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कटोरे की जगह कलम पकड़ा झुग्गी के बच्चों को बनाया आत्मनिर्भर, पढ़ें टोंगलेन चैरिटेबल ट्रस्ट की कहानी

टोंगलेन चेरिटेबल ट्रस्ट (Tonglen Charitable Trust) ने झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले सैकड़ों बच्चों के जीवन में बदलाव लाया है। इस ट्रस्ट ने बच्चों को शिक्षा प्रदान कर उन्हें डॉक्टर इंजीनियर होटल मैनेजर पत्रकार और चित्रकार बनाया है। ट्रस्ट ने झुग्गी बस्तियों के हजारों लोगों तक निशुल्क स्वास्थ्य सेवाएं भी पहुंचाई हैं। इस ट्रस्ट की स्थापना 2004 में की गई थी।

By dinesh katoch Edited By: Rajiv Mishra Updated: Mon, 18 Nov 2024 03:45 PM (IST)
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19 नवंबर को अपनी स्थापना के 20 वर्ष पूरा करेगा टोंगलेन चैरिटेबल ट्रस्ट
जागरण संवाददाता,धर्मशाला। झुग्गी झोपड़ी में रह रहे बच्चों के जीवन में सुधार व उनके हाथों के भीख का कटोरा छुडव़ाकर उनमें शिक्षा की लौ जगा रहे टोंगलेन चेरिटेबल ट्रस्ट मंगलवार को अपनी स्थापना के 20 वर्ष पूर्ण करेगा। अपनी स्थापना से लेकर अब तक टोंगलेन चेरिटेबल ट्रस्ट के संस्थापक लोबसांग जामयांग ने कई उतार चढ़ाव भी देखे।

इन उतार चढ़ावों से उन्होने हार ना मानते हुए अपने निर्धारित किए गए लक्ष्यों को पूरा भी किया।आज यह इस बात का परिणाम भी है कि सैंकडों गरीब बच्चे इस ट्रस्ट की सहायता से अपने जीवन में कई आयाम स्थापित कर पाए हैं।

साल 2004 में हुई थी इस ट्रस्ट की स्थापना

वर्ष 2004 में लोबसांग जामयांग द्वारा टोंगलने चेरिटेबल ट्रस्ट की स्थापना की गई थी। ट्रस्ट के 20वें स्थापना दिवस समारोह में आज 19 नवंबर मंगलवार को राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल मुख्य अतिथि होंगे। तिब्बती शरणार्थी बौद्ध भिक्षु जामयांग द्वारा वर्ष 2004 में स्थापित टोंगलेन ट्रस्ट के माध्यम से अब तक बच्चे डॉक्टर, इंजीनियर, होटल मैनेजर, पत्रकार और चित्रकार भी बन रहे हैं।

झुग्गी बस्ती से निकालकर सैकड़ों बच्चों को भिक्षु ने आत्मनिर्भर बना दिया। यही नहीं टोंगलेन ट्रस्ट ने झुग्गी बस्तियों के हजारों लोगों तक निशुल्क स्वास्थ्य सेवाएं भी पहुंचाई।

धर्मशाला के चरान खड्ड क्षेत्र में अत्यंत गंदी झुग्गी बस्ती के बच्चों के हाथों से भीख का कटोरा व कूड़े का बोरा लेकर उन्हें कलम और किताबों का बस्ता थमाने वाले तिब्बती शरणार्थी भिक्षु जामयांग का जुनून अब परिणाम दे रहा है। बच्चों की सफलता की कहानियां चर्चा का विषय बन रही हैं।

झुग्गी बस्ती में शुरू किया था ट्यूशन टेंट

जामयांग ने सबसे पहले वर्ष 2004 में चरान खड्ड की झुग्गी बस्ती में ट्यूशन टेंट शुरू किया था। जिनमें बच्चों को स्वच्छता और एक जगह टिक कर बैठने का अभ्यास कराया जाता था। उसके बाद डिपो बाजार में दो फ्लैट किराए पर लेकर बालक और बालिकाओं के लिए हॉस्टल शुरू किया।

जब धर्मशाला के निजी स्कूल गंदी झुग्गी बस्ती के बच्चों को दाखिला देने से इंकार कर रहे थे तब उन्होने हार नहीं मानी। फिर दयानंद मॉडल स्कूल ने पढ़ाई के लिए इन बच्चों के लिए अपने दरवाजे खोले। वहां बच्चों ने पढ़ाई के साथ-साथ खेलकूद और अन्य गतिविधियों में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया।

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दलाई लामा ने किया था इस ट्रस्ट के हॉस्टल का उद्घाटन

तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा ने पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार के साथ वर्ष 2011 में गांव सराह में टोंगलेन ट्रस्ट के अत्याधुनिक स्कूल और हॉस्टल का उद्घाटन किया था। यह स्कूल दसवीं तक झुग्गी झोपड़ी के बच्चों को आवासीय सुविधा के साथ गुणवत्ता युक्त शिक्षा मुफ्त उपलब्ध कराता है। इसके अलावा झुग्गी बस्तियों से बच्चों को स्कूल लाने के लिए बसों की व्यवस्था है।

हाल ही में मोबाइल क्लिनिक भी शुरू

अभी हाल ही में मुख्यमंत्री ने टोंगलेन ट्रस्ट की आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित मोबाइल क्लीनिक बस का उद्घाटन किया था। इसमें सभी प्रकार के टेस्ट और एक्स-रे समेत इलाज की पूरी सुविधा उपलब्ध है। पहले से चल रहे अपने स्थाई क्लिनिकों और मोबाइल क्लीनिक के माध्यम से टोंगलेन ट्रस्ट हर वर्ष 20 हजार गरीब लोगों तक नि:शुल्क स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाएगा।

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