Bilaspur News: हुनर की पाठशाला में कैदी बुन रहे वर्दी, मिसाल बन रही बिलासपुर जेल की ये कहानी
बिलासपुर जेल में कैदी अपने हुनरमंद हाथों से धागा बना रहे हैं जिससे वर्दी तैयार की जा रही है। यह पहल कैदियों के सुधार और पुनर्वास के प्रयासों को मजबूत कर रही है। धागे बनाने में उनकी मेहनत धैर्य व संकल्प झलकता है। यह काम न केवल उन्हें व्यस्त रखता है बल्कि उन्हें एक रचनात्मक गतिविधि में शामिल करता है जो उनके आत्मसम्मान को बढ़ाने में मदद करता है।
हंसराज सैनी, मंडी। हिमाचल प्रदेश की जिला एवं मुक्त कारागार बिलासपुर की दीवारों के भीतर अपने अपराधों की सजा काट रहे कैदी एक नई कहानी बुन रहे हैं। यह कहानी न केवल जेल सुधारों की एक मिसाल है, बल्कि कैदियों की मेहनत, आत्मनिर्भरता और आत्मसुधार की यात्रा की भी प्रतीक है। हुनरमंद हाथों से कैदी धागा बना रहे हैं, जिससे वर्दी तैयार की जा रही है। यह धागा न केवल कपड़ों को जोड़ रहा है, बल्कि कैदियों को समाज के साथ जोड़ने में महत्वपूर्ण कदम है।
जेल में कैदियों को दिया जा रहा प्रशिक्षण
बिलासपुर जेल में कैदियों को आत्मनिर्भर बनाने और उन्हें व्यावसायिक कौशल से सशक्त करने के उद्देश्य से बुनाई का काम हो रहा है। कैदियों को धागा बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
यह पहल कैदियों के लिए एक सृजनात्मक कार्य के रूप में उभरी है जो उनके सुधार और पुनर्वास के प्रयासों को मजबूत कर रही है। जेल प्रशासन इस प्रशिक्षण के माध्यम से कैदियों को बेहतर भविष्य के लिए तैयार कर रहा है ताकि वे हुनर का इस्तेमाल कर अपने पैरों पर खड़े हो सकें।
धागे की बुनाई में छिपी मेहनत
कैदियों द्वारा धागा बनाने का काम केवल एक शारीरिक गतिविधि नहीं है, बल्कि यह उनके मानसिक और भावनात्मक सुधार का भी एक माध्यम बन रहा है। धागे बनाने में उनकी मेहनत, धैर्य व संकल्प झलकता है। यह काम न केवल उन्हें व्यस्त रखता है, बल्कि उन्हें एक रचनात्मक गतिविधि में शामिल करता है जो उनके आत्मसम्मान को बढ़ाने में मदद करता है।
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