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वादों की रेल को बजट की दरकार

हंसराज सैनी मंडी हिमाचल में रेल नेटवर्क को बढ़ावा देने की कवायद कई साल से चल रही है

By JagranEdited By: Published: Wed, 06 Jan 2021 06:54 PM (IST)Updated: Wed, 06 Jan 2021 06:54 PM (IST)
वादों की रेल को बजट की दरकार

हंसराज सैनी, मंडी

हिमाचल में रेल नेटवर्क को बढ़ावा देने की कवायद कई साल से चल रही है। हर बजट में उम्मीद जगती है, मगर बजट के बाद धूमिल हो जाती है। वादों की रेल को अब भी बजट की दरकार है। बजट के अभाव में रेल हिमाचल के पहाड़ नहीं चढ़ पा रही है। कच्चे व तैयार माल की ढुलाई के लिए उद्योग अब भी ट्रकों पर निर्भर हैं। प्रदेश के किसान व बागवानो को अपने उत्पाद अन्य राज्यों की मार्केट तक पहुंचाने में दो से तीन गुना ज्यादा मालभाड़ा देना पड़ रहा है। बस सेवा के अलावा प्रदेश की जनता के पास दूसरा कोई मजबूत विकल्प नहीं है।

सामरिक व पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण बिलासपुर-मनाली-लेह रेललाइन अभी सर्वेक्षण के दौर से गुजर रही है। पांच दौर का सर्वेक्षण पूरा हो चुका है। राष्ट्रहित के इस प्रोजेक्ट को धरातल पर उतारने के लिए अरबों रुपये के बजट की दरकार है।

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74 साल में एक इंच आगे नहीं बढ़ी दो रेललाइन

अंग्रेजों के समय बनी दो रेललाइन कालका-शिमला व पठानकोट-जोगेंद्रनगर 74 साल बाद एक इंच आगे नहीं बढ़ पाई हैं। दोनों रेललाइन को ब्रॉडगेज में बदलना तो दूर मौजूदा ट्रैक को सुचारू बनाए रखना रेलवे के लिए पहाड़ जैसी चुनौती बन गया है। हालांकि केंद्र सरकार ने मुहिम अवश्य शुरू की है, लेकिन वह नाकाफी है।

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31 साल में तलवाड़ा नहीं पहुंची रेल

नंगल-तलवाड़ा रेललाइन का खाका 1972 में तैयार हुआ था। नंगल से ऊना तक रेल पहुंचाने में 18 साल लग गए। 1990 में रेललाइन ऊना पहुंच गई। 31 साल बाद तलवाड़ा नहीं पहुंच पाई है। रेललाइन अभी दौलतपुर में लटकी है। इससे पकानकोट व जम्मू-कश्मीर को सीधा ऊना-नंगल से जोड़ने का सपना साकार नहीं हो पाया है।

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कागजों से बाहर नहीं आ पाई प्रस्तावित पिंजौर-नालागढ़ रेललाइन

औद्योगिक नगरी बीबीएन को रेल नेटवर्क से जोड़ने की करीब 30 साल पहले घोषणा हुई थी। बजट के अभाव में यह रेललाइन कागजों से बाहर नहीं निकल पाई है। कच्चा व तैयार माल उद्योगपतियों व आम लोगों के पास महंगी दरों पर पहुंच रहा है।

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गति नहीं पकड़ पाया भानुपल्ली-बिलासपुर टै्रक का काम

भानुपल्ली-बिलासपुर रेललाइन के निर्माण की गूंज हर चुनाव में सुनाई देती है। रेललाइन का काम शुरू होने से उम्मीद अवश्य जगी है। 2024 तक कार्य पूरा करने का लक्ष्य भी रखा है, मगर काम गति नहीं पकड़ पाया है। प्रथम चरण में 20 किलोमीटर रेललाइन का निर्माण हो रहा है। इसमें 10 किलोमीटर पंजाब व 10 किलोमीटर हिमाचल क्षेत्र में है। अभी 20 फीसद काम पूरा हुआ है।

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हिमाचल में रेल नेटवर्क को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार गंभीर है। रेलवे के अधिकारियों को नंगल-तलवाड़ा रेललाइन का बचा काम युद्धस्तर पर पूरा करने के निर्देश दिए हैं। जल्द ही यह रेललाइन पठानकोट व जम्मू-कश्मीर से जुड़ेगी। भानुपल्ली-बिलासपुर रेललाइन के काम में तेजी लाने के आदेश दिए गए हैं। 2024 से पहले काम पूरा होने की उम्मीद है।

-अनुराग ठाकुर, सदस्य हमीरपुर संसदीय क्षेत्र एवं केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री।

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बिलासपुर-मनाली-लेह रेललाइन का सर्वेक्षण पूरा हो चुका है। केंद्र सरकार निर्माण कार्य के लिए जल्द बजट स्वीकृत करेगी। यह रेललाइन सामरिक व पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। पठानकोट-जोगेंद्रनगर रेललाइन के नवीकरण का खाका तैयार हो चुका है। जल्द ही यह ट्रैक नए स्वरूप में नजर आएगा। इस पर काम चल रहा है।

-रामस्वरूप शर्मा, सदस्य मंडी संसदीय क्षेत्र।

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पिंजौर-नालागढ़ के बीच प्रस्तावित रेललाइन का मामला रेल मंत्रालय से उठाया है। जल्द काम शुरू होने की उम्मीद है। इससे बद्दी-बरोटीवाला व नालागढ़ (बीबीएन) के उद्योगों को बड़ी राहत मिलेगी। कालका-शिमला रेलमार्ग का भी कायाकल्प होगा। कांग्रेस ने अपने शासनकाल में रेल नेटवर्क को बढ़ावा देने के लिए गंभीरता से काम नहीं किया।

-सुरेश कश्यप, सदस्य शिमला संसदीय क्षेत्र एवं भाजपा प्रदेशाध्यक्ष।


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