पद्धर से बिजणी तक के हिस्से के निर्माण को मंजूरी मिल गई है। करीब 18 किलोमीटर लंबे इस फोरलेन के निर्माण से बिजणी से पद्धर का सफर मात्र 20-25 मिनट में तय हो सकेगा। वर्तमान में इस सफर में 50-55 मिनट लगते हैं। फोरलेन बनने से मंडी शहर को यातायात के दबाव से भी राहत मिलेगी। फोरलेन बनने से लोगों को बहुत फायदा मिलेगा।
जागरण संवाददाता, मंडी। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) मुख्यालय ने पठानकोट मंडी फोरलेन के पद्धर से बिजणी के बीच प्रस्तावित हिस्से के निर्माण कार्य पर अपनी मुहर लगा दी है। स्वीकृति प्रदान करने को लेकर वीरवार को मुख्यालय के उच्च अधिकारियों ने परियोजना अधिकारी कार्यालय मंडी के साथ वर्चुअली बैठक की।
पद्धर से बिजणी के बीच करीब 18 किलोमीटर फोरलेन का निर्माण होगा। इसका काम गावर कंस्ट्रक्शन कंपनी को अवार्ड हुआ है। परियोजना अधिकारी कार्यालय अब कंस्ट्रक्शन कंपनी के साथ करार करेगा। अगले सप्ताह से निर्माण कार्य शुरु होने की उम्मीद है।
वन संरक्षण अधिनियम की स्वीकृति पहले ही मिल चुकी है। एनएचएआइ करीब 90 हेक्टेयर सरकारी, निजी भूमि और 202 ढांचों का अधिग्रहण कर चुका है। पेड़ काटने का काम लगभग पूरा हो गया है।
वर्तमान दो लेन मार्ग की लंबाई 22.815 किलोमीटर
बिजणी से पद्धर पर वर्तमान दो लेन मार्ग की लंबाई 22.815 किलोमीटर है। 13.813 किलोमीटर मार्ग की री अलाइनमेंट की गई है। फोरलेन बनने से मार्ग की लंबाई घटकर 19.050 किलोमीटर रह जाएगी।
पांच बड़े, 19 छोटे पुलों, 66 क्लवर्ट का निर्माण होगा। एक विश्राम क्षेत्र बनेगा। तीन ओवरपास बनेंगे। कोई सर्विस मार्ग नहीं होगा। वर्तमान में बिजणी से पद्धर का सफर तय करने में 50 से 55 मिनट लगते है। फोरलेन बनने से यह दूरी मात्र 20 से 25 मिनट में तय होगी।
बिजणी से बिंद्रावणी के बीच बनेगा पांच किलोमीटर बाईपास
बिजणी से बिंद्रावणी के बीच पांच किलोमीटर लंबा बाईपास बनेगा। इसके करीब करीब सात हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण होगा। तीन किलोमीटर की सुरंग प्रस्तावित है। वन संरक्षण अधिनियम की सैद्धांतिक स्वीकृति मिल चुकी है। बाईपास बनने से मंडी शहर को यातायात दबाव से पूरी तरह राहत मिलेगी।
पद्धर बिजणी फोरलेन के निर्माण पर मुख्यालय ने अपनी मुहर लगा दी है। कंस्ट्रक्शन कंपनी के साथ अगले सप्ताह करार करने के बाद काम शुरु कर दिया जाएगा।
- वरुण चारी, परियोजना निदेशक, एनएचएआई मंडी
हिमाचल प्रदेश में बन रहे फोरलेन के आसपास का क्षेत्र अब ग्रामीण नहीं रहेगा। कीरतपुर-नेरचौक, पठानकोट-मंडी, मटौर-शिमला जैसे फोरलेन वाले क्षेत्रों को लेकर नगर नियोजन विभाग (टीसीपी) ने नए नियम बनाए हैं।
इसके तहत जहां से फोरलेन गुजरेंगे, वहां सड़क से 100 मीटर दूरी तक अगर किसी व्यक्ति की एक हजार वर्ग मीटर से अधिक भूमि है तो वह टीसीपी के अधीन आ जाएगी। उस भूमि पर मालिक टीसीपी से औपचारिकताएं पूरी करवाए बिना किसी तहत का निर्माण कार्य नहीं कर सकता। उसे नियमों के अनुसार शुल्क भी देना पड़ सकता है।
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