Mandi: पहाड़ों की अवैज्ञानिक कटिंग, अतिक्रमण और खनन ने लिखी विनाश की कहानी; तब ही बारिश से मचा कहर
फोरलेन निर्माण के लिए पहाड़ों की अवैज्ञानिक कटिंगअतिक्रमण और खनन विनाश की कहानी लिखने लगा है। ब्लास्टिंग और मशीनरी के अधिक प्रयोग से बिलासपुर से कुल्लू तक पहाड़ पूरी तरह खोखले हो चुके हैं। अब धीरे-धीरे सभी पहाड़ दरकने लगे हैं। फोरलेन के किनारे कहीं पर भी पानी निकासी का उचित प्रबंध नहीं है। निकासी के लिए जो नालियां बनाई गई हैं।
मंडी, हंसराज सैनी। Mandi Rain: फोरलेन निर्माण के लिए पहाड़ों की अवैज्ञानिक कटिंग,अतिक्रमण और खनन विनाश की कहानी लिखने लगा है। ब्लास्टिंग और मशीनरी के अधिक प्रयोग से बिलासपुर से कुल्लू तक पहाड़ पूरी तरह खोखले हो चुके हैं। अब धीरे-धीरे सभी पहाड़ दरकने लगे हैं। पहाड़ों के दरकने से फोरलेन के अस्तित्व पर प्रश्न चिन्ह लग गया है।
पानी निकासी का नहीं उचित प्रबंध
दरकते पहाड़ों को कैसे रोका जाए। एनएचएआइ के पास फिलहाल इसका कोई तोड़ नहीं है। थलौट से मनाली तक ब्यास नदी भी फोरलेन कोस तबाह करने पर उतर गई है। फोरलेन के किनारे कहीं पर भी पानी निकासी का उचित प्रबंध नहीं है। निकासी के लिए जो नालियां बनाई गई हैं। वह मात्र शोपीस बनकर रह गई है। बारिश का पानी फोरलेन पर बह रहा है। जलभराव वाहन चालकों के लिए चुनौती बन गया है। नालियों के अभाव में बारिश का पानी लोगों के घरों में घुस रहा है। इससे फोरलेन किनारे रहने वाले लोगों के लिए नहीं मुश्किल खड़ी हो गई है।
नागचला और डडौर में चार-पांच फीट तक भरा पानी
सबसे अधिक परेशानी का सामना कनैड़, भौर, डडौर, नागचला, भड़याल और बैहना के लोगों को करना पड़ रहा है। नागचला और डडौर में चार से पांच फीट तक जलभराव होने से वाहनों के पहिये थम रहे हैं। यहां लोगों के घरों पर भी खतरे के बादल मंडरा रहे हैं। वहीं, अतिक्रमण और खनन से सुकेती खड्ड के किनारे सिकुड़ गए हैं।
सुकेती खड्ड में लगातार बढ़ रही परेशानियां
खड्ड के बहाव में बदलाव हुआ है। तीन दिन से खड्ड अब कहर बरपा रही है। नेरचौक शहर का आधे से ज्यादा हिस्सा रोज जलमग्न हो रहा है। यहां आटोमोबाइल मार्केट में कारोबार ठप पड़ा है। सुकेती खड्ड में कई वर्षों से अवैध रूप से खनन हो रहा है। कंसा चौक के बहाव में आए बदलाव से कंसा चौक मैदान का आधे से ज्यादा हिस्सा बह गया है।
तेजी से हो रहा भूमि का कटाव
यहां मैदान के अस्तित्व पर खतरा पैदा हो गया है। बड़ी तेज से भूमि कटाव हो रहा है। केएमसी कंपनी की कोताही सिंहन और बैहना गांव के लोगों पर भारी पड़ रही है। जगह जगह की गई डंपिंग से चक्कर से आगे पानी की निकासी सही प्रकार से नहीं हो पा रही है। इससे कई गांवों में जलभराव हो रहा है।