पहले शाही स्नान और फिर कीमती आभूषणों से श्रृंगार, आज पीले वस्त्रों में नजर आएंगे भगवान रघुनाथ; श्रद्धालुओं का लगा रहता है तांता
आज भगवान रघुनाथ जी पीले वस्त्रों में नजर आएंगे। भगवान रघुनाथ जी के शरीर में प्रतिदिन वस्त्रों को बदला जाता है। हर दिन भगवान रघुनाथ जी का अस्थायी शिविर में पूरे विधि विधान से कार्य होता है। इसमें खाना खाने से कपड़े पहनने सोने का पूरा समय होता है। कीमती आभूषणों और सुंदर वस्त्रों से भगवान रघुनाथ का श्रृंगार किया गया है।
संवाद सहयोगी, कुल्लू। International Kullu Dussehra: अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव को लेकर अपने भगवान रघुनाथ जी इन दिनों ढालपुर में अपने अस्थायी शिविर में विराज मान है। यहां पर रोजाना दर्शन करने के लिए लोगों की भीड़ लगी रहती है।
पहले शाही स्नान और फिर किया जाता भगवान रघुनाथ का श्रृंगार
हर दिन भगवान रघुनाथ जी का अस्थायी शिविर में पूरे विधि विधान से कार्य होता है। इसमें खाना खाने से कपड़े पहनने, सोने का पूरा समय होता है। सबसे पहले भगवान रघुनाथ का का शाही स्नान किया जाता है। इसके बाद कीमती आभूषणों और सुंदर वस्त्रों से भगवान रघुनाथ का श्रृंगार किया गया है।
आज पीले वस्त्रों में नजर आएंगे भगवान रघुनाथ
आज भगवान रघुनाथ जी पीले वस्त्रों में नजर आएंगे। भगवान रघुनाथ जी के शरीर में प्रतिदिन वस्त्रों को बदला जाता है। इसमें सोमवार को सफेद रंग के वस्त्र, मंगलवार को लाल रंग के, बुधवार को हरे रंग के, वीरवार को पीले रंग के, शुक्रवार को सफेद रंग के, शनिवार को नीले रंग के तथा रविवार को लाल रंग के वस्त्रों को पहनाया जाता है।
छड़ीबदार महेश्वर सिंह करतें भगवान रघुनाथ की पूजा
शाम को आरती के बाद रघुनाथ, माता सीता और हनुमान जी के दर्शन सभी श्रद्धालुओं को करवाए जाते हैं। भगवान रघुनाथ जी को हर दिन के हिसाब से वस्त्र पहनाए जाते हैं। भगवान रघुनाथ के छड़ीबदार महेश्वर सिंह भगवान रघुनाथ की पूजा अर्चना करते हैं।
दिन में चार बार करते हैं आरती
महेश्वर सिंह भगवान रघुनाथ की दिन में चार बार आरती करते हैं। सुबह साढ़े सात बजे पूजा होती है। इसमें मात्र तिलक लगाया जाता है। दिन को 11 बजे भगवान रघुनाथ जी की पूजा की जाती है। जबकि दोपहर बाद चार बजे आरती की जाती है तथा रात सात बजे पूजा की जाती है देवी-देवताओं के महाकुंभ दशहरा उत्सव में भगवान रघुनाथ जी का अस्थाई शिविर आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। इसके अलावा ढालपुर मैदान में पहुंचे देवी-देवताओं की सुबह छह बजे से देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना शुरू होती है।
सीता माता के साथ सिंहासन पर विराजमान होते हैं भगवान रघुनाथ
पूजा अर्चना के दौरान भगवान रघुनाथ की नगरी वाद्ययंत्रों, शंख की ध्वनि से गूंजी। उत्सव में आए सैकड़ों देवी-देवता अपने अपने रीति रिवाज के साथ आरती करते हैं। पूजा अर्चना में सबसे अहम भगवान रघुनाथ की आरती होती है। भगवान रघुनाथ प्रतिदिन सीता माता के साथ अपने अस्थाई शिविर में अपने सिंहासन पर विराजमान होते हैं।
एक झलक पाने के लिए लगा रहता है श्रद्धालुओं का तांता
भगवान रघुनाथ के अस्थाई शिविर में उनके दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। पूजा करने के बाद यहां पर भजन कीर्तन का दौर चला जहां पर महिलाएं बच्चे बुजुर्ग भगवान की भगती में मग्न होकर नाचते गाते हैं। दिन भर भगवान रघुनाथ जी के आशीर्वाद को लोगों की भीड़ लगी रही।