Himachal News: जोगेंद्रनगर में आंगनबाड़ी वर्कर्स का धरना-प्रदर्शन, सरकार से मानदेय और रूम रेंट की मांग
जोगेंद्रनगर में आंगनबाड़ी वर्कर्स और हेल्पर्स ने धरना प्रदर्शन किया जहां प्रदेश सरकार होश में आओ के नारों से गूंज उठा। प्रदर्शन कर रही महिलाओं का कहना है कि सरकार ने नई शिक्षा नीति में आइसीडीएस के निजीकरण की बात कही है। मिनी आंगनबाड़ी केंद्रों को बंद करने और मर्ज करने की भी बात कही गई है। वर्कर्स को 8 महीने से मानदेय और रूम रेंट नहीं मिला है।
संवाद सहयोगी, जोगेंद्रनगर। आंगनबाड़ी वर्कर्स व हेल्पर्स यूनियन की चौंतड़ा व द्रंग प्रोजेक्ट कमेटियों के बैनर तले शुक्रवार को मंडी के जोगेंद्रनगर में धरना प्रदर्शन किया गया। इस दौरान मिनी सचिवालय प्रदेश सरकार होश में आओ के नारों से गूंज उठा।
महिलाओं के इस धरने प्रदर्शन में सीटू के जिला महासचिव राजेश शर्मा व सुदर्शना ने कहा कि सरकार ने नई शिक्षा नीति लाई है, इसमें साफ लिखा गया है कि पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप यानि कि आइसीडीएस के निजीकरण की तरफ आइसीडीएस को लेकर जाएंगे।
मिनी आंगनबाड़ी केंद्रों को बंद करने व मर्ज करने की बात कही गई है। आंगनबाड़ी चौंतड़ा प्रोजेक्ट कमेटी की प्रधान तमन्ना व द्रंग कमेटी की उपाध्यक्ष कमलेश ने मिनी केंद्रों की वर्कर्स को बकाया मानदेय तथा सेंटर का रूम रेंट शीघ्र देने की मांग की।
सभी वर्कर्स व हेल्पर्स को हरियाणा व केरल की तरह 14000 व 7500 रुपये मानदेय दिया जाए। धरने प्रदर्शन के मुख्य वक्ता कुशाल भारद्वाज ने कहा कि एकीकृत बाल विकास योजना (आइसीडीएस) प्रारंभिक बाल्यावस्था विकास के लिए विश्व के सबसे बड़े और सबसे अनूठे कार्यक्रमों में से एक है तथा यह बच्चों के प्रति भारत की प्रतिबद्धता का सबसे प्रमुख प्रतीक है।
केंद्र की मोदी सरकार इस योजना को ही बंद करना चाहती है। बीते 8 महीने से मिनी वर्कर्स को मानदेय नहीं मिला है और न ही रूम रेंट मिला है। इससे पहले रामलीला मैदान से एसडीएम कार्यालय तक सीटू जिला सचिव राजेश शर्मा, सह सचिव गोपेंद्र, यूनियन की जिला सचिव सुदर्शना शर्मा, चौंतड़ा प्रोजेक्ट कमेटी की प्रधान तमन्ना, अर्चना, रानी द्रंग प्रोजेक्ट कमेटी की उपाध्यक्ष कमलेश तथा किसान सभा के राज्य उपाध्यक्ष कुशाल भारद्वाज के नेतृत्व में विशाल जुलूस निकाला तथा एसडीएम कार्यालय के प्रांगण में जोरदार धरना प्रदर्शन किया। एसडीएम के माध्यम से प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री को ज्ञापन भी दिए।
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