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गौरवान्वित! मनाली की पर्वतारोही कृष्णा ठाकुर ने फतेह की स्विजरलैंड की Brighthorn Peak, स्वच्छता को लेकर दिया संदेश

अब देश की बेटियां भी बेटों से कम नहीं हैं और विदेशों में जाकर देश का नाम रौशन कर रही हैं। ऐसे ही मनाली की पर्वतारोही कृष्णा ठाकुर ने स्विजरलैंड की ब्राइटहोर्न चोटी को फतेह कर देश का नाम रोशन किया है। कृष्णा ने 19 सितंबर को यह सफलता पाई। इससे पहले मनाली की ही बेटी एवं अंतरराष्ट्रीय स्कीइंग खिलाड़ी आंचल ठाकुर भी इस चोटी पर तिरंगा फहरा चुकी है।

By jaswant thakurEdited By: Shoyeb AhmedUpdated: Thu, 26 Oct 2023 04:08 PM (IST)
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स्विजरलैंड की ब्राइटहोर्न पीक में मनाली की पर्वतारोही कृष्णा अपने दोस्तों के साथ

जागरण संवाददाता, मनाली। मनाली की पर्वतारोही कृष्णा ठाकुर (Mountaineer Krishna Thakur) ने स्विजरलैंड की ब्राइटहोर्न चोटी (Brighthorn Peak Switzerland) को फतेह कर देश का नाम रोशन किया है। कृष्णा ने 19 सितंबर को यह सफलता पाई।

इससे पहले मनाली की ही बेटी एवं अंतरराष्ट्रीय स्कीइंग खिलाड़ी आंचल ठाकुर भी इस चोटी पर तिरंगा फहरा चुकी है। कृष्णा को बचपन से चोटियां फतेह करने का शौक है। कृष्णा ने उत्तराखंड के 23348 फीट ऊंची सतोपंथ चोटी को 2008 में फतेह किया था।

17200 फीट ऊंची शीतिधार चोटी को कर चुकी हैं फतेह

इससे पहले कृष्णा ने साल 2000 में 17200 फीट ऊंची शीतिधार चोटी को फतेह कर पर्वतरोहण संस्थान मनाली के बेसिक कोर्स से पर्वतारोहण की शुरुआत की थी। कृष्णा ने 2001 में 19450 फीट हुनमान टिब्बा, 2003 प्रियदर्शनी, 2004 में चंद्रभागा पीक 13 व इसी साल इंडियन माउंटनेरिंग फाउण्डेशन (आईएमएफ) के सहयोग से 21288 फीट उंची धर्मशूरा (वाइटसेल) पीक फतेह की। 2008 में उत्तराखंड के 23348 फीट ऊंची सतोपंथ चोटी, 2015 में कुल्लू के 18414 फीट उंचे प्रांगला पास पीक को चढ़ने में सफलता पाई।

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कुल्लू की 17500 फीट की फ्रेंडशिप पीक पर लहराया है तिरंगा

साल 2021 में कुल्लू की 17500 फीट फ्रेंडशिप पीक पर तिरंगा लहराया। पर्वतारोहण के लम्बे सफर में 2022 में एवरेस्ट बेस कैम्प जाने का मौका मिला और 2023 में हाल ही में स्विजरलैंड की ब्राइटहोर्न चोटी को फतेह किया।

पत्रकारों से बातचीत में कृष्णा ने कहा कि उन्होंने 2000 में जब पर्वतरोहण के रुप में करियर की शुरुआत की थी तो उनका सपना माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई करना था। कृष्णा का कहना है कि उनके सपनों में धन आड़े आ गया। धन की व्यवस्था हो गई होती तो सपने को धरातल पर जरूर उतारती।

उन्होंने अपने अनुभव सांझा करते हुए कहा कि उन्हें पहाड़ों में चढ़ने की बचपन से ही शौक है। इसी शौक व जनून के चलते शादी नहीं कि और लगातार चोटियों को फतेह करना जारी रखा। उन्होंने पर्वतारोहियों को संदेश दिया कि पहाड़ों को स्वच्छ रखने में अपना योगदान दें। गंदगी न फैलाना भी स्वच्छता में सहयोग देने के समान है।

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