Himachal News: कोमा मरीजों की हलचल पर रखी जा सकेगी नजर, IIT गुवाहाटी ने बनाया जेल आधारित मोशन सेंसर
आईआईटी गुवाहाटी (IIT Guwahati) ने जेल आधारित ऐसा उपकरण तैयार किया है जिससे कम लागत में कोमा मरीजों की हलचल पर नजर रखी जा सकेगी। जेल आधारित उपकरण मोशन सिग्नल को वायरलेस तरीके से रिकार्ड करने में सक्षम है। ये मरीज की सूक्ष्म गतिविधि को भी रिकॉर्ड कर लेता है। इस उपकरण के जरिए तीमारदारों और डॉक्टरों को काफी राहत मिलेगी।
हंसराज सैनी, मंडी। कोमा के मरीजों की निगरानी में अब तीमारदारों व चिकित्सकों को परेशानी नहीं होगी। कम लागत वाला मोशन सेंसर अब ऐसे मरीजों के शरीर की छोटी सी छोटी हलचल पर पैनी नजर रखेगा।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) गुवाहाटी के शोधार्थियों ने कम लागत वाला जेल आधारित पहनने योग्य उपकरण तैयार किया है, जो मोशन सिग्नल (गति संदेश) रिकार्ड करने में सक्षम है। आर्गेनो हाइड्रोजेल सेंसर कोमा जैसी स्थिति वाले मरीजों के शरीर पर लगाया जाता है।
वायरलेस उपकरण और स्मार्टफोन के माध्यम से लंबे समय तक सूक्ष्म गतिविधियों की निगरानी कर सकता है। यह स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों को रोगी की स्थिति और उचित हस्तक्षेप के लिए अमूल्य अंतदृष्टि प्रदान करेगा। पर्यावरण सहनशीलता के कारण उपकरण का उपयोग पर्वतारोहण जैसी चरम स्थितियों में भी किया जा सकता है।
कोमा में अंगों की सूक्ष्म गतिविधियों की निगरानी महत्वपूर्ण
वर्तमान में बाजार में जो जेल प्रौद्योगिकी उपलब्ध है। उसकी यांत्रिक गुणों की एक सीमा है। अत्यधिक खिंचाव और आत्म चिकित्सा क्षमताओं का अभाव है। इसके अलावा वह अक्सर चरम तापमान की स्थिति में संवेदनशीलता खो देते हैं। लचीले और पहनने योग्य इलेक्ट्रानिक्स मानव क्षमताओं को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
कृत्रिम त्वचा और अंगों की सहायता करने वाले प्रोस्थेटिक्स जैसी गतिविधियों में सहायता करने के लिए या बायो इलेक्ट्रॉनिक्स पहनने योग्य सेंसर, ऊर्जा संग्रहण उपकरणों और खिंचाव योग्य ऑप्टो इलेक्ट्रॉनिक उपकरण कपड़ों और मानव शरीर के साथ एकीकृत होते हैं।
खिंचाव योग्य पहनने वाले उपकरण शरीर के अंगों की मामूली गतिविधियों को ही महसूस कर पाते हैं। कोमा में अंगों की सूक्ष्म गतिविधियों की निगरानी महत्वपूर्ण प्रक्रिया है।
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