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आपदा के बाद राहत और पुनर्वास हिमाचल की बड़ी चुनौती, बिगड़ेगी वित्तीय स्थिति; 10 हजार करोड़ से अधिक का नुकसान

इस बार मानसून ने खुब कहर बरपाया है। पिछले दो माह में भारी वर्षा भूस्खलन और बादल फटने से निजी व सरकारी संपत्ति को 10000 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है। आपदा के बाद अब प्रभावितों को राहत पहुंचाना एवं उनका पुनर्वास सरकार के समक्ष बड़ी चुनौती बन गया है। प्रदेश में पहले से ही आर्थिक संकट जैसे हालात हैं।

By Jagran NewsEdited By: Nidhi VinodiyaUpdated: Sun, 27 Aug 2023 02:12 PM (IST)
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आपदा के बाद हिमाचल सरकार के सामने छाएगा वित्तीय संकट, फाइल फोटो
मंडी, हंसराज सैनी। देवभूमि हिमाचल में इस बार मानसून ने खुब कहर बरपाया (Heavy Rains In Himachal) है। पिछले दो माह में भारी वर्षा, भूस्खलन और बादल फटने (Rain, Landslide and Cloud Bust in Himachal) से निजी व सरकारी संपत्ति को 10,000 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान (Loss of More than10 Thousand Crore) हुआ है।

आपदा के बाद अब प्रभावितों को राहत पहुंचाना एवं उनका पुनर्वास सरकार के समक्ष बड़ी चुनौती बन गया है। प्रदेश में पहले से ही आर्थिक संकट जैसे हालात हैं। अब आपदा से और वित्तीय स्थिति बिगड़ेगी। राहत कार्यों के लिए पर्याप्त वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए सरकार को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा।

आपदा प्रभावित राज्य घोषित करने की मांग

यही वजह है कि प्रदेश सरकार बार बार केंद्र से आर्थिक सहायता और हिमाचल को आपदा प्रभावित राज्य घोषित करने की मांग कर रही है। आपदा से सबसे अधिक मंडी,शिमला,सोलन,सिरमौर,कांगड़ा व कुल्लू जिला प्रभावित है। अन्य जिलों में भारी नुकसान हुआ है। प्रदेश भर में 2400 से अधिक घर ध्वस्त हो चुके हैं। 10338 घर आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं। अधिकतर घर पहाड़ों की ढलानों पर बने थे। प्रभावितों में करीब 90 प्रतिशत लोग ऐसे हैं, जिनके पास मात्र घर जितनी जमीन थी। घर के साथपहाड़ भी जमींदोज हो चुके है। ऐसे प्रभावित अब दोहरे संकट में हैं। घर बनाए भी तो आखिर कहां।

अब उपलब्ध भूमी का मालिक होगा वन विभाग

प्रभावितों को घर बनाने के लिए जमीन देना सरकार के लिए आसान नहीं है। शहरी क्षेत्रों में दूर दूर तक भूमि उपलब्ध नहीं है। आसपास के क्षेत्रों में जो अगर कहीं भूमि उपलब्ध भी है तो उसका मालिक वन विभाग है। वन भूमि घर बनाने के लिए प्रभावितों को स्वीकृत उतना आसान नहीं है। जितना माना जा रहा है। वन कानून अधिकार (एफआरए) और वन संरक्षण अधिनियम (एफआरए) इसे बाधा बनेगा।

प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 6000 घर स्वीकृत किए

केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय की स्वीकृति के बिना प्रदेश सरकार वन भूमि किसी को नहीं दे सकती। आपदा से जिन लोगों के घर ध्वस्त होते हैं। सरकार की ओर से 1.30 लाख रुपये मुआवजे का प्रावधान है। जबकि यहां लोगों के करोड़ों रुपये कीमत के घर ध्वस्त हुए हैं। भले ही केंद्र सरकार ने प्रभावितों के जख्मों पर मरहम लगाने के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 6000 घर स्वीकृत किए हैं। इसमें मात्र 1.75 लाख रुपये का प्रावधान है।

कर्मचारियों का एरियर व महंगाई भत्ते की दो किस्तें लंबित

प्रदेश में तीन लाख से अधिक सरकारी कर्मचारी हैं। छठे वेतन आयोग के एरियर का अभी भुगतान नहीं हो पाया है। महंगाई भत्ते की दो किस्तें लंबित हैं। सरकार को भुगतान करने के लिए करीब 1000 करोड़ रुपये चाहिए। आपदा के कारण कर्मचारियों को हाेने वाले भुगतान में देरी होना तय है।

कीरतपुर-मनाली फोरलेन व लारजी प्रोजेक्ट काे 1600 करोड़ का नुकसान

उद्घाटन के लिए तैयार कीरतपुर मनाली फोरलेन को करीब 1000 करोड़ व राज्य बिजली बोर्ड को 126 मेगावाट क्षमता के लारजी पनविद्युत प्रोजेक्ट में गाद व पानी घुसने से 600 करोड़ का नुकसान हुआ है। प्रदेश भर में सड़कों को भारी क्षति पहुंची है। सब्जी,सेब खेत व बगीचे में सड़ने से किसानों व बागवानों की कमर टूट चुकी है। आपदा से सरकार के साथ लोगों की वित्तीय स्थिति नाजुक बन गई है।

आपदा से मिली चुनौती बहुत बड़ी है। इससे कैसे निपटा जाए। विशेषज्ञों की राय ली जा रही है। प्रभावितों को कैसे अधिक से अधिक राहत मिले। मंत्रिमंडल की बैठक में इस पर निर्णय लिया जाएगा। फिलहाल सरकार की प्राथमिकता प्रभावितों तक राहत पहुंचाना है। केंद्र उत्तराखंड की तर्ज पर आपदा प्रभावित हिमाचल को आर्थिक पैकेज दें।

मुकेश अग्निहोत्री,उपमुख्यमंत्री हिमाचल प्रदेश

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