Kullu Dussehra: 'देवताओं के स्थान पर आग लगना अशुभ संकेत', डॉ. बिंदल बोले- कांग्रेस केवल नाम का व्यवस्था परिवर्तन कर रही
Kullu Dussehra 2023 भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कांग्रेस सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि देवताओं के स्थान पर आग लगना अशुभ संकेत है। वर्तमान कांग्रेस सरकार केवल नाम का व्यवस्था परिवर्तन कर रही है और धरातल पर व्यवस्था तो उलटी दिशा में चल रही है। दशहरे महोत्सव की दिव्यता व भव्यता और पवित्रता पर स्वालिया निशान लगाना सरकार की विफलता है और निंदनीय है।
By Jagran NewsEdited By: Himani SharmaUpdated: Mon, 30 Oct 2023 03:22 PM (IST)
जागरण संवाददाता, शिमला। प्रदेश के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब ऐतिहासिक कुल्लू दशहरा में इतना कुप्रबंधन देखने को मिला है, यह बात भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर बिंदल ने कही। उन्होंने कहा कि कुल्लू दशहरा हिमाचल प्रदेश का एक अंतर्राष्ट्रीय उत्सव है और इस उत्सव का प्रभाव पूरे प्रदेश और देश पर पड़ता है।
यहां कुप्रबंधन होना साफ रूप से दिखता है कि वर्तमान कांग्रेस सरकार केवल नाम का व्यवस्था परिवर्तन कर रही है और धरातल पर व्यवस्था तो उलटी दिशा में चल रही है। दशहरे महोत्सव की दिव्यता व भव्यता और पवित्रता पर स्वालिया निशान लगाना सरकार की विफलता है और निंदनीय है।
देवी-देवताओं के रीति रिवाजों का सम्मान करती है जनता
हिमाचल प्रदेश देवी-देवताओं की भूमि है और देवताओं के रीति रिवाजों का मान सम्मान प्रदेश की जनता कई दशकों से करती आ रही है, पर इस बार कुल्लू दशहरे में कुछ विपरीत ही देखने को मिला जब देवताओं का आगमन कुल्लू में हुआ तो उनको सरकार द्वारा उचित स्थान न देकर उनके सम्मान को ठेस पहुंचाई गई और उसके बाद जिस प्रकार से देवताओं के स्थान पर आग लगी यह कोई शुभ संकेत नहीं है।यह भी पढ़ें: कुल्लू दशहरा में आधी रात लगी भीषण आग, 18 टेंट जलकर राख...देवी-देवताओं का सामान भी जला; हादसे में दो लोग भी झुलसे
दशहरे की व्यवस्थाओं पर प्रश्न चिन्ह
बिंदल ने कहा कि कुल्लू दशहरे की व्यवस्थाओं पर लगातार प्रश्न चिन्ह उठते चले जा रहे हैं अगर आप देवताओं के लिए दिए टेंट के बारे में बात कर ले तो उनके मानको पर भी सवाल उठे हैं, किस प्रकार से उन टेंट में आग लग जाती है, क्या सरकार को आग को लेकर उचित प्रबंध नहीं करना चाहिए था?क्या यह प्रबंधन सरकार की विफलता नहीं है? बदलती व्यवस्था परिवर्तन तो इस तरफ इशारा करता है की स्थानीय राजनीति का बहुत बड़ा प्रभाव अब स्थानीय मेलो, कार्यक्रमों और उत्सवों पर पढ़ना शुरू हो गया है।यह भी पढ़ें: Himachal News: पांच देवता ब्यास नदी के दूसरी छोर पर मनाते हैं दशहरा, नहीं करते नदी पार; आज भी कायम है पुरातन परंपरा
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