Lahaul Spiti By Election Result 2024: लाहुल-स्पीति से कांग्रेस की अनुराधा राणा बनीं विजेता, 52 वर्ष बाद क्षेत्र को मिली दूसरी महिला विधायक
दिन ढलने के साथ ही लोकसभा और विधानसभा चुनाव के नतीजे अब धीरे-धीरे सामने आने लगे हैं। इसी क्रम में शीत मरुस्थल लाहुल स्पीति से जीत हासिल करने वाले प्रत्याशी का नाम भी सामने आ चुका है। यहां से कांग्रेस उम्मीदवार अनुराधा राणा ने जीत अपने नाम दर्ज की है। अनुराधा की जीत के साथ ही लाहुल स्पीति को 52 वर्ष बाद मिली दूसरी महिला विधायक मिली है।
जागरण संवाददाता, मंडी। शीत मरुस्थल लाहुल स्पीति को 52 वर्ष बाद दूसरी महिला विधायक मिली है। अनुराधा राणा विधानसभा सदस्य निर्वाचित हुई हैं। साल 1972 में यहां से लता ठाकुर कांग्रेस के टिकट पर विधायक बनी थीं। वह पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की नजदीकी और भाजपा प्रत्याशी रवि ठाकुर की माता थीं। लाहुल स्पीति की जनता ने भाजपा प्रत्याशी रवि ठाकुर व निर्दलीय डॉ. रामलाल मार्कंडेय को नकार दिया।
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एकाएक पलट गई बाजी
मतगणना के पहले चार चरणों में निर्दलीय डॉ. रामलाल मार्कंडेय ने बढ़त बनाए रखी थी, जिससे कांग्रेस के खेमे में मायूसी छा गई थी। हालांकि, सातवें और आठवें चरण में एकाएक बाजी पलट गई और इसी के साथ अनुराधा राणा ने बढ़त बनाना शुरू की और वह आखिर में वह डॉ. मार्कंडेय पर भारी पड़ी।लाहुल स्पीति के मतदाताओं ने दलबदल करने वाले पूर्व विधायक रवि ठाकुर को पूरी तरह से नकार दिया। लाहुल व स्पीति घाटी के मतदाताओं ने उन्हें कोई भाव नहीं दिया, जिसकी वजह से उन्हें तीसरे स्थान पर संतोष करना पड़ा।
काम नहीं आया भाजपा का साथ
रवि ठाकुर साल 2022 के चुनाव में कांग्रेस के टिकट से निर्वाचित हुए थे। राज्यसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी हर्ष महाजन के पक्ष में मतदान किया था। बाद में वह बजट के अंतिम दिन विधानसभा से अनुपस्थित रहे थे, तो व्हिप का उल्लंघन करने पर विधानसभा अध्यक्ष ने उन्हें अयोग्य करार दिया था।इसके बाद वह भाजपा में शामिल हो गए थे। चुनाव प्रचार के दौरान वह खुद के साथ अन्याय होने की बात करते रहे। लाहुल स्पीति की जनता से न्याय की मांग की थी। पूर्व मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर की रणनीति भी काम नहीं आई। जनता ने उनकी इस मांग को नकार दिया।कांग्रेस की तिकड़ी की रणनीति रवि ठाकुर पर भारी पड़ी। अनुराधा राणा ने जिला परिषद अध्यक्ष के रूप में कई सराहनीय कार्य किए। उनकी छवि अच्छे प्रशासक के रूप में बनी। इसका श्रेय विधानसभा उपचुनाव में मिला। हालांकि, उन्हें टिकट के अन्य दावेदारों का साथ पूरी तरह से नहीं मिला, फिर भी जीत वह प्राप्त करने में सफल रहीं।
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