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Himachal News: नूरपुर रोड से बैजनाथ तक फिर से दौड़ेगी Toy Train, टूटे मार्ग का मरम्मत कार्य हुआ शुरु

हिमाचल प्रदेश के पठानकोट-जोगिन्दरनगर रेलमार्ग पर नूरपुर रोड (जसूर) से बैजनाथ तक एक बार फिर से टॉय ट्रेन जल्द ही शुरू हो जाएगी। उम्मीद है कि नवंबर प्रथम सप्ताह में फिर से रेलगाड़ी शिरू कर दी जाएगी। बता दें कि ये ज्वालामुखी रोड रानीताल व कोपडलाहड़ के बीच भारी वर्षा के कारण 18 जुलाई को रेल लाइन के नीचे की मिट्टी बहने ये रेलमार्ग क्षतिग्रस्त हो गया था।

By dinesh katochEdited By: Shoyeb AhmedUpdated: Thu, 05 Oct 2023 05:27 PM (IST)
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नूरपुर रोड-जसूर से बैजनाथ तक जल्द शुरू होगी Toy Train (फाइल फोटो)

संवाद सूत्र, नगरोटा सूरियां (कांगडा)। Pathankot-Jogindernagar Railway News पठानकोट-जोगिन्दरनगर रेलमार्ग पर नूरपुर रोड (जसूर) से बैजनाथ तक नवंबर प्रथम सप्ताह में फिर से टॉय ट्रेन (Toy Train) रेलगाड़ी की छुक छुक सुनाई देगी। रेलमार्ग पर ज्वालामुखी रोड रानीताल व कोपडलाहड़ के बीच भारी वर्षा के कारण मंगलवार 18 जुलाई को रेल लाइन के नीचे की मिट्टी बह गई थी। इस कारण करीब 300 मीटर तक रेल की पटरी हवा में लटक गई थी। इस वजह से नूरपुर रोड से बैजनाथ तक चलने वाली दोनों अप व डाउन रेलगाड़ियां बंद कर दी गयी हैं।

रेल विभाग की मानें तो इस बार भारी बरसात के कारण हवा में लटके रेल ट्रैक की मरम्मत करना मुश्किल हो गया था। अब बरसात थमी है तो रेल ट्रैक की मरम्मत का कार्य शुरू कर दिया गया है। मरम्मत कार्य में लंबा समय लगने के कारण नवंबर के प्रथम सप्ताह तक दोनों रेलगाड़ियों की आवाजाही बहाल होने की संभावना जताई जा रही है। जबकि पठानकोट के पास चक्की खड्ड पर ध्वस्त हुए रेलवे पुल का निर्माण कार्य भी जोरों पर जारी है।

पुल के निर्माण लगेगा समय

विभागीय सूत्रों के मुताबिक पुल निर्माण को पूरा होने में मार्च तक का समय लग सकता है और उम्मीद जताई जा रही है कि अप्रैल 2024 तक पठानकोट से जोगिन्दरनगर तक सभी सात रेलगाड़ियां बहाल हो जाएंगी। पठानकोट-जोगिन्दरनगर रेलमार्ग पर चक्की खड्ड पर बने रेलवे पुल के गिर जाने के बाद दो रेलगाड़ियां नूरपुर रोड से बैजनाथ तक आवाजाही कर रहीं थी।

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लेकिन बीती 8 जुलाई को भारी वर्षा से गुलेर व लुनसु के बीच पहाड़ी खिसकने से वह भी बंद हो गई हैं। हालांकि बरसात के बाद दोनों रेलगाड़ियां बहाल होने की उम्मीद जताई जा रही थी लेकिन 18 जुलाई को कोपडलाहड़ सुरंग के पास रेल लाइन के नीचे की मिट्टी बह जाने से यह उम्मीद भी समाप्त हो गई थी।

इन गांवो के लोगों को हो रही परेशानी

इन रेलगाड़ीयों के बंद होने से लुनसु व त्रिप्पल रेलवे स्टेशनों से जुड़ी करीब एक दर्जन पंचायतों के ग्रामीण फिर छह से आठ किमी पैदल चलकर बस की सुविधा प्राप्त करने को मजबूर हो गए हैं। दिनेश, रघुवीर, अश्विनी गुलेरिया, केवल कुमार का कहना है कि लुनसु, धार, ठम्बा, टिल्ला, त्रिप्पल, बासा, मेहवा गांवों के लिए बस सुविधा नहीं होने के कारण एक मात्र रेल ही यातायात की सुविधा है।

ग्रामीणों ने लगाया ये आरोप

इन लोगों ने आरोप लगाया कि रेलवे विभाग बरसात में रेल लाइन की क्षति के बहाने लाखों रुपये सरकारी खजाने से मरम्मत के नाम पर लेता है लेकिन हर बरसात में गुलेर और कोपडलाहड़ के बीच ही रेल लाइन क्षतिग्रस्त होती है। जबकि बरसात समाप्त होते ही रेल विभाग को गुलेर से कोपडलाहड़ के बीच बरसाती पानी की निकासी के लिए स्थाई प्रबंध किए जाने चाहिए।

उधर क्षतिग्रस्त रेल ट्रैक के मरम्मत कार्य में हो रही देरी पर जब लोगों ने गुलेर में हस्ताक्षर अभियान शुरू किया तो रेल विभाग भी नींद से जगा और निर्माण कार्य शुरू कर दिया है। समाजसेवी अश्विनी गुलेरिया का कहना है कि जिस तरह धीमी गति से मुरम्मत कार्य चल रहा है, इससे तो कई महीने मरम्मत में लग जाएंगे।

ट्रैक को जल्द ठीक करने के दिए गए आदेश

उधर, मंडल रेलवे प्रबंधक फिरोजपुर संजय साहू ने बताया कि रेल ट्रैक को जल्द ठीक करने के आदेश दे दिए हैं और नवंबर प्रथम सप्ताह तक नूरपुर रोड से बैजनाथ तक चलने वाली दो रेलगाड़ियां बहाल कर दी जाएंगी। जबकि चक्की खड्ड पुल का निर्माण भी जोरों पर चल रहा है और अप्रैल 2024 में पठानकोट से जोगिन्दरनगर तक सभी रेलगाड़ियां बहाल करने का लक्ष्य है।

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