अयोध्या से गहरा नाता, PM मोदी भी मुरीद...रथ में सवार होकर निकलेंगे भगवान रघुनाथ; आज से शुरू हो रहा अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव
हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में आज से अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव (International Kullu Dussehra Diwas) का आगाज होगा। यह उत्सव 24 से 30 अक्टूबर तक मनाया जाएगा। इस भव्य देव-मानस मिलन के लिए जिले भर से देवी-देवताओं के पहुंचने का क्रम जारी हैं। सात दिन तक सुबह-शाम यहीं पर भगवान रघुनाथ की उनके छड़ीबरदार महेश्वर सिंह विधिवत पूजा अर्चना करेंगे।
दविंद्र ठाकुर, कुल्लू। International Kullu Dussehra: हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में आज से अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव का आगाज होगा। यह उत्सव 24 से 30 अक्टूबर तक मनाया जाएगा। इस भव्य देव-मानस मिलन के लिए जिले भर से देवी-देवताओं के पहुंचने का क्रम जारी हैं।
देवी-देवताओं के इस दशहरा उत्सव महाकुंभ का शुभारंभ हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल शाम को लाल चंद प्रार्थी कला केंद्र में करेंगे। जबकि समापन अवसर पर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू मुख्य अतिथि रहेंगे।
भगवान रघुनाथ जी से मिलेंगे देवी-देवता
सुबह देवी-देवता देव परंपरा का निर्वहन करने के लिए भगवान रघुनाथ जी से मिलने सुल्तानपुर स्थित रघुनाथ के मंदिर में जाकर शीश नवाएंगे। लगभग दो बजे के बाद भगवान रघुनाथ जी को ढोल-नगाड़ों की थाप पर मंदिर से कड़ी सुरक्षा के बीच ढालपुर स्थित रथ मैदान तक लाया जाएगा।
इसके बाद भुवनेश्वरी भेखली माता का इशारा मिलते ही भगवान रघुनाथ जी की रथयात्रा शुरू होगी। इस दौरान हजारों लोगों में भगवान रघुनाथ के रथ को खींचने का उत्साह दिखेगा।
यह अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा का पूरा शेड्यूल
रथ मैदान से रघुनाथ को रथ में बिठाकर सैकड़ों लोग इसकी डोर को स्पर्श कर ढालपुर के अस्थाई मंदिर तक लाया जाएगा। यहां सजाए गए अस्थाई भव्य दरबार में भगवान रघुनाथ विराजमान होंगे।
24 से 30 अक्टूबर तक सुबह-शाम यहीं पर भगवान रघुनाथ की उनके छड़ीबरदार महेश्वर सिंह विधिवत पूजा अर्चना करेंगे। हर दिन देव और मानव यहीं पर भगवान के आगे शीश नवाएंगे। कुल्लू में अभी तक 200 के करीब देवी देवता पहुंच चुके हैं अभी आने का क्रम लगातार जारी है।
रथ यात्रा के साक्षी बन चुके हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
साल 2022 में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी दशहरा उत्सव में भगवान रघुनाथ जी की रथ यात्रा में शामिल हो चुके हैं। इस दौरान वह पांच अक्टूबर को कुल्लू पहुंचे थे और भगवान रघुनाथ जी की रथ यात्रा को करीबी से निहारा। इस दौरान वह प्रोटोकाल तोड़ते हुए भगवान रघुनाथ जी के रथ तक पहुंचें और नतमस्तक होकर उनका आशीर्वाद लिया।
अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा का अयोध्या से है नाता
अयोध्या से कुल्लू लाए गए भगवान रघुनाथ जी का देवभूमि कुल्लू से गहरा नाता है। कुल्लू दशहरा का इतिहास लगभग 400 साल से अधिक पुराना है। कुल्लू के राजा को लगे शाप से मुक्ति पाने के लिए अयोध्या से भगवान राम चंद्र की मूर्ति लाई थी। 1653 में रघुनाथ जी की प्रतिमा को मणिकर्ण मंदिर में रखा गया और वर्ष 1660 में इसे पूरे विधि-विधान से कुल्लू के रघुनाथ मंदिर में स्थापित किया गया।
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क्यों मनाया जाता है अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा दिवस?
राजा ने अपना सारा राज-पाट भगवान रघुनाथ जी के नाम कर दिया तथा स्वयं उनके छड़ीबरदार बने। कुल्लू के 365 देवी-देवताओं ने भी श्री रघुनाथ जी को अपना ईष्ट मान लिया। इससे राजा को कुष्ठ रोग से मुक्ति मिल गई और फिर दशहरा उत्सव मनाने की परंपरा शुरू हुई। रघुनाथ जी के सम्मान में ही राजा जगत सिंह ने वर्ष 1660 में कुल्लू में दशहरे की परंपरा आरंभ की। जिनका निरंतर आज भी निर्वाह किया जाता है।
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