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Mandi News : रोमांचक पर्यटन के पथ पर प्रकृति से भेंट करातीं वादियां, लुभाते हैं खीरगंगा में गर्म पानी के चश्मे

Himachal Pradesh News हिमाचल प्रदेश का कलगा-बुनबुनी-खीरगंगा ट्रेक साहसिक गतिवियों के लिए एक विशेष स्थल है। कुल्लू जिले की पार्वती घाटी में बहती नदी और बर्फ से ढंके पहाड़ का यहां मनमोहक संगम है। मणिकर्ण घाटी का विहंगम नजारा भी यहां से दिखाई देता है। इसके अलावा भी कई और खूबसूरत स्थल हैं जिनकी सैर की जा सकती है।

By Jagran NewsEdited By: Yogesh SahuUpdated: Fri, 01 Dec 2023 08:38 PM (IST)
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रोमांचक पर्यटन के पथ पर प्रकृति से भेंट करातीं वादियां

मुकेश मेहरा, मंडी। ट्रैकिंग के शौकीनों के लिए कलगा-बुनबुनी-खीरगंगा ट्रैक बेहद खास है। ट्रैकिंग के साथ सूर्यास्त का मनमोहक नजारा साहसिक गतिविधियों के शौकीनों को लुभाता है।

कुल्लू जिले की पार्वती घाटी में पिन पार्वती नदी की कलकल करती आवाज व बर्फ के पहाड़ों के बीच गुजरने वाला रास्ता 28 किलोमीटर लंबा ट्रैक तीन दिन में पूरा किया जा सकता है।

यह ट्रैक पार्वती घाटी में पुलगा डैम के ऊपरी तरफ स्थित कलगा गांव से शुरू होता है। पुलगा डैम तक गाड़ी में पहुंचा जा सकता है।

ट्रैकिंग पर जाने के दौरान अपने साथ रहने व खाने का सामान और गाइड जरूर साथ रखें। कलगा से ट्रैक आरंभ होने के बाद पहला पड़ाव 12 किलोमीटर बाद बुनबुनी है।

पहाड़ी की चोटी से मणिकर्ण घाटी का विहंगम दृश्य दिखाई देता है। यहां से सूर्यास्त का बेहतरीन नजारा मन मोह लेता है।

कुल्लू जिले की पार्वती घाटी में कलगा-बुनबुनी-खीरगंगा ट्रैक पर जंगल के बीच से गुजरते ट्रैकर। सौजन्य : विवेक

यहां जड़ी-बूटियों के अलावा जंगली खाद्य पदार्थ गुच्छी व लिंगड़ पाया जाता है। इनकी पहचान हो तो ट्रैकिंग के दौरान यह बेहतर व्यंजन हो सकते हैं।

बुनबुनी से अगले दिन खीरगंगा के लिए ट्रैकिंग शुरू होती है। करीब 16 किलोमीटर के सफर में बर्फ के पहाड़ों से गुजरते हुए देवदार के जंगल के बीच पहाड़ की ये वादियां ट्रैकिंग के रोमांच को दोगुना कर देती हैं।

खीरगंगा में पहुंचने के बाद यहां रात्रि ठहराव किया जा सकता है। यहां रहने व खाने के लिए होटल व हट्स इत्यादि हैं।

खीरगंगा से अगर इसी ट्रैक से नहीं लौटना चाहते हैं तो 18 किलोमीटर का सफर कर तोष व बरशैणी होते हुए पुन: पुलगा डैम पहुंच सकते हैं।

खीरगंगा में गर्म पानी के चश्मे

खीरगंगा गर्म पानी के चश्मों के कारण दुनियाभर में प्रसिद्ध है। ज्यादातर पर्यटक यहां तोष के रास्ते से पहुंचते हैं। यह ट्रैक भी पर्यटकों के लिए शानदार अनुभव देता है। रास्ते में मणिकर्ण में साहिब गुरुद्वारा और कसोल भी घूमने के लिए अच्छी जगह है।

कुल्लू जिले की पार्वती घाटी में कलगा-बुनबुनी-खीरगंगा ट्रैक के टाप पर पहुंचने पर दिखता सूर्यास्त का दृश्य। सौजन्य : विवेक

ऐसे पहुंचें कलगा

कुल्लू जिले के भुंतर तक सड़क व हवाई मार्ग से पहुंचा जा सकता है। भुंतर हवाई अड्डा तक दिल्ली-चंडीगढ़ से उड़ाने हैं। भुंतर उतरने के बाद 25 किलोमीटर दूर मणिकर्ण के लिए गाड़ी और बस में पहुंच सकते हैं।

मणिकर्ण से 10 किलोमीटर दूर कलगा गांव है जहां से ट्रैक आरंभ होता है। चंडीगढ़-मनाली फोरलेन पर चंडीगढ़ से 203 किलोमीटर भुंतर है। यहां बस व टैक्सी दोनों सुविधाएं हैं।

कुल्लू जिले की पार्वती घाटी में कलगा-बुनबुनी-खीरगंगा ट्रैक पर आते छोटे ग्लेशियर से गुजरते ट्रैकर। सौजन्य : विवेक

ट्रैकिंग के दौरान ये चीजें रखें साथ

यात्रा के दौरान अपने साथ खाने के लिए रेडी टू ईट भोजन ले जा सकते हैं। छोटा गैस सिलेंडर खाना बनाने के लिए इस्तेमाल हो सकता है। टेंट, वर्षा से बचने के लिए रेन सूट, बड़े जूते, टार्च भी लेकर जाएं। जंगली जानवरों से सुरक्षा के लिए हथियार भी रखें।

पार्वती घाटी में बुनबुनी से खीर गंगा ट्रैक के साथ लुदरनाग से टुंडाभुज-मानतलाई और पिन घाटी होते हुए लाहुल स्पीति का ट्रैक है। ये जंगल और ग्लेशियरों का रास्ता है। इसी के रास्ते में खीरगंगा व तोष आते हैं। इसके अलावा भनकड़ जंगल ट्रैक और सर्व पास है। ये स्थान देवी देवताओ के भी हैं और यहां झरने भी है। इसके अलावा पूलगा गांव से बंडल मार्ग जंगल का ट्रैक है। प्राचीन गांव मलाना के लिए रास्ता भी कसोल से पहले आता है। वहीं ग्राहण, रसोल, कतागला, कुट्टला ट्रेकिंग रूट हैं। इसके अलावा कोई व्यक्ति कुल्लू व मनाली भी यहां से जा सकता है। तीन दिन का कलगा-बुनबुनी-खीरगंगा बेहतरीन ट्रैक हैं। बर्फ से ढके पहाड़ अलग ही रोमांच देते हैं। बुनबुनी से दिखने वाला सूर्यास्त का दृश्य अलौकिक लगता है। -विवेक लखनपाल, ट्रैकर व डीडीएम एचआरटीसी हमीरपुर

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