो ने समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।
राज्यपाल बने गाइड : शैक्षणिक भ्रमण पर राजभवन आए बच्चों को राजभवन के बारे में जानकारी देते हुए। सौ. डीपीआरओ
बच्चों को बताया कि 1971 के युद्ध में भारत ने पाकिस्तान को बुरी तरह से पराजित किया था और उसके 93 हजार सैनिकों ने आत्मसमर्पण कर दिया था। जसवां-परागपुर के 200 बच्चों ने पहली बार शिमला देखा। इससे पहले शनिवार शाम कुफरी स्थित मनोरंजन पार्क हिप-हिप हुर्रे में बच्चों ने खूब मस्ती की।
तीन दिवसीय दौरे के तीसरे दिन बच्चे वापस जसवां-परागपुरलौट गए। कै. संजय पराशर इन बच्चों को पांच बसों में शैक्षणिक भ्रमण पर लेकर आए थे। शनिवार को राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर के साथ बच्चों ने संवाद किया।भारत-पाकिस्तान शिमला समझौता टेबल को देखते हुए जसवां-परागपुर क्षेत्र के बच्चे। सौजन्य डीपीआरओ
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