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Kullu: जंगल में हो रही चरस की बिजाई, तस्करों के गिरेबान तक नहीं पहुंच पा रहा पुलिस का हाथ; जानिए पूरा मामला

हिमाचल प्रदेश की मणिकर्ण घाटी के जंगलों में तस्‍कर चरस की पैदावार कर रहे हैं। लेकिन बड़े तस्‍करों को पुलिस अभी भी नहीं पकड़ पा रही है। मलाणा क्रीम नामक चरस विदेशियों को बड़ी संख्या में यहां खींच लाती है। बताया जाता है कि मणिकर्ण घाटी में ही मलाणा क्रीम नामक चरस तैयार होती है। नशे का कारोबार करते कई विदेशी मणिकर्ण में ही बस गए हैं।

By davinder thakurEdited By: Himani SharmaUpdated: Fri, 13 Oct 2023 11:14 AM (IST)
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जंगल में होती है चरस की बिजाई, इसलिए पकड़ में नहीं आते तस्कर (फाइल फोटो)
दविंद्र ठाकुर, कुल्लू। मणिकर्ण घाटी में चरस तस्कर बड़े पैमाने पर जंगलों में चरस की पैदावार करते हैं। यह जगह वन भूमि होती है इस कारण बड़े चरस तस्करों के गिरेबान तक पुलिस का हाथ नहीं पहुंच पाते हैं। जिस कारण तस्कर खुले में घूमते हैं।

मणिकर्ण घाटी में अभी और कई ऐसे जंगल हैं जहां पर लोगों ने चरस की बिजाई की है। वहां पर मामले को शांत होने के बाद चरस मलाई का कार्य किया जाता है। सूत्र बताते हैं कि जंगलों में भी लोगों ने जगह चिंहिंत की है कि किस किस स्थान पर कौन कौन चरस बिजाई करता है। इनके ठिकानों का पता सिर्फ नेपाली मजदूरों को होता है।

कुछ जगह पर दी जाती है दिहाड़ी

कुछ जगह पर नेपालियों के साथ मलाई के बाद आधी-आधी चरस करते हैं कुछ जगह पर दिहाड़ी दी जाती है। इस साल मणिकर्ण घाटी में लगभग 3000 नेपाली मजदूर यहां पर चरस मलाई के लिए आए हैं। मणिकर्ण, मलाणा, बंजार घाटी की मनोरम वादियां इन दिनों नशे के कारोबार का गढ़ बन गई हैं। साल दर साल बढ़ रहे नशे के कारोबार में न केवल स्थानीय लोग जुड़े हैं बल्कि विदेशी भी शामिल है।

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मलाणा क्रीम नामक चरस तैयार

मलाणा क्रीम नामक चरस विदेशियों को बड़ी संख्या में यहां खींच लाती है। बताया जाता है कि मणिकर्ण घाटी में ही मलाणा क्रीम नामक चरस तैयार होती है। नशे का कारोबार करते कई विदेशी मणिकर्ण में ही बस गए हैं। चरस को यहां से इस्राइल, इटली, हालैंड व अन्य यूरोपीय देशों को भेजा जाता है। कई विदेशी हिमाचल की जेलों में बंद हैं। यहां नशे का सेवन करने दिल्ली, चंडीगढ़, पंजाब और हरियाणा से युवा आते हैं।

पुलिस चरस तस्करों को नहीं कर पा रही गिरफ्तार

हर साल पुलिस भांग को तैयार करने वाले मजदूरों को गिरफ्तार तो करती है लेकिन इस मामले में जुड़े बड़े तस्करों पर शिकंजा नहीं कस पाते हैं। बुधवार रात को भी जिन स्थानों पर पुलिस ने दबिश दी वह जगह वन भूमि थी। इसलिए चरस तस्करों को गिरफ्तार नहीं कर पाई है।

हर साल पुलिस चरस को तैयार करने वाले मजदूरों के खिलाफ मामला दर्ज तो करते हैं लेकिन चरस माफिया खुले आम घूमते हैं। अभी भी मणिकर्ण, मलाणा, में कई और ऐसी जगह है जहां पर चरस की बड़े पैमाने पर खेती की जा रही है।

नष्ट करने के बाद कहां से आती है चरस

हर साल पुलिस दावे करती है कि पुलिस ने चरस को नष्ट कर दिया लेकिन उसके बाद भी चरस की बड़े मात्रा में मणिकर्ण मलाणा से अन्य राज्यों को सप्लाई होती है। यह चरस कहां से आती है। बंजार में 15 जनवरी 2021 को पुलिस टीम ने 111 किलो चरस पकडी थी। हर साल जिला से लगभग 100 टन चरस की पैदावार और कारोबार होता है।

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जिला कुल्लू में चरस तस्करी के कारोबार पर लगाम लगाने के लिए अभियान लगातार जारी है। लोगों से आग्रह है कि वे नशे का कारोबार करने वालों की सूचना पुलिस को दें ताकि इसे जड़ से समाप्त किया जा सके। -साक्षी वर्मा पुलिस अधीक्षक कुल्लू।

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