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Manimahesh Yatra 2022 : 12 किलोमीटर पैदल यात्रा में ये हैं चुनौतियां, आप भी जान लीजिए

Manimahesh Yatra 2022 उत्तर भारत की प्रसिद्ध मणिमहेश यात्रा अधिकारिक रूप से आज शुक्रवार से शुरू हो रही है। मणिमहेश यात्रा के लिए चंबा में अन्य राज्यों से श्रद्धालुओं का आगमन शुरू हो गया है। मणिमहेश यात्रियों को यात्रा के दौरान सचेत रहने की जरूरत है।

By Virender KumarEdited By: Updated: Fri, 19 Aug 2022 02:05 PM (IST)
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Manimahesh Yatra 2022 : 12 किलोमीटर पैदल यात्रा में ये हैं चुनौतियां!

चंबा, जागरण संवाददाता। Manimahesh Yatra 2022, उत्तर भारत की प्रसिद्ध मणिमहेश यात्रा अधिकारिक रूप से आज शुक्रवार से शुरू हो रही है। मणिमहेश यात्रा के लिए चंबा में अन्य राज्यों से श्रद्धालुओं का आगमन शुरू हो गया है। मणिमहेश यात्रियों को यात्रा के दौरान सचेत रहने की जरूरत है क्योंकि पैदल रास्ते पर जगह-जगह खतरा बना हुआ है। भारी वर्षा से जगह-जगह भूस्खलन हो रहे हैं। इसलिए यात्री यात्रा के दौरान सावधानी बरतें।

उधर मणिमहेश यात्रा को लेकर जिला प्रशासन के प्रबंधों की पोल चंबा-भरमौर मार्ग पर खुल रही है। करीब 62 किलोमीटर मार्ग पर कई स्थानों पर दूर-दूर तक पैरापिट नहीं हैं। कई स्थान इतने खतरनाक हैं कि चालक की मामूली सी चूक से बड़ा हादसा हो सकता है।

चंबा-भरमौर मार्ग पर मैहला पुल के पास दूर-दूर तक पैरापिट नहीं हैं। इसके अलावा मार्ग पर अन्य कई स्थानों पर सुरक्षा को लेकर कोई प्रबंध नहीं किया गया है। पंजाब से श्रद्धालु दोपहिया वाहनों में भरमौर जाते हैं। मार्ग की हालत दयनीय होने और पैरापिट न होने से हर समय हादसा होने का भय रहता है।

चंबा-भरमौर मार्ग पर अभी तक सड़क की हालत में सुधार नहीं हो पाया है। इस कारण यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं को थोड़ी सी बारिश होने पर परेशानी झेलनी पड़ सकती है। चंबा से भरमौर तक मार्ग पर जगह-जगह बड़े-बड़े गड्ढे पड़े हए हैं। चंबा से लूणा तक मार्ग की हालत काफी दयनीय है। पहले भी मणिमहेश यात्रा के दौरान चंबा-भरमौर मार्ग पर जगह-जगह भूस्खलन होने से श्रद्धालुओं को परेशानी का सामना करना पड़ा था।

16698 श्रद्धालुओं ने पंजीकरण करवाया

यात्रा में सुरक्षा व्यवस्था को पुख्ता करने के लिए मणिमहेश यात्रा के दौरान तैयार किए जाने वाले 13 सेक्टरों पर पुलिस की तैनाती होगी। बिना पंजीकरण श्रद्धालुओं को यात्रा की अनुमति नहीं मिलेगी। जिस श्रद्धालु का आनलाइन पंजीकरण नहीं हुआ होगा उसे निर्धारित पंजीकरण स्थल पर ही पंजीकरण करवाना होगा। वीरवार शाम तक करीब 16698 श्रद्धालुओं ने पंजीकरण करवाया है।

पुलिस जवान चौरासी मंदिर, भरमाणी, भरमौर, हड़सर व डल झील तक तैनात रहेंगे। जिला के प्रवेशद्वारों सहित अन्य मुख्य स्थानों पर भी पुलिस की कड़ी निगरानी रहेगी।

जिला के प्रवेशद्वार तुन्नुहट्टी, लाहड़ू, जोत, किहार, सलूणी, गेट, सुदली चौक, गलू की मांड, हड़सर, सावनपुर, सुंकू की टपरी तथा पट्टी में पुलिस के जवान हर गतिविधि पर नजर रखेंगे। प्रवेशद्वारों से चंबा की सीमा में प्रवेश करने वाले वाहनों को चेकिंग के बाद ही प्रवेश दिया जा रहा है। चंबा की जम्मू के साथ लगती सीमाओं पर भी कड़ी निगरानी रखी जा रही है। मणिमहेश यात्रा जन्माष्टमी पर 19 अगस्त से शुरू होगी। यात्रा का समापन दो सितंबर को राधाअष्टमी के पवित्र स्नान के साथ होगा।

1995 में मची थी तबाही

1995 में अमरनाथ की घटना की तरह ही मणिमहेश में भी हादसा हुआ था। बादल फटने से आई बाढ़ में दुकानों सहित कई टेंट बह गए थे। कई लोगों को जान गंवानी पड़ी थी। चंबा-भरमौर मुख्य मार्ग पर भारी भूस्खलन होने से तीन माह तक यातायात पूरी तरह से बंद पड़ गया था। जिस कारण भरमौर में हजारों श्रद्धालु फंस गए थे। वहीं सड़क बंद होने से भरमौर तक राशन की कोई भी सप्लाई नहीं पहुंच पाई थी।

ट्रैक बेहद जोखिम भरा, ये खतरनाक प्वाइंट

हड़सर से लेकर गौरीकुंड तक 12 किलोमीटर का ट्रैक बेहद जोखिम भरा है। लगभग सारा मार्ग नाले से सटा हुआ है। मणिमहेश से निलकने वाले इस नाले में पानी की मात्रा काफी ज्यादा रहती है लेकिन इनमें सबसे खतरनाक प्वाइंट धनछो है। यहां उफनते नाले के साथ ही टेंट व दुकानें लगाई होती हैं। यदि यहां बाढ़ जैसी स्थिति बनती है तो भारी नुकसान हो सकता है। सुंदरासी के पास भी मार्ग काफी ढलान वाला है व यहां भूस्खलन का भी खतरा रहता है।

टेंट मालिकों के पास रहेगा श्रद्धालुओं का रिकार्ड

मणिमहेश यात्रा में पहली बार प्रशासन टेंट में ठहरने वाले श्रद्धालुओं का रिकार्ड तैयार करेगा। इसके लिए प्रशासन टेंट मालिकों को रिकार्ड तैयार करने के आदेश दिए है , ताकि प्रशासन को पता चल सके कि किस टेंट में कितने श्रद्धालु ठहरे हैं। अगर कोई आपदा आती है तो उसका रिकार्ड प्रशासन के पास उपलब्ध रहे।

रेस्क्यू टीमें तैनात

रेस्क्यू टीमें भरमौर, क्लाह, कुगती, हड़सर, धनछो, सुंदरासी, गौरीकुंड व डल पर आपदा की स्थिति पर नजर रखेंगे। हड़सर से धनछो तक लंगर समितियां बिजली की व्यवस्था करेंगी। विद्युत बोर्ड द्वारा धनछो, गौरीकुंड व डल झील में सोलर प्लांट से बिजली उपलब्ध करवाई जाएगी। लंगर समितियां को डल झील की सफाई व शौचालयों के प्रबंध का जिम्मा दिया गया है। श्रद्धालुओं के वाहनों के लिए हड़सर व सूंकू दी टपरी में पार्किंग व्यवस्था होगी।

क्या बरतें सावधानी

- यदि कोई श्रद्धालु अस्वस्थ है तो दवा साथ रखें।

- वर्षा से बचाव के लिए छाता, रेनकोट साथ रखें।

- रास्ता पथरीला व फिसलन भरा है। रात में सफर न करें।

- मणिमहेश डल झील में ठंड होती है। गर्म कपड़े साथ रखें।

- किसी संकट में फंसने पर तत्काल सहायता कक्ष से संपर्क करें।

ये हैं चुनौतियां

- चंबा से हड़सर तक सड़क की चौड़ाई कम व गड्ढे होने से वाहन चालकों को दिक्कत होगी।

- हड़सर से मणिमहेश पहुंचने के लिए खड़े रास्ते से होकर गुजरना पड़ता है। भूस्खलन का खतरा रहता है।

- हड़सर से करीब सात किलोमीटर आगे धनछो है। धनछो से गुजरते ही आक्सीजन की कमी होने पर सांस लेने में दिक्कत हो सकती है।

क्‍या कहते हैं अधिकारी

मणिमहेश यात्रा को लेकर स्वास्थ्य टीमों के साथ ही रेस्क्यू टीमें भी तैनात कर दी है। यात्रियों से अपील है कि सुरक्षित यात्रा के लिए प्रशासन का सहयोग करें।

-निशांत ठाकुर, एडीएम भरमौर।

मणिमहेश यात्रा के दौरान पुलिस की ओर से 17 रिजर्व कंपनियों सहित 200 होमगार्ड के जवानों को तैनाती दे दी गई। इस दौरान कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए जवान हमेशा तैनात रहेंगे।

-अभिमन्यु वर्मा, डीएसपी हेडक्वार्टर चंबा।

चंबा भरमौर मार्ग पर काफी हद तक ठीक कर दिया गया है। जहा पैरापिट नही लगें है वहां जल्द लगा दिए जाएगें। श्रद्धालुओं से अपील है कि सुरक्षित यात्रा के लिए प्रशासन का सहयोग करें।

संजीव महाजन,अधिषाशी अभियंता एनएच चंबा

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