बॉलीवुड से राजनीति तक... आसान नहीं रहा सफर, 2019 के बाद कंगना रनोट ने इस कारण बदला अपना मन
अभिनेत्री कंगना रनोट की राजनीति में आने की ख्वाहिश को BJP ने पूरा किया है। हिमाचल की हाई प्रोफाइल सीट से कंगना चुनाव लड़ने वाली हैं। बॉलीवुड से राजनीति तक का सफर उतार-चढ़ाव भरा रहा। एक्ट्रेस राजनीति के बारे में दूर-दूर तक भी नहीं सोचती थीं तो फिर आखिर ऐसा क्या हुआ कि उन्होंने राजनीति में आने का मन बना लिया आइए इस लेख के माध्यम से जानते हैं।
डिजिटल डेस्क, मंडी। सोशल मीडिया पर कंगना रनोट (Kangana Ranaut) एक बार फिर चर्चा में आ गई हैं। दरअसल, मंडी से कंगना रनोट को टिकट मिलने के बाद कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत के सोशल मीडिया हैंडल से एक आपत्तिजनक पोस्ट शेयर की गई थी, जिस पर विवाद खड़ा होने के बाद श्रीनेत ने इसे लेकर सफाई भी दी। इतना ही नहीं, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इस विवाद के बीच कंगना को प्रदेश की बेटी कहा है। साथ ही ये भी कहा कि उनके पिताजी का कांग्रेस पार्टी में काफी योगदान रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी की सरकार 2014 में बनी थी, यह वही साल था, जब कंगना रनोट की फिल्म क्वीन भी रिलीज हुई थी और उन्हें एक अलग पहचान मिली थी। अब बॉलीवुड में कंगना का दबदबा था। 2019 तक कंगना रनोट को कई कार्यक्रमों में यह भी कहते सुना गया कि मैं राजनीति में तो कतई नहीं आना चाहती, फिर आखिर उन तीन सालों में ऐसा क्या हुआ कि उन्होंने राजनीति में आने का मन बना लिया? आइए समझते हैं...
बात साल 2020 की है। जब अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की रहस्यमयी तरीके से मौत हुई थी। इसके बाद कंगना रनोट सोशल मीडिया पर मुखर रहीं और न्याय की गुहार भी लगाती दिखी थीं। इसी बीच एक्स पर एक पोस्ट में उन्होंने मुंबई पुलिस की आलोचना भी की थी।
कंगना ने एक्स पर अपनी पोस्ट में लिखा था
'एक बड़े स्टार के मारे जाने के बाद मैंने ड्रग और फिल्म माफिया के रैकेट के बारे में आवाज उठाई। मैं मुंबई पुलिस पर भरोसा नहीं करती, क्योंकि उन्होंने सुशांत सिंह राजपूत की शिकायत को नजरअंदाज किया था। उन्होंने सबसे कहा था कि वो लोग उसे मार देंगे, बावजूद इसके उन्हें मार दिया गया। मैं असुरक्षित महसूस करती हूं।'
इसके बाद शिवसेना नेता संजय राउत का एक बयान सामने आया। इसमें उन्होंने कहा कि कंगना को अगर मुंबई पुलिस से डर लगता है, तो वे मुंबई न आएं।
इसके बाद कंगना ने सोशल मीडिया पर एक और पोस्ट किया। इसमें उन्होंने लिखा, 'संजय राउत ने मुझे खुले में धमकी दी है और मुंबई नहीं आने को कहा है। मुंबई की गलियों में आजादी ग्रैफिटी और अब खुली धमकी। मुंबई पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर जैसी फीलिंग क्यों दे रहा है?'
फिर महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने भी कहा कि अगर कोई मुंबई को कोस रहा है, तो उसे मुंबई में रहने का कोई हक नहीं है। संजय राउत ने अनिल देशमुख के बयान का समर्थन भी किया था।विवाद यहीं नहीं थमा... इसके बाद कंगना रनोट को अचानक बीएमसी द्वारा अवैध निर्माण को लेकर नोटिस भेजा जाता है और मुंबई स्थित दफ्तर का एक हिस्सा BMC द्वारा तोड़ दिया जाता है।
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आज मेरा घर टूटा है, कल तेरा घमंड टूटेगा... कंगना इसके बाद हिमाचल से मुंबई पहुंचती हैं और फिर एक वीडियो पोस्ट कर उद्धव ठाकरे पर हमला बोल देती हैं। इस वीडियो में उन्होंने कहा था कि तुझे क्या लगता है तूने फिल्म माफिया के साथ मिलकर मेरा घर तोड़कर मुझसे बदला लिया है? आज मेरा घर टूटा है, कल तेरा घमंड टूटेगा। यह वक्त का पहिया है, याद रखना हमेशा एक जैसा नहीं रहता। यह भी पढ़ें: Kangana Ranaut: पीएम का आभार जताने दिल्ली रवाना हुईं कंगना रनौत, अब इस दिन वापस लौट प्रचार-प्रसार में जुटेंगी क्वीन कंगना ने वाई प्लस सुरक्षा की मांग करते हुए हिमाचल प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को पत्र लिखा था। इसमें उन्होंने स्वयं को हिमाचल की बेटी बताया था। सुरक्षा मिलने के बाद कंगना ने बीजेपी का समर्थन करना शुरू कर दिया।सोशल मीडिया पर किया बीजेपी का समर्थन
समय-समय पर वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ में पुल बांधते दिखीं। उन्होंने ये भी कहा कि प्रधानमंत्री जी साधारण मनुष्य नहीं है। वे एक तरह से अवतार हैं। फिर राम मंदिर मामले में भी कंगना ने कहा कि ये 500 साल का संघर्ष है। सीएम योगी की भी इसमें अहम भूमिका रही है।2015 में ब्रांड एम्बेसडर बनाने की चर्चा
हिमाचल में 2015 में वीरभद्र सिंह की सरकार थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए नई योजनाएं बना रहे थे। उस समय वीरभद्र उन्हें हिमाचल प्रदेश का ब्रांड एम्बेसडर बनाने पर विचार कर रहे थे। हालांकि, उस समय बात नहीं बन पाई।साल 2022 में राजनीति में आने का बनाया मन
2022 में कंगना के पिता अमरदीप सिंह ने दैनिक जागरण से बातचीत करते हुए कहा था कि उनकी बेटी कंगना राजनीति में आना चाहती हैं। इसके बाद ऐसी खबरें मिलने लगीं कि बीजेपी उन्हें मंडी सीट से टिकट दे सकती है और ऐसा हुआ भी।कांग्रेस के विधायक रहे परदादा
- सरजू सिंह ने 1951 में त्रिफालघाट विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा था।
- निर्दलीय उम्मीदवार कांशी नाथ को 67 वोटों से हराया था।
- सरजू सिंह को 1376 वोट मिले थे।
- परदादा सरजू सिंह को 24.77 फीसदी वोट मिला था।
बीजेपी राष्ट्रीय नेतृत्व ने मेरी जन्मभूमि मंडी से लोकसभा टिकट दिया है। शीर्ष नेतृत्व ने जो विश्वास जताया है, उस पर खरा उतरने की कोशश करूंगी।
-कंगना रनोट, मंडी से बीजेपी प्रत्याशी