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Ram Mandir: 374 वर्षों पहले अयोध्या से लाई गई थी रघुनाथ जी की मूर्ति, अब रामलला के पास जा रहे चांदी के आभूषण

रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह जैसे जैसे नजदीक आ रही है वैसे वैसे लोगों का उत्साह भी बढ़ रहा है। कुल्लू में अयोध्या से लगभग 374 वर्ष पूर्व लाई गई भगवान रघुनाथ जी की मूर्ति होने से यहां का अयोध्या से गहरा नाता है। अब रामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा के लिए कुल्लू में भगवान रघुनाथ जी के दर से अयोध्या के लिए चांदी का आभूषण ले जाया जाएगा।

By davinder thakur Edited By: Nidhi Vinodiya Updated: Sat, 13 Jan 2024 11:32 PM (IST)
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देव विधि की सामग्री भी कुल्लू से जाएगी रामलला के स्थापना पर अयोध्या
दविंद्र ठाकुर, कुल्लू। अयोध्या में रामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा जैसे जैसे नजदीक आ रही है वैसे वैसे लोगों का उत्साह भी बढ़ रहा है। कुल्लू में अयोध्या से लगभग 374 वर्ष पूर्व लाई गई भगवान रघुनाथ जी की मूर्ति होने से यहां का अयोध्या से गहरा नाता है। अब अयोध्या में रामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा के लिए कुल्लू में भगवान रघुनाथ जी के दर से अयोध्या के लिए चांदी का आभूषण ले जाया जाएगा। इसके अलावा देव विधि की सामग्री भी रामलला के स्थापना पर अयोध्या ले जाई जाएगी। इसमें भगवान रघुनाथ का दुपट्टा सहित अन्य देव सामग्री है। इसके लिए तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी है। 

भगवान रघुनाथ जी के छड़ीबरदार महेश्वर सिंह स्वयं लेकर जाएंगे। कुल्लू से भगवान रघुनाथ जी के छड़ीबरदार महेश्वर सिंह, मुख्य पुजारी दिनेश कुमार, यशोदानंद बजीर अयोध्या में रामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा के लिए जाएंगे। कुल्लू से अयोध्या के लिए 18 जनवरी को रवाना होंगे इसके बाद पहले अयोध्या में रघुनाथ के मंदिर जाएंगे। जहां पर त्रेतानाथ का ठाकुर विराजमान है। इसके बाद रामलला विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा में भाग लेने जाएंगे और वहां पर कुल्लू से लाई सामग्री भेंट की जाएगी।

कुल्लू के सुल्तानपुर में होगा सुंदर कांड पाठ

कुल्लू में भगवान रघुनाथ जी के मंदिर में 22 जनवरी को ब्रह्म मुहूर्त में सुंदर कांड पाठ का आयोजन होगा। इसके अलावा रामायण का पाठ होगा और दिन भर मंदिर परिसर में भगवान राम का गुणगान किया जाएगा। इसमें भजन कीर्तन आरती और इसके उपरांत ब्रह्म भेज होगा। कुल्लू से कुल्लू टोपी और शॉल अयोध्या में महात्मा को भेंट की जाएगी। इसके लिए पूरी रूपरेखा तैयार की गई है देव विधि के अनुसार ही सारा कार्य किया जाएगा।

अयोध्या से भगवान रघुनाथ का नाता

कुल्लू के राजा जगत सिंह को ब्रह्म हत्या का शाप लग गया था जिससे उन्हें कोढ़ हो गया। ऐसे में एक बाबा पयहारी ने उन्हें बताया कि अयोध्या के त्रेतानाथ मंदिर से भगवान रघुनाथ की मुर्ति लाकर राजा उसके चरणामृत का सेवन व स्नान करेंगे तो लाभ होगा। इस पर पंडित दामोदर को वहां से मूर्ति लाने की जिम्मेदारी सौंपी गई। 1650 के दौरान बड़े जतन से जब मूर्ति को चुराकर हरिद्वार पहुंचे तो वहां उन्हें पकड़ लिया गया। उस समय ऐसा करिश्मा हुआ कि जब अयोध्या के पंडित मूर्ति को वापस ले जाने लगे तो वह इतनी भारी हो गई कि कइयों के उठाए से नहीं उठी और जब यहां के पंडित दामोदर ने उठाया तो मूर्ति फूल के समान हल्की हो गई। 

ऐसे में पूरे प्रकरण को स्वयं भगवान रघुनाथ की लीला जानकार अयोध्या वालों ने मूर्ति को कुल्लू लाने दिया। सबसे पहले इस मूर्ति का पड़ाव मंडी-कुल्लू की सीमा पर मकड़ासा में हुआ, जिसके बाद इसे मणिकर्ण के मंदिर में स्थापित किया गया। बाद में 1660 में रघुनाथ की मूर्ति को कुल्लू में स्थापित किया गया और उनके आगमन में राजा जगत सिंह ने यहां के सभी देवी-देवताओं को आमंत्रित किया, जिन्होंने भगवान रघुनाथ को सबसे बड़ा मान लिया। साथ ही राजा ने भी अपना राजपाठ त्याग कर भगवान को अर्पण कर दिया और स्वयं उनके मुख्य सेवक बन गए यह परंपरा आज भी कायम है। जिसमें राज परिवार का सदस्य रघुनाथ जी का छड़ीबरदार होता है।

कुल्लू में भगवान रघुनाथ मंदिर से अयोध्या के लिए चांदी का आभूषण ले जाया जाएगा। इसके अलावा कुछ सामग्री जाएगी जिसका देव विधि अनुसार ले जाया जाएगा। कुल्लू में 22 जनवरी को सुंदर कांड पाठ का आयोजन होगा और रामायण सहित भजन कीर्तन किया जाएगा।

महेश्वर सिंह छड़ीबरदार भगवान रघुनाथ।

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