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अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव का हुआ शुभारंभ, भगवान रघुनाथ के मंदिर में देवी-देवताओं ने नवाजा शीश

कुल्लू में अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव का आगाज हो चुका है। कई देवी-देवताओं ने भगवान रघुनाथ जी के मंदिर में शीश नवाजा। भगवान रघुनाथ जी के स्थाई शिविर में देवी देवताओं का शीश नवाजने का सिलसिला सुबह से लेकर जारी रहा। इसके बाद भगवान रघुनाथ जी को रथ में बिठाकर रथ यात्रा निकाली जाएगी।

By Jagran NewsEdited By: Preeti GuptaUpdated: Tue, 24 Oct 2023 09:23 PM (IST)
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अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव का हुआ शुभारंभ

संवाद सहयोगी, जागरण कुल्लू। International Kullu Dussehra diwas: देव मिलन देवभूमि हिमाचल के लोगों के जीवन का हिस्सा है। कुल्लू में सात दिनों तक चलने वाला देव-मानव मिलन का यह उत्सव इतना खास होता है कि देश-विदेश से लोग यहां के अनोखे नजारे को देखने के लिए आते हैं। कुल्लू में अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव का आगाज हो चुका है। कई देवी-देवताओं ने भगवान रघुनाथ जी के मंदिर में शीश नवाजा। 

भगवान रघुनाथ के मंदिर में देवी-देवताओं ने शीश नवाजा

भगवान रघुनाथ जी के स्थाई शिविर में देवी देवताओं का शीश नवाजने का सिलसिला सुबह से लेकर जारी रहा यह सिलसिला लगभग तीन बजे तक जारी रहा। देवी देवताओं ने भगवान रघुनाथ जी के दरबार में शीश नवाजा तो वही भगवान रघुनाथ जी ने भी उन्हें उत्सव के लिए निमंत्रित किया। देवता हुरगु नारायण और पंचवीर देवता ने आपस में मिलन किया।

देवी-देवताओं को मिलने का अवसर हुआ प्राप्त

दशहरे का पर्व जहां कुल्लू के लोगों के लिए भाईचारे का मिलाप है तो देवी देवताओं को भी एक दूसरे से मिलने का अवसर प्राप्त होता है। इस दौरान कई देवी-देवताओं ने आपस में मिलन किया।

कुछ ही देर बाद भगवान रघुनाथ जी को ढोल-नगाड़ों की थाप पर मंदिर से कड़ी सुरक्षा के बीच ढालपुर स्थित रथ मैदान तक लाया जाएगा।

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अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बना चुका कुल्लू दशहरा

साल बाद आयोजित होने वाले दशहरा उत्सव में देवी देवता भगवान रघुनाथ जी के दरबार में शीश नवाजते हैं। दशहरा उत्सव में जहां देवी देवताओं का मिलन होता तो घाटी में रहने वाले लोगों के खेती और बागवानी कार्य समाप्त होने के बाद ग्रामीणों की खरीदारी के लिए भी खास होता है। 17वीं शताब्दी मे कुल्लू के राजपरिवार द्वारा देव मिलन से शुरु हुआ कुल्लू दशहरा आज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना चुका।

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