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Kullu News: बारिश और बर्फबारी न होने मायूस हुए बागवान, अर्ली फ्लावरिंग बन सकती है बड़ी मुसीबत; विशेषज्ञों ने दी ये खास राय

हिमाचल प्रदेश में बारिश और हिमपात (Rain and Snowfall in Himachal Pradesh) न होने से किसान बागवानों की परेशानी बढ़ी हुई है। किसान बागवान आसमान की ओर टकटकी लगाए हुए देख रहे हैं। वहीं हिमपात और बारिश न होने के कारण नमी जमीन से पूरी तरह से गायब है। वहीं बागवानों के लिए अर्ली फ्लावरिंग (Early Flowering) बड़ी मुसीबत बन सकता है।

By davinder thakur Edited By: Deepak Saxena Updated: Tue, 30 Jan 2024 01:05 PM (IST)
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बारिश और बर्फबारी न होने मायूस हुए बागवान, अर्ली फ्लावरिंग बन सकती है बड़ी मुसीबत।
संवाद सहयोगी, कुल्लू। बारिश और हिमपात न होने से किसान-बागवानों में मायूसी छाई है। समूचे जिला कुल्लू में जनवरी माह में भी बारिश की एक बूंद तक नहीं बरसी है। हिमपात और बारिश न होने से जमीन से नमी पूरी तरह से गायब हो गई है। इसके चलते किसानों और बागवानों की परेशानियां बढ़ गई है। अब बागवानों को अर्ली फ्लावरिंग का डर सताने लगा है। गुठलीदार फलों में कुछ समय बाद फ्लावरिंग होनी शुरू हो जाती है।

फरवरी में होने वाला हिमपात से गुठलीदार फलों को नुकसान पहुंचता है। दिसंबर और जनवरी में हुए हिमपात का असर जमीन में लंबे समय तक रहता है। फरवरी में होने वाला हिमपात भारी होता है। ऐसे में सभी बागवान मौसम की ओर टकटकी लगाए बैठे हैं। किसान-बागवान खेती बाड़ी और बागवानी से संबंधित कार्य नहीं कर पा रहे हैं। इन दिनों जमीन से नमी गायब है।

सेब के बगीचों में नमी पूरी तरह से गायब

किसान बागवान रमेश कुमार, पिंकू, भगवान दास, जय सिंह, चेत राम ठाकुर, हरदयाल ठाकुर, ओम प्रकाश ने बताया कि इस बार जनवरी महीना भी समाप्त होने को है लेकिन बारिश और हिमपात नहीं हुआ है। सेब के बगीचों में नमी पूरी तरह से गायब है। इस बार हमने जो नए पौधे खरीदे थे वह सूख गए हैं। जयसिंह ने बताया कि विभाग की ओर से 200 पौधे खरीदकर लाए थे नमी न होने के कारण इसमें से कुछ पौधे सूख गए हैं।

पांच माह बाद होता है खाद, गोबर का असर

बागवान अपने खेतों तौलिए करने के बाद दिसंबर और जनवरी में खाद, गोबर डालने का कार्य किया जाता है। इसमें गोबर और कुछ खाद का असर पांच से छह माह के बाद होता है। अगर दिसंबर में खाद और गोबर डाला गया तो इसका असर अप्रैल मई में होता है। जबकि कुछ खादें जल्दी घुल जाती है। इस बार इन खादों बागवान इस्तेमाल नहीं कर पाए हैं।

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चिलिंग आवर्स पर भी संकट

सेब की फसल के लिए चिलिंग आवर्स पूरे न होने का संकट मंडराया हुआ है। इससे अगली फसल पर भी असर पड़ेगा। सेब की फसल के लिए चिलिंग आवर्स का होनी जरूरी है। विशेषज्ञों की मानें तो सेब के लिए चिलिंग आवर्स का पूरा होना जरूरी है। नहीं तो सेब की फसल को अधिक नुकसान होगा। जनवरी माह भी समाप्त होने को हैं।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ

बागवानी विभाग के विषय विशेषज्ञ उत्तम पराशर का कहना है कि गुठलीदार फलों के लिए अब आने वाला हिमपात नुकसानदायक हो सकता है। चिलिंग आवर्स पूरे होने की उम्मीद है। इस बार बागवान खेतों में कोई कार्य नहीं कर पाए हैं।

बागवानी अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र बजौरा के निदेशक डॉ. देविना वैद्य ने बताया कि सूखे के कारण इस बार अर्ली फ्लावरिंग का डर सताने लगा है। अगर ऐसा ही मौसम रहा तो फलों की सेटिंग पर भी असर पड़ सकता है। अभी तक विभाग बजौरा में नर्सरी को बचाने में लगा है। बागवानों से भी आग्रह है कि बगीचे में पानी जरूर दें।

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