जापान की तकनीक से बनेंगी अब सुरंगें, संरचनाओं की मजबूती में होगा सुधार, NHAI के इंजीनियर सीख रहे गुर
जापान की आधुनिक तकनीक से भारत में सड़क सुरक्षा को बढ़ावा मिलेगा। जापानी इंजीनियर भारतीय इंजीनियरों को सुरंग निर्माण की उन्नत तकनीक सिखा रहे हैं। एनएटीएम और सीमेंट इंजेक्शन जैसी तकनीकों से सुरंगों की मजबूती और टिकाऊपन बढ़ेगा। कीरतपुर-मनाली फोरलेन पर बनी सुरंगों का अध्ययन कर इंजीनियर इन तकनीकों को भविष्य की परियोजनाओं में इस्तेमाल करेंगे। इसके लिए एनएचआई के इंजीनियर गुर सीख रहे हैं।
हंसराज सैनी, मंडी। देश में तेजी से बढ़ते सड़क नेटवर्क और पहाड़ी इलाकों में सुरक्षित परिवहन को लेकर अब जापान की आधुनिक तकनीक का सहारा लिया जाएगा। जापानी इंजीनियरिंग तकनीकों की मदद से अब फोरलेन पर सुरंगों का निर्माण होगा। इससे संरचनाओं की मजबूती और टिकाऊपन में सुधार होगा।
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएचएआइ) सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय (एमओआरटीएच) राष्ट्रीय राजमार्ग एवं अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (एनएचआइडीसीएल) और लोक निर्माण विभाग के 40 इंजीनियरों को जापानी विशेषज्ञ प्रशिक्षण दे रहे हैं, ताकि वह इन उन्नत तकनीकों का प्रयोग भविष्य की सुरंग परियोजनाओं में कर सकें।
कीरतपुर-मनाली फोरलेन सुरंगों का अध्ययन
विभिन्न राज्यों व विभागों से आए इंजीनियरों ने कीरतपुर-मनाली फोरलेन के अंतर्गत बनाई गई सुरंगों का विस्तार से अध्ययन किया है। इन सुरंगों को बनाने में आधुनिक तकनीकों और डिजाइन का प्रयोग किया गया है।जापानी इंजीनियरों ने इन सुरंगों का निरीक्षण कर भारतीय इंजीनियरों को संरचनात्मक मजबूती, सुरक्षा मानकों, और डिजाइन के बारीक पहलुओं पर महत्वपूर्ण जानकारी दी। फोरलेन पर 15 सुरंगों का निर्माण हो चुका है। 11 और प्रस्तावित हैं।
जापानी तकनीक एनएटीएम और सीमेंट इनजेक्शन का प्रयोग
जापान भूकंपीय गतिविधियों और पहाड़ी भूभाग के कारण अपनी निर्माण तकनीकों में अत्याधुनिक और प्रभावी विधियों का उपयोग करता है। जापानी विशेषज्ञ सुरंग निर्माण के दौरान विशेष तकनीकों का उपयोग करते हैं। इसमें नई आस्ट्रियन सुरंग तकनीक (एनएटीएम) और सीमेंट इनजेक्शन तकनीक प्रमुख हैं।इन विधियों से सुरंगों की दीवारों में अधिक मजबूती आती है और भूस्खलन जैसे खतरों से सुरक्षा मिलती है। कीरतपुर मनाली फोरलेन पर भी एनएटीएम का प्रयोग हुआ है। जापानी विशेषज्ञ इंजीनियरों को इन तकनीकों का उपयोग सिखा रहे हैं।
प्रशिक्षण के दौरान उन्हें ऐसी सुरंग निर्माण विधियों के बारे में बताया जा रहा है, जो प्राकृतिक आपदाओं का सामना करने में सक्षम हों। सुरंगों की जल निकासी व्यवस्था, वेंटिलेशन और भूकंप-रोधी डिजाइन पर विशेष ध्यान देने पर सहमति बनी है, ताकि भारतीय परियोजनाएं भी जापान की तर्ज पर उच्च सुरक्षा मानकों को पूरा कर सकें।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।कीरतपुर-मनाली फोरलेन की विशेषताएं
कीरतपुर-मनाली फोरलेन की सुरंगें अपनी बनावट और तकनीकी जटिलता के कारण विशेष मानी जा रही हैं। निर्माण कार्य तेजी से और सुरक्षित ढंग से पूरा किया गया। जापानी विशेषज्ञों के अनुसार, इन सुरंगों का डिजाइन और उनके भीतर की संरचनाएं अन्य सुरंग परियोजनाओं के लिए उदाहरण हैं।भविष्य की सुरंग परियोजनाओं में इन तकनीकों का उपयोग
जापानी इंजीनियरों से प्राप्त जानकारी और प्रशिक्षण के बाद, एनएचएआइ व अन्य विभागों के इंजीनियर अब भविष्य की सुरंग परियोजनाओं में इन तकनीकों का उपयोग करेगा। इससे न केवल समय की बचत होगी, बल्कि लागत भी कम आएगी।इसके अलावा, इन तकनीकों का उपयोग कर अधिक स्थायित्व और संरचनात्मक मजबूती भी प्राप्त की जा सकेगी,इससे पर्वतीय क्षेत्रों में सुरक्षित यात्रा सुनिश्चित हो सकेगी।जाइका के तहत जापान के चार सुरंग विशेषज्ञों के एक दल ने कीरतपुर मनाली फोरलेन पर बनी सुरंगों का निरीक्षण किया किया। निर्माण कार्य,संचालन और रखरखाव का जायजा लिया है। साथ में विभिन्न विभागों के 40 इंजीनियरों को जापानी तकनीक से अवगत करवाया जा रहा है।
- वरुण चारी,परियोजना निदेशक,एनएचएआइ मंडी