Move to Jagran APP

IIT मंडी के प्रशिक्षुओं ने तैयार किया अल्ट्रा लो कास्ट बेबी इनक्यूबेटर, स्ट्रेचर व एंबुलेंस में भी लग सकेगा

IIT मंडी के प्रशिक्षुओं बेबी इनक्यूबेटर तैयार किया है। खास बात ये है कि इसे एंबुलेंस में भी लगाया जा सकेगा। इससे नवजात या बच्चा समय पर बड़े अस्पताल में पहुंच पाएगा। आइआइटी मंडी के मैकेनिकल इंजीनियरिंग तीन प्रशिक्षुओं केशव वर्मा मोहित कुमार सैनी व वत्सल हरिरमणी ने सहायक प्रोफेसर डॉ गजेंद्र सिंह की देखरेख में मात्र 30 हजार रुपये में अल्ट्रा लो कास्ट बेबी इनक्यूबेटर तैयार किया है।

By Jagran NewsEdited By: Gurpreet CheemaUpdated: Fri, 30 Jun 2023 05:53 PM (IST)
Hero Image
IIT मंडी के प्रशिक्षुओं ने अल्ट्रा लो कास्ट बेबी इनक्यूबेटर तैयार किया है।
मंडी, हंसराज सैनी। नवजात के लिए थर्मल शॉक (तापमान सदमा) जानलेवा नहीं बनेगा, न ही गंभीर बीमारी में उन्हें किसी भी बड़े अस्पताल में ले जाने में दिक्कत आएगी। अब स्ट्रेचर व एंबुलेंस में भी इनक्यूबेटर लग सकेगा। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) मंडी के प्रशिक्षुओं ने बेबी इनक्यूबेटर तैयार किया है। तीमारदारों को अब बड़े शहरों से नियोनेटल एंबुलेंस नहीं मंगवानी पड़ेगी और न ही घंटों इंतजार करना होगा।

घर-द्वार पर इनक्यूबेटर से लैस एंबुलेंस की सुविधा मिलेगी। इससे समय व पैसे दोनों की बचत होगी। नवजात या बच्चा समय पर बड़े अस्पताल में पहुंच पाएगा। इनक्यूबेटर एक उपकरण है, जिसका उपयोग नवजात के शरीर के तापमान को सुरक्षित रखने के लिए किया जाता है। आइआइटी मंडी के मैकेनिकल इंजीनियरिंग द्वितीय वर्ष के तीन प्रशिक्षुओं केशव वर्मा, मोहित कुमार सैनी व वत्सल हरिरमणी ने सहायक प्रोफेसर डॉ गजेंद्र सिंह की देखरेख में मात्र 30 हजार रुपये में अल्ट्रा लो कास्ट बेबी इनक्यूबेटर तैयार किया है।

बाजार में उपलब्ध इनक्यूबेटर को एंबुलेंस में लगाना असंभव

फिलहाल मार्केट में उपलब्ध जो बेबी इनक्यूबेटर है, उसकी कीमत पांच से आठ लाख रुपये है। साथ ही उसे स्ट्रेचर व आम एंबुलेंस में लगाना संभव नहीं है। नियोनेटल (नवजात शिशु) एंबुलेंस बड़े शहरों में ही उपलब्ध हैं। आइआइटी मंडी स्किल इंडिया के तहत पहाड़ी राज्यों के हर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में सस्ता बेबी इन्क्यूबेटर उपलब्ध करवाना चाहता है, ताकि नवजात व बच्चों को घर-द्वार पर बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मिल सके। नवजात को थर्मल शॉक से बचाने के लिए 37.6 डिग्री सेल्सियस तापमान आवश्यक नवजात से लेकर एक माह तक के बच्चे को थर्मल शाक (तापमान सदमा) से बचाने के लिए 37.6 डिग्री सेल्सियस तापमान आवश्यक होता है।

प्री मिच्योर बेबी के लिए जरूरी होता है इनक्यूबेटर

जिन बच्चों का समय से पहले जन्म हो जाता है। उनकी जिंदगी के लिए शुरुआत में इनक्यूबेटर ही सहारा होता है। ऐसे बच्चों को बड़े अस्पतालों में स्थानांतरित करना जोखिम भरा रहता है। सर्दी में जिन राज्यों में बर्फ पड़ती है। तापमान शून्य डिग्री से नीचे चला जाता है वहां ऐसे बच्चों की जिंदगी बचाना पहाड़ जैसी चुनौती होता है। कुल्लू सीएमओ और बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. नागराज की मानें तो गंभीर बीमार बच्चे को दूसरे अस्पताल में इनक्यूबेटर के बिना शिफ्ट करना जोखिम भरा रहता है। आइआइटी मंडी की ओर से विकसित बेबी इनक्यूबेटर इस समस्या से निजात दिला सकता है।

अल्ट्रा लो कास्ट बेबी इनक्यूबेटर की खूबियां

  • तापमान को 35 से 38 डिग्री सेल्सियस व सापेक्ष आर्द्रता को 50 से 60 प्रतिशत बनाए रखता है। अधिक तापमान वाली स्थिति में कम करने की क्षमता।
  • पैरामीटर्स को एंड्राइड एप्लीकेशन से नियंत्रित कर सकेंगे। -रिमोट एक्ससेस से इसे दुनिया के किसी कोने से नियंत्रित किया जा सकता है। इनक्यूबेटर हाटस्पाट सुविधा से लैस है।
  • पूरे इनक्यूबेटर को खोले बिना दो खिड़कियों के माध्यम से बच्चे तक पहुंच सकते हैं। इससे इनक्यूबेटर का तापमान नहीं गिरेगा।
  • एंबुलेंस से बिजली आपूर्ति प्राप्त करने में समक्ष। जिलास्तर के अस्पतालों में बेबी इन्क्यूबेटर की सुविधा है।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।