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Himachal News: कोमा मरीजों की हलचल पर रखी जा सकेगी नजर, IIT गुवाहाटी ने बनाया जेल आधारित मोशन सेंसर

आईआईटी गुवाहाटी (IIT Guwahati) ने जेल आधारित ऐसा उपकरण तैयार किया है जिससे कम लागत में कोमा मरीजों की हलचल पर नजर रखी जा सकेगी। जेल आधारित उपकरण मोशन सिग्नल को वायरलेस तरीके से रिकार्ड करने में सक्षम है। ये मरीज की सूक्ष्म गतिविधि को भी रिकॉर्ड कर लेता है। इस उपकरण के जरिए तीमारदारों और डॉक्टरों को काफी राहत मिलेगी।

By Jagran News Edited By: Deepak Saxena Updated: Mon, 15 Jul 2024 08:00 PM (IST)
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IIT गुवाहाटी ने कोमा मरीजों के लिए बनाया ये खास उपकरण।
हंसराज सैनी, मंडी। कोमा के मरीजों की निगरानी में अब तीमारदारों व चिकित्सकों को परेशानी नहीं होगी। कम लागत वाला मोशन सेंसर अब ऐसे मरीजों के शरीर की छोटी सी छोटी हलचल पर पैनी नजर रखेगा।

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) गुवाहाटी के शोधार्थियों ने कम लागत वाला जेल आधारित पहनने योग्य उपकरण तैयार किया है, जो मोशन सिग्नल (गति संदेश) रिकार्ड करने में सक्षम है। आर्गेनो हाइड्रोजेल सेंसर कोमा जैसी स्थिति वाले मरीजों के शरीर पर लगाया जाता है।

वायरलेस उपकरण और स्मार्टफोन के माध्यम से लंबे समय तक सूक्ष्म गतिविधियों की निगरानी कर सकता है। यह स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों को रोगी की स्थिति और उचित हस्तक्षेप के लिए अमूल्य अंतदृष्टि प्रदान करेगा। पर्यावरण सहनशीलता के कारण उपकरण का उपयोग पर्वतारोहण जैसी चरम स्थितियों में भी किया जा सकता है।

कोमा में अंगों की सूक्ष्म गतिविधियों की निगरानी महत्वपूर्ण

वर्तमान में बाजार में जो जेल प्रौद्योगिकी उपलब्ध है। उसकी यांत्रिक गुणों की एक सीमा है। अत्यधिक खिंचाव और आत्म चिकित्सा क्षमताओं का अभाव है। इसके अलावा वह अक्सर चरम तापमान की स्थिति में संवेदनशीलता खो देते हैं। लचीले और पहनने योग्य इलेक्ट्रानिक्स मानव क्षमताओं को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

कृत्रिम त्वचा और अंगों की सहायता करने वाले प्रोस्थेटिक्स जैसी गतिविधियों में सहायता करने के लिए या बायो इलेक्ट्रॉनिक्स पहनने योग्य सेंसर, ऊर्जा संग्रहण उपकरणों और खिंचाव योग्य ऑप्टो इलेक्ट्रॉनिक उपकरण कपड़ों और मानव शरीर के साथ एकीकृत होते हैं।

खिंचाव योग्य पहनने वाले उपकरण शरीर के अंगों की मामूली गतिविधियों को ही महसूस कर पाते हैं। कोमा में अंगों की सूक्ष्म गतिविधियों की निगरानी महत्वपूर्ण प्रक्रिया है।

अभिनव सामग्री में असाधारण खिंचाव की क्षमता 1000 प्रतिशत

इस अंतर को पाटते हुए आईआईटी गुवाहाटी के रसायन विज्ञान विभाग के प्रोफेसर देबप्रतीम दास के नेतृत्व में एक शोध समूह ने एक आर्गेनो हाइड्रोजेल विकसित किया है। इस अभिनव सामग्री में असाधारण खिंचाव क्षमता 1000 प्रतिशत अधिक है। यह 100 चक्रों से अधिक समय तक कायम रहता है।

आत्म चिकित्सा क्षमता, एंटी फ्रीजिंग, चालकता, साथ ही असाधारण यांत्रिक शक्ति और चिपकने वाले गुण भी विद्यमान हैं। इसे माइनस 20 डिग्री सेल्सियस तापमान पर लंबे समय तक रखा जा सकता है।

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माइनस 20 से 40 डिग्री सेल्सियस तक पर्यावरणीय सहनशीलता सुनिश्चित करने के लिए ग्लिसरीन और पानी के सटीक अनुपात का उपयोग किया गया है। जेल की असाधारण जैव अनुकूलता है। इससे मानव त्वचा पर बिना किसी दुष्प्रभाव के सुरक्षित रूप से लगाया जा सकता है।

मुस्कुराने और भौंहें चढ़ाने जैसी सूक्ष्म गतिविधियों का पता लगाने में सक्षम

आईआईटी गुवाहाटी के जैव विज्ञान एवं जैव इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर बिमान बी मंडल का कहना है कि सेंसर ने कोहनी, अंगुली और कलाई के मुड़ने जैसी प्रमुख मानव संयुक्त गतिविधियों के साथ निगलने के दौरान गले के चारों ओर मांसपेशियों की गतिविधि, मुस्कुराने और भौंहें चढ़ाने जैसी सूक्ष्म गतिविधियों का पता लगाने में उच्च संवेदनशीलता दिखाई है।

पर्यावरण सहनशीलता के कारण उपकरण का उपयोग पर्वतारोहण जैसी चरम स्थितियों में भी किया जा सकता है। विकसित उपकरण स्मार्टफोन के ब्लूटुथ के माध्यम से जुड़ा रहेगा। स्मार्ट जेल के विकृति पर सिग्नल रिकॉर्ड होते रहेंगे।

एसीएस एप्लाइड मैटेरियल एंड इंटरफेसेस जर्नल में प्रकाशित हुआ शोध

इस शोध के निष्कर्ष अमेरिका के प्रतिष्ठित एसीएस एप्लाइड मैटेरियल एंड इंटरफेसेस जर्नल में प्रकाशित हुए हैं। सह लेखकों में रित्विका कुशवाहा, सौरदीप डे, कनिका गुप्ता शामिल हैं।

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