Himachal News: प्रसिद्ध शहनाई वादक सूरजमणि का हुआ निधन, बिलासपुर एम्स में ली अंतिम सांस
हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध शहनाई वादक सूरजमणि का 65 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे। सूरजमणि को हिमाचल प्रदेश का उस्ताद बिस्मिल्लाह खां कहा जाता था। उन्होंने अपनी शहनाई से प्रदेश ही नहीं बल्कि देश-विदेश में भी धूम मचाई थी। सूरजमणि ने कई बॉलीवुड फिल्मों में भी अपनी शहनाई बजाई थी। उनके निधन से शोक की लहर है।
कुलभूषण चब्बा, सुंदरनगर। राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी शहनाई की मधुर स्वर लहरियों से सभी को आनंदित करने वाला सूरज ढल गया लेकिन उनकी शहनाई की गूंज प्रदेश की फिजाओं में हमेशा सुनाई देती रहेगी। मंडी जिला की चच्योट तहसील के निवासी शहनाई वादन में हिमाचल प्रदेश के उस्ताद बिस्मिल्लाह खां कहे जाने वाले शहनाई वादक सूरजमणि गुरुवार को प्रभु चरणों में लीन हो गए।
कुछ समय से बीमार थे सूरजमणि
सूरजमणि कुछ समय से बीमार चल रहे थे। 65 वर्ष की आयु में उन्होंने एम्स बिलासपुर में उपचार के दौरान अंतिम सांस ली। उनके घर में पत्नी के अतिरिक्त दो बेटे हैं। मात्र 15 वर्ष की अल्पआयु में ही अपनी माता ढोलक वादक और गायिका मर्ची देवी व संगीत के पुरोधा माने जाने वाले ताया गुजु राम से संगीत की शिक्षा प्राप्त करने वाले सूरजमणि अब कभी अपनी शहनाई के साथ सुनाई और दिखाई नहीं देंगे।
सूरजमणि की शहनाई से ही शुरू होका था सांस्कृतिक कार्यक्रम
तीसरी कक्षा तक पढ़ाई करने वाले सूरजमणि हमेशा लोकसंगीत और शहनाई वादन की विधा को आगे बढ़ाने के लिए प्रयासरत रहे। हिमाचल प्रदेश में आयोजित होने वाले विभिन्न अंतरराष्ट्रीय व राज्य स्तरीय मेलों की सांस्कृतिक संध्याओं का शुभारंभ सूरजमणि की शहनाई के बिना शुरू नहीं होता था। उनकी शहनाई से निकलने वाली शुभ स्वरध्वनियों को मां सरस्वती का आर्शीवाद माना जाता था। उसके बाद ही सांस्कृतिक संध्या का विधिवत शुभारंभ होता था।बालीवुड फिल्म में बजा चुके हैं शहनाई
सूरजमणी बालीवुड अभिनेता व निर्देशक सन्नी दयोल की फिल्म पल पल दिल के पास में भी अपनी शहनाई की मधुर ध्वनियां बिखेर चुके हैं। उनकी शहनाई को सुनने के बाद सन्नी दयोल ने उन्हें फिल्म में शहनाई बजाने का अवसर दिया था। इसके अतिरिक्त वह प्रदेश के चार हजार से भी अधिक लोकगीतों में शहनाई बजा चुके हैं।
देवी-देवताओं संग शुरू हुआ सफर
सूरजमणी की शहनाई वादन का सफर देवी देवताओं संग बजाने से शुरू हुआ। देवी देवताओं के आर्शीवाद के साथ वह इस विधा में आगे बढ़ते गए और प्रदेश के प्रसिद्ध शहनाई वादक होने का नाम अपने नाम किया। वह अमरिका की एक संस्था के निमंत्रण पर वहां भी लाखों भारतीय प्रशंसकों के बीच अपनी शहनाई लोहा मनवा चुके हैं।यह भी पढ़ें- खुशखबरी! 19 लाख राशन कार्ड धारकों को बहुत बड़ी राहत, सस्ते भाव में मिलेगा सरसों का तेल
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