'हम साथ हैं बोल देने से काम नहीं चलेगा, मदद करनी होगी'- केंद्र सरकार को डिप्टी CM मुकेश अग्निहोत्री की नसीहत
हिमाचल प्रदेश के कुल्लू और मंडी जिला को बाढ़ से बहुत नुकसान हुआ है। प्रदेश सरकार का आकलन है कि अब तक 4000 करोड़ का नुकसान हो चुका है। हिमाचल सरकार ने केंद्र से आर्थिक मदद भी मांगी है। वहीं डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री का कहना है कि सिर्फ हम साथ हैं बोल देने से काम नहीं चलेगा। धन से मदद करनी होगी।
By Jagran NewsEdited By: Rajat MouryaUpdated: Wed, 12 Jul 2023 11:06 PM (IST)
कुल्लू, संवाद सहयोगी। हिमाचल प्रदेश के उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने आपदा के समय भाजपा नेताओं पर तंज कसते हुए कहा कि सिर्फ ये बोलने से कि हम प्रदेश के साथ हैं, से काम नहीं चलेगा। इससे एक्शन में लाना होगा। तभी हिमाचल की मदद हो सकती है। वह बुधवार को कुल्लू के परिधि गृह में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि पहले ही हिमाचल प्रदेश 75 हजार करोड़ के कर्ज तले है और इस आपदा से प्रदेश की और ज्यादा हालत खराब हुई है। ऐसे में केंद्र सरकार को हिमाचल राज्य की मदद करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि बयानबाजी करने से बेहतर यह होता कि हिमाचल के लिए राहत का ऐलान किया जाता और इससे राष्ट्रीय आपदा घोषित किया जाता। लेकिन अभी तक ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है।
'संकट के समय मदद नहीं करेंगे तो कब करेंगे'
मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि संकट के समय में हिमाचल प्रदेश की मदद नहीं करेंगे तो कब करेंगे? उन्होंने कहा कि प्रदेश में इस आपदा से लगभग चार हजार करोड़ से अधिक नुकसान का आकलन किया गया है। जबकि यह नुकसान और ज्यादा बढ़ेगा।अग्निहोत्री ने कहा कि जिला कुल्लू में जल शक्ति विभाग को एक हजार करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान लगाया गया है। जिसमें 16 करोड़ की पाइपें ही मनाली के आलू ग्राउंड से बह गई हैं। जबकि कुल्लू जिला की सात करोड़ की पेयजल योजनाएं बाढ़ में बह गई है। मंडी शहर में भी पानी की योजनाएं जलमग्न हो गई और क्षेत्र को पानी की सप्लाई भी उहल के पास सिल्ड आने से प्रभावित हुई है।
उन्होंने कहा कि बस रूट पूरी तरह से जिला कुल्लू में प्रभावित है जिसमें 10 लग्जरी बसों के रूट भी बाधित पड़े हैं। हालांकि बसें सुरक्षित है। लेकिन सड़कें क्षतिग्रस्त होने से सभी रूट प्रभावित हुए हैं। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में सबसे अधिक नुकसान कुल्लू जिला में हुआ है। हिमाचल प्रदेश की सभी नदियां उफान पर थी जिसमें सबसे अधिक नुकसान जल शक्ति विभाग को हुआ है। पानी की योजनाएं नदी किनारे बनी हुई हैं।
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