Ram Mandir प्राण प्रतिष्ठा समारोह में कुल्लू स्थित भगवान रघुनाथ जी के मंदिर से चांदी की चरण पादुका चौकी वस्त्र व चौउंर भेंट की जाएगी। रामलला के लिए चरण पादुका तैयार करवा ली गई है। चौउंर याक की पूंछ के बालों से तैयार की जाती है। पूजा पाठ के दौरान चौउंर का इस्तेमाल बुरी शक्तियों को भगाने के लिए किया जाता है। यह सफेद रंग की होती है।
संवाद सहयोगी, कुल्लू। अयोध्या में श्रीरामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में कुल्लू स्थित भगवान रघुनाथ जी के मंदिर से चांदी की चरण पादुका, चौकी, वस्त्र व चौउंर भेंट की जाएगी। रामलला के लिए चरण पादुका तैयार करवा ली गई है। चौउंर याक की पूंछ के बालों से तैयार की जाती है। पूजा पाठ के दौरान चौउंर का इस्तेमाल बुरी शक्तियों को भगाने के लिए किया जाता है। यह सफेद रंग की होती है।
किन्नौर से मंगवाई है चौउंर
चौउंर किन्नौर से मंगवाई गई है और इसे चांदी में तैयार करवाया जाता है। इसके अतिरिक्त गले में लगाने के लिए चौकी भी यहां से ही भेंट की जाएगी। ये वस्तुए 18 जनवरी को कुल्लू से भगवान रघुनाथ के छड़ीबरदार महेश्वर सिंह साथ लेकर जाएंगे। 20 जनवरी को वह अयोध्या पहुंचेंगे। इसके बाद वहां पर त्रेतानाथ ठाकुर की पूजा करके आगे का कार्य किया जाएगा।
यह भी पढ़ें: Ram Mandir: 374 वर्षों पहले अयोध्या से लाई गई थी रघुनाथ जी की मूर्ति, अब रामलला के पास जा रहे चांदी के आभूषणअयोध्या में श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह का कार्यक्रम जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है वैसे-वैसै भगवान रघुनाथ की नगरी कुल्लू भी राममय हो रही है। यहां सुबह-सायं जय श्रीराम का उद्घोष हो रहा है। कुल्लू में वर्षों पहले अयोध्या से आकर यहां बस गए लोगों की खुशी का ठिकाना नहीं है।
कुल्लू का अयोध्या से गहरा संबंध
कुल्लू में 374 वर्ष पूर्व अयोध्या से कुछ लोग कुल्लू आए थे। यहां पर उनका पूरा वंश आगे बढ़ा है। आज भी वह यहां पर रह कर अयोध्या को याद करते हैं। इस कारण भगवान रघुनाथ की नगरी कुल्लू का अयोध्या से गहरा संबंध है। रविवार को कुल्लू में भगवान रघुनाथ जी के मंदिर में पूजा-अर्चना की गई और मकर संक्रांति का त्योहार मनाया गया। यहां पर भक्तों ने घी और खिचड़ी का प्रसाद ग्रहण किया।
मौका मिला तो जरूर जाऊंगी अयोध्या: शांता डोगरा
अयोध्या से आए परिवार की वंशज बुजुर्ग शांता डोगरा ने कहा कि बेहद प्रसन्नता है कि अयोध्या में श्रीरामलला स्थापित हो रहे हैं। वर्षों पुराना हमारा सपना पूरा हो गया है। आज श्रीराम मंदिर बनकर तैयार है। बकौल शांता डोगरा वहां पर जाने का मौका मिला तो जरूर जाऊंगी और भगवान श्रीराम के दर्शन करूंगी।
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22 जनवरी को ऐसे ऐतिहासिक पल के दिन हम लोग भगवान श्रीराम को याद करेंगे और सीधा प्रसारण जरूर देखेंगे। शांता डोगरा ने बताया कि हमारे बुजुर्ग जब भगवान रघुनाथ जी को कुल्लू लाए तो उसके बाद यहीं पर बस गए और आज हमारा पूरा परिवार यहीं पर रहता है।
कुल्लू से जा रही सामग्री में चौउंर जो याक के पूंछ के बाल से तैयार होती है, पूजा-पाठ के काम आती है। इसके अलावा पूजा में धूप, मोरमूठ व धड़छ आदि का प्रयोग होता है। चरण पादुकाएं देना भी शुभ माना जाता है। -दोतराम ठाकुर, अध्यक्ष, देवी-देवता कारदार संघ।
कुल्लू से अयोध्या के लिए चांदी के चरण पादुकाएं, चौकी, वस्त्र, चौकी, चौउंर ले जाई जाएगी। यह सारा सामान तैयार हो चुका है। 18 जनवरी को कुल्लू से रवाना होंगे और श्री रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में भाग लेंगे। -महेश्वर सिंह छडीबरदार भगवान रघुनाथ।
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