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श्रीखंड महादेव यात्रा 15 जुलाई से

बर्फ से ढके पहाड़ श्रद्धालुओं को अपनी ओर अाकर्षित करते हैं। यही कारण है कि ढेरों मुश्किलों को पार कर हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं।

By Babita KashyapEdited By: Updated: Sat, 01 Jul 2017 09:09 AM (IST)
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श्रीखंड महादेव यात्रा 15 जुलाई से

कुल्लू, रविंद्र पंवर। देश की कठिनतम धार्मिक यात्राओं में से एक श्रीखंड महादेव यात्रा 15 जुलाई से शुरू होगी। कुल्लू जिले के निरमंड से 35 किलोमीटर का दुर्गम पहाड़ चढऩे के बाद श्रीखंड महादेव के दर्शन किए जा सकते हैं।

इस यात्रा में साढ़े 18 हजार फीट की ऊंचाई तक जाने के लिए संकरा व खतरनाक ट्रैक है। श्रीखंड की चोटी पर बने 72 फीट के शिवलिंग  के दर्शन करने का सफर जितना रोमांचकारी है, उतना ही खतरनाक भी। यात्रा में एक ओर गहरी खाइयां हैं, तो प्रकृति की अनुपम छटा भी। बर्फ से ढके पहाड़ श्रद्धालुओं को अपनी ओर अाकर्षित करते हैं। यही कारण है कि ढेरों मुश्किलों को पार कर हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं। 

श्रीखंड महादेव यात्रा हर किसी के लिए संभव

नहीं, क्योंकि हजारों फीट ऊंची चोटियों पर वनस्पति नहीं है। इस कारण सूर्ख व स्याह हो चुकेपहाड़ों पर ऑक्सीजन की भी कमी रहती है। यात्रा के दौरान विषम परिस्थितियों के चलते कई लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। अब सरकार की पहल पर यहां श्रीखंड महादेव यात्रा ट्रस्ट का गठन कर लोगों को सुविधाएं देने का प्रयास किया गया है। 

रामपुर से श्रीखंड तक का सफर 

श्रीखंड महादेव की 130 किलोमीटर यात्रा शिमला जिले में रामपुर बुशहर से शुरू होती है। रामपुर से वाहन द्वारा पहले कुल्लू जिले के निरमंड, फिर बागीपुल और जांव तक सड़क मार्ग उपलब्ध है। इसके बाद जांव से श्रीखंड महादेव की करीब 35 किलोमीटर की पैदल यात्रा शुरू हो जाती है। यहां रास्ते में करीब एक दर्जन धार्मिक स्थल व देवशिलाएं हैं। श्रीखंड से करीब 50 मीटर पहले माता पार्वती, गणेश भगवान व कार्तिक स्वामी की प्रतिमाएं हैं। इसके अलावा रास्ते में प्राकृतिक शिव गुफा, निरमंड में सात मंदिर, जांव में माता पार्वती सहित नौ देवियां, परशुराम मंदिर, दक्षिणेश्वर महादेव, अरसू में हनुमान मंदिर, सिंहगाड़, जोतकाली, बकासुर वध, ढंकद्वार व कुंषा आदि स्थान आते हैं। यात्रा में तीन से पांच दिन लगते हैं।

15 से 30 जुलाई तक होगी यात्रा 

श्रीखंड महादेव यात्रा 15 से 30 जुलाई तक होगी। इसके लिए अंतिम जत्था 25 जुलाई को भेजा जाएगा। पूरे ट्रैक को चार चरणों में बांटा गया है। इसके लिए बेस कैंप सहित पूरे रास्ते में चार पड़ाव निर्धारित करके वहां चिकित्सीय सुविधा सहित रेस्क्यू टीम और पुलिस बल को भी तैनात किया गया है। श्रीखंड यात्रा के दौरान सबसे पहले बेस कैंप सिंघगाड़ में श्रद्धालुओं का पंजीकरण और स्वास्थ्य जांच होगी, जिसके बाद ही उन्हें आगे जाने दिया जाएगा। इसके बाद थाचड़ू व भीम डवारी में चिकित्सक सहित उनकी पूरी टीम और पुलिस बल हर तरह की सुविधा व सहयोग के  लिए मौजूद रहेंगे। यात्रा के अंतिम पड़ाव पार्वती बाग में प्रशासनिक व क्षेत्रीय रेस्क्यू दल के अलावा पुलिस और होमगार्ड के जवान तत्पर रहेंगे।

भस्मासुर से है संबंध

कहा जाता है कि भस्मासुर ने अपने तप के बल पर भगवान शंकर से किसी को भी भस्म करने का वरदान प्राप्त कर लिया था। बाद में यह माता पार्वती पर मोहित होकर उनसे विवाह की जिद पकड़ बैठा और भगवान विष्णु ने लीला रचकर भस्मासुर को अपने ही सिर पर हाथ रखने के लिए विवश कर दिया। कहते हैं कि यही वह स्थान है। भस्मासुर के अंत के कारण श्रीखंड महादेव की चोटियां दूर से सूर्ख नजर आती हैं और यहां के पहाड़ भी राख की तरह काले व स्याह हैं। 

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