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ममलेश्वर महादेव के दर्शन के लिए अगले साल का करना होगा इंतजार

शिव के प्रतिरूप ममलेश्वर महादेव के दर्शन सुकेत देवता मेले में इस बार नहीं होंगे।

By JagranEdited By: Published: Fri, 11 Mar 2022 11:00 PM (IST)Updated: Fri, 11 Mar 2022 11:00 PM (IST)
ममलेश्वर महादेव के दर्शन के लिए अगले साल का करना होगा इंतजार

सुरेंद्र शर्मा, मंडी

शिव के प्रतिरूप ममलेश्वर महादेव के दर्शन सुकेत देवता मेले में लगातार चौथे साल भी श्रद्धालुओं को नहीं होंगे। देवता मेले के दौरान सुख समृद्धि का आशीर्वाद हासिल करने की इच्छा रखने वाले श्रद्धालुओं को इसके लिए अगले साल का इंतजार करना पड़ेगा। सुकेत देवता मेले के साथ करसोग के ममेल में मेले का आयोजन होने की वजह से इस बार ममलेश्वर महादेव सुकेत देवता मेले में शिरकत नहीं करेंगे। देवता ममेल में होने वाले मेले में भाग लेंगे।

ममलेश्वर महादेव बीते दो साल कोरोना महामारी की वजह से रद हुए सुकेत देवता मेले में नहीं पहुंच पाए थे। वर्ष 2019 में ममेल गांव में आयोजित मेले में ममलेश्वर महादेव के शिरकत करने के कारण सुकेत देवता मेले में भाग नहीं लिया था। पूर्व सुकेत रियासत का प्राचीन परंपरागत देवता मेला देवता मूल माहूंनाग व कमरूनाग के पूजन के साथ शुरू होता है। इस साल सुकेत देवता मेले का शुभारंभ छह अप्रैल से होगा। सुकेत देवता मेले में पूर्व रियासत के प्रमुख देवी-देवता शिरकत करते हैं। इसमें देव बड़ा योगी, ममलेश्वर महादेव, कामाक्षा महामाया, देव बाला टीका, देव लटोगली आदि शामिल हैं। करीब पौने दो सौ देवी-देवताओं को स्थानीय प्रशासन की ओर से मेले में शिरकत करने के लिए निमंत्रण दिया जाता है।

प्रमुख देवताओं में शुमार ममलेश्वर महादेव मंदिर के बारे में मान्यता है कि जब पांडव अज्ञातवास में घूम रहे थे तो वे कुछ समय के लिए इस गांव में रुके थे। भीम व राक्षस के बीच यहां युद्ध हुआ। भीम ने उस राक्षस को मारकर गांव को उससे मुक्ति दिलाई थी। भीम की इस विजय की याद में यहां अखंड धूना है। इस मंदिर में एक प्राचीन ढोल है जिसके बारे में कहा जाता है कि यह भीम का ढोल है। सबसे प्रमुख गेहूं का दाना है जिसे महाभारत काल का बताया जाता है। पुरातत्व विभाग भी इन सभी चीजों के अति प्राचीन होने की पुष्टि कर चुका है। कई साल पहले मंदिर के पास कई शिवलिग, शिव और विष्णु भगवान की मूर्तियां भी मिली थीं। ममलेश्वर महादेव के कारदार हंसराज ने बताया कि ममेल गांव में नवरात्र के दौरान मेले का आयोजन होगा। इस वजह से सुकेत देवता मेले में इस बार देवता शिरकत नहीं करेंगे। पांडवों ने अज्ञातवास में किया था मंदिर निर्माण

ममलेश्वर महादेव का मंदिर करसोग उपमंडल के ममेल में है। ममलेश्वर महादेव के मंदिर का निर्माण पांडवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान किया था। ममलेश्वर यहां अपने दो कनिष्ठ साथी देवताओं नाग कजौंगी (बजीर) तथा देव लैहड़ी (देव शंकर) के साथ विराजमान हैं। ऐसी धारणा है कि इनमें से एक देव परशुराम व दूसरे भृगु ऋषि हैं। सुबह-शाम यहां तीनों देवों को एक साथ भोग लगता है। सुकेत देवता मेले के दौरान सप्तमी (आठ अप्रैल) को शीतला माता मंदिर में सभी देवी-देवताओं व उनके साथ आने वाले देवलुओं के लिए धाम का आयोजन किया जाएगा। देवी-देवताओं की आवभगत की जाएगी। सभी देवी-देवता रात्रि ठहराव शीतला माता मंदिर में करेंगे।

-मिलाप चंद, प्रधान, शीतला माता मंदिर प्रबंधन कमेटी


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