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सेब को लेकर भाजपा ने उठाए सवाल; पैकिंग और वजन को लेकर दिक्कत में बागवान, कांग्रेस की आपस में गुत्थमगुत्था

Himachal Pradesh भाजपा ने सेब की बिक्री और प्रबंधन को लेकर हिमाचल सरकार पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि सेब बागवान अपने सेब को लेकर सड़क पर हैं और सुक्खू सरकार और इनके मंत्री व कांग्रेस के नेता आपस में गुत्थमगुत्था कर रहे हैं। सेब सीजन शुरू होने से पहले सरकार को जो प्रबंध करने चाहिए थे उन प्रबंधों में सरकार पूरी तरह फेल हुई है।

By Jagran NewsEdited By: MOHAMMAD AQIB KHANPublished: Wed, 05 Jul 2023 01:32 PM (IST)Updated: Wed, 05 Jul 2023 01:32 PM (IST)
सेब को लेकर भाजपा ने उठाए सवाल; पैकिंग और वजन को लेकर दिक्कत में बागवान : जागरण

मंडी, जागरण संवाददाता: हिमाचल प्रदेश का सेब बागवान अपने सेब को लेकर सड़क पर हैं और सुक्खू सरकार और इनके मंत्री व कांग्रेस के नेता आपसी गुत्थमगुत्था में हैं।

भाजपा वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मंत्री गोविंद ठाकुर और विधायक विनोद कुमार ने कहा कि सेब सीजन शुरू हो गया है। सेब सीजन शुरू होने से पहले सरकार को जो प्रबंध करने चाहिए थे, उन प्रबंधों में सरकार पूरी तरह फेल हुई है। सड़कें खराब हैं, भारी वाहनों का सड़कों से निकलना दुभर हो गया है, कोई चिंता करने वाला नहीं है।

भाजपा नेताओं ने कहा कि कांग्रेस सरकार के बागवानी मंत्री का तानाशाह व्यवहार है। उन्हें न तो बागवान के सेब की चिंता है, न ही इस बात की चिंता है कि जितना सेब पेटी में डाला जाए उसका पूरा दाम मिले। उन्होंने जो फरमान जारी कर दिया अब वो उनकी नाक का सवाल बन गया है।

कांग्रेस के विधायक, कांग्रेस के नेता, भाजपा नेता व बागवान लगातार यह मांग कर रहे थे कि यूनिवर्सल कॉर्टन जारी किया जाए परन्तु मंत्री जी तो मंत्री है, उन्होनें 24 किलो का फरमान जारी कर दिया।

बागवान की कट रही है जेब

भाजपा ने कहा कि पेटी में जो सेब की तहे लगेंगी व बराबर लगेंगी। वो तोलकर तो लगेगी नहीं और न ही चार सेब ज्यादा डाले सकते हैं, न ही चार सेब कम डाले जा सकते हैं और न ही बागवान के खेत में तोलने के लिए कंडे लगे हैं। ऐसे में बागवानों को उनके हाल पर छोड़ दिया गया। अब माल मंडी में जा रहा है। कहीं 2 किलो का कटान तो कहीं 4 किलो का कटान, बागवान की जेब कट रही है। भाजपा ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि बागवानी मंत्री के ऊपर न कांग्रेस पार्टी का कोई नियंत्रण है और न ही मुख्यमंत्री का कोई नियंत्रण है। बागवानों को सरकार के फैसले का इंतजार है।


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