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    Kullu Dussehra 2023: न रामलीला, न रावण दहन... देवी देवताओं के महामिलन का अंतरराष्ट्रीय दशहरा; आज सूना पड़ेगा कुल्लू

    By Gurpreet CheemaEdited By: Gurpreet Cheema
    Updated: Mon, 30 Oct 2023 02:12 PM (IST)

    कुल्लू दशहरे (Kullu International Dussehra 2023) का आज आखिरी दिन है। इसी के साथ आज भगवान रघुनाथ जी अपने रथ पर सवार होकर वापस सुलतानपुर मंदिर लौटंगेऔर मेले में आए देवी-देवता भी एक-एक कर अपने देवालयों को प्रस्थान करेंगे।

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    अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा का आखिरी दिन

    दविंद्र ठाकुर, कुल्लू। यूं तो देवी-देवताओं को समर्पित कई धार्मिक आयोजन, मेले व उत्सव होते हैं, लेकिन हिमाचल प्रदेश की देवभूमि कुल्लू घाटी का दशहरा उत्सव अपने आप में आज भी पुरातन परंपराओं के चलते कुछ अलग है। यहां पर आज भी वर्षों पुरानी परंपराओं का निर्वहन किया जाता है।

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    सात दिवसीय यह आयोजन अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव (Kullu International Dussehra Utsav) है, लेकिन यहां न तो नवरात्र के दौरान रामलीला का मंचन होता है और न ही विजय दशमी को राम-रावण युद्ध के बाद रावण दहन किया जाता है। यहां तो बस दशहरे पर देव समाज का आलौकिक महामिलन होता है, भगवान राम के रघुनाथ जी स्वरूप को घाटी का अधिष्ठाता देव मानकर 300 से भी अधिक देवी-देवता दशहरे में देव मिलन के लिए आते हैं।

    आज कुल्लू का अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव न केवल देव संस्कृति के लिए विश्वविख्यात है, बल्कि यह देशी-विदेशी शोधार्थियों के शोध का एक विषय भी बन चुका है। देव समागम के साथ ही सांस्कृतिक विरासत और व्यापार मेले के इस संगम ने कुल्लूवी नाटी के रूप में सर्वाधिक महिलाओं के नृत्य से विश्व रिकॉर्ड भी कायम किया है।

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    देवी-देवता अपने देवालयों में करेंगे प्रस्थान

    देश के अन्य हिस्सों में होने वाले दशहरा मेलों से भिन्नता इतनी कि यहां का उत्सव अश्विन मास की दशमी अर्थात दशहरे के दिन से ही आरंभ होता है। दशहरे के सातवें दिन ब्यास नदी किनारे स्थित लंका बेकर में लंका दहन कर इसका समापन होता है।

    इसी के साथ भगवान रघुनाथ जी अपने रथ पर सवार होकर वापस सुलतानपुर मंदिर लौटते हैं और मेले में आए देवी-देवता भी एक-एक कर अपने देवालयों को प्रस्थान करते हैं। बाद में दशहरे का व्यापारिक मेला महीना भर सजा रहता है, जिसमें दूर-दराज बर्फ की घाटियों में रहने वाले लोग आगामी सर्दियों व सालभर की खरीददारी करते हैं।

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    इस बार 14 देशों के कलाकारों ने लिया भाग

    अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव में इस साल पहली बार 15 देशों के कलाकारों ने कुल्लू में अपने अपने देश की सांस्कृतिक झलक पेश की। इसमें रूस, इज़राइल, रोमानिया, कजाकिस्तान, वियतनाम, थाईलैंड, ताइवान, नेपाल, ईरान, मलेशिया , केन्या, दक्षिण अफ्रीका, इथियोपिया, रशिया, अमेरिका शामिल हुए। रात्रि सांस्कृतिक संध्या में भी प्रतिदिन दो देशों की प्रस्तुति होती रही है।