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New Criminal Laws: 'विपक्ष को विश्वास में नहीं...', तीन नये आपराधिक कानून पर क्या बोले कांग्रेस नेता विक्रमादित्य सिंह

New Criminal Laws आज से तीन नये आपराधिक कानून लागू हो गए हैं। इस नये कानून पर कांग्रेस नेता विक्रमादित्य सिंह ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने विपक्ष को बिना विश्वास में लिए इस कानून को पारित किया गया। इसको फिर से सदन में चर्चा के लिए लाना चाहिए। इस पर एक अच्छी बहस हो।

By Jagran News Edited By: Sushil Kumar Published: Mon, 01 Jul 2024 04:56 PM (IST)Updated: Mon, 01 Jul 2024 04:56 PM (IST)
New Criminal Laws: तीन नये कानून पर क्या बोले विक्रमादित्य सिंह।

एएनआई, मंडी। हिमाचल कांग्रेस नेता विक्रमादित्य सिंह ने तीन नये आपराधिक कानून पर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने बहुत स्पष्ट शब्दों में कहा है कि इसमें विपक्ष को विश्वास में नहीं लिया गया है। सरकार ने 150 सांसदों को दूर फेंककर इस बिल को पारित किया था। 

उन्होंने कहा कि पिछले साल संसद में लोकसभा और राज्यसभा के लगभग 150 सांसदों को अलग-अलग कारणों से निलंबित कर दिया गया था। यह विधेयक बिना ध्वनि मत के पारित किया गया था। इन कानूनों पर फिर से विचार-विमर्श किया जाना चाहिए। इसको फिर से सदन में लाना चाहिए।

चर्चा के बाद ही पता चलेगा अच्छा-बुरा 

कांग्रेस नेता ने कहा कि लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस ने कहा है कि इस एक्ट पर फिर से चर्चा होनी चाहिए, इस पर विपक्ष के साथ बातचीत होनी चाहिए। इसमें क्या अच्छी चीजें हैं, क्या बुरी चीजें हैं, इस पर हमें चर्चा करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि जो बातें विपक्ष ने उठाई है, उसे सरकार को सुननी चाहिए। फिर से इसको चर्चा के लिए लोकसभा के अंदर लाना चाहिए और इस पर पुनर्विचार करना चाहिए।

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नए कानून में 35 जगह जोड़ी गई टाइम लाइन

बता दें कि एक जुलाई से लागू हो रहे तीन नए आपराधिक कानूनों में त्वरित न्याय सुनिश्चित करने के लिए एफआइआर से लेकर फैसले तक को समय सीमा में बांधा गया है। आपराधिक ट्रायल को गति देने के लिए नए कानून में 35 जगह टाइम लाइन जोड़ी गई है। शिकायत मिलने पर एफआइआर दर्ज करने, जांच पूरी करने, अदालत के संज्ञान लेने, दस्तावेज दाखिल करने और ट्रायल पूरा होने के बाद फैसला सुनाने तक की समय सीमा तय है।

साथ ही आधुनिक तकनीक का भरपूर इस्तेमाल और इलेक्ट्रानिक साक्ष्यों को कानून का हिस्सा बनाने से मुकदमों के जल्दी निपटारे का रास्ता आसान हुआ है। शिकायत, समन और गवाही की प्रक्रिया में इलेक्ट्रानिक माध्यमों के इस्तेमाल से न्याय की रफ्तार तेज होगी। 

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