Mandi News: अब खुलेगा मलाणा में सिकंदर के इतिहास का राज, JNU के इतिहासकार करेंगे जांच
खुद को सिकंदर का वंशज बताने वाले मलाणावासियों के इतिहास का आधार जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय दिल्ली (जेएनयू) और ग्रीस के इतिहासकार और विशेषज्ञ ढूंढेंगे। इसके लिए मलाणा में इनकी टीम शोध करेगी। यह शोध जेनेटिक कोड स्टडी यानी जीवाश्म की जांच पर आधारित होगा।
By Jagran NewsEdited By: Nidhi VinodiyaUpdated: Tue, 20 Dec 2022 02:06 PM (IST)
मंडी, जागरण संवाददाता : खुद को सिकंदर का वंशज बताने वाले मलाणावासियों के इतिहास का आधार जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय दिल्ली (जेएनयू) और ग्रीस के इतिहासकार और विशेषज्ञ ढूंढेंगे। इसके लिए मलाणा में इनकी टीम शोध करेगी। यह शोध जेनेटिक कोड स्टडी यानी जीवाश्म की जांच पर आधारित होगा। जल्द ही इसका प्रस्ताव जेएनयू के तैयार कर रही है। जेएनयू में ग्रीक चेयर भारत स्थापित की है, जो इस पर काम करेगी। मलाणा के लोग खुद को सिकंदर का वंशज कहते हैं।
मलाणा के लोग खुद को कहते हैं सिकंदर का वंशज
मान्यता है कि जब सिकंदर भारत आया तो उसके कुछ सैनिक यहां आकर रहने लगे। यह सिकंदर के वंशज हैं, इसका कोई न तो इतिहास में वर्णन है और न ही इनके पास कोई जानकारी। 12 दिसंबर से सिकंदर के भारत आने के बाद का युग विषय पर पांच दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार दिल्ली में हुआ। इसमें सिकंदर काल के बाद ग्रीक और भारत के रिश्ते, इतिहास, संस्कृति, व्यापार, कला आदि पर चर्चा हुई। यहीं पर पाकिस्तान के कलाश और मलाणा की बात सामने आई। क्योंकि कलाश के लोग भी खुद को सिकंदर के वंशज कहते थे और ग्रीस के पुरातत्व विभाग के विशेषज्ञों की ओर से की गई खोदाई में इसका आधार मिला। अब इसी तरह मलाणा को लेकर भी जेएनयू के शोधार्थी और इतिहासकार यहां सिकंदर के इतिहास को खंगालेंगे। हालांकि अभी तक केवल इसकी योजना ही बन रही है। अगर यह शोध कामयाब रहता है तो शोधार्थियों की पढ़ाई में इसे शामिल किया जाएगा।
क्या है जीवाश्म जांच
जीवाश्म जांच यानी जेनेटिक कोड स्टडी में पुरानी चीजों, दबाए गए लोगों या स्थानीय लोगों के रक्त हड्डियों आदि के नमूने जांच के लिए जाते हैं। इनकी जांच के बाद उस समय के पुराने दस्तावेजों के आधार पर उन लोगों की वेशभूषा व कदकाठी आदि का मिलान होता है। मलाणा में अपना लोकतंत्र मलाणा गांव हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिला की पार्वती घाटी में है।मंदिरों को छूने पर पाबंदी
यहां पर पहुंचने के लिए दो किलोमीटर का पैदल सफर करना पड़ता है। गांव में प्रवेश देवता जमदग्नि ऋषि की मंजूरी के बाद ही मिलता है। यहां स्थित मंदिरों को छूने पर पाबंदी है। गांव के रीति रिवाज, नियम कानून सब अपने हैं और यह चरस के लिए भी दुनिया भर में प्रसिद्ध है। यहां 967 मतदाता है।
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