ब्रांड एंबेसडर बन हिमाचली उत्पादों को पहचान दिला रहे पीएम मोदी, जो बाइडन को कांगड़ा पेंटिंग कर चुके हैं भेंट
Himachali Products प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हिमाचली उत्पादों को वैश्विक मंच पर पहचान दिला रहे हैं। अमेरिका हो या इजरायल हर जगह उन्होंने हिमाचली उत्पाद पहुंचाने का काम किया है। वह ब्रांड अंबेसडर बनकर हिमाचली कला व उत्पादों को बढ़ाया दे रहे हैं।
By Virender KumarEdited By: Updated: Fri, 18 Nov 2022 12:26 PM (IST)
मंडी, हंसराज सैनी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हिमाचली उत्पादों को वैश्विक मंच पर पहचान दिला रहे हैं। अमेरिका हो या इजरायल हर जगह उन्होंने हिमाचली उत्पाद पहुंचाने का काम किया है। वह ब्रांड अंबेसडर बनकर हिमाचली कला व उत्पादों को बढ़ाया दे रहे हैं। मोदी की इस पहल से दुनिया का ध्यान देवभूमि की कला व उत्पादों की ओर आकर्षित हो रहा है। उत्पादों को नया बाजार मिलने के साथ पर्यटन को भी पंख लगने की उम्मीद बंधी है। मोदी हिमाचल को अपना दूसरा घर मानते हैं और खुद को यहां का बेटा बताते हैं।
इंडोनेशिया के बाली में आयोजित 17वें जी-20 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन को कांगड़ा मिनिएचर पेंटिंग और स्पेन के प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज को करनाल (पारंपरिक वाद्ययंत्र) की जोड़ी भेंट कर हिमाचल का बेटा होने का फर्ज निभाया। मोदी अपने साथ चंबा का रुमाल, किन्नौरी व कुल्लू शाल, रणसिंघा व हिमाचली मुखौटे लेकर गए थे। शाल व चंबा रुमाल भी सम्मेलन में उन्होंने कई देशों के राष्ट्राध्यक्षों को भेंट किए हैं।
ट्रंप व मेलानिया को भेंट की थी कांगड़ा चाय व शहद
इससे पहले जब मोदी अमेरिका के दौरे पर गए थे तो तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पत्नी मेलानिया ट्रंप को हिमाचली शहद और कांगड़ा चाय भेंट की थी। इजरायल दौरे के दौरान उन्होंने हिमाचली टोपी पहनी थी। टोपी देश व दुनिया में चर्चा का विषय बनी थी। विधानसभा चुनाव से पहले मोदी जब चंबा के दौरे पर आए थे तो उन्होंने वहां मंच से इस बात का जिक्र किया था कि वह जब भी विदेश जाते हैं तो वहां के राष्ट्राध्यक्ष को अकसर हिमाचली उत्पाद भेंट करते हैं ताकि दुनिया का ध्यान हिमाचल की ओर आकर्षित हो और यहां पर्यटन को बढ़ावा मिले।
काशी विश्वनाथ के पुजारियों व सेवकों को भेंट की थी कुल्लू की बनी पूलें
काशी विश्वनाथ के पुजारियों, सेवादारों और सुरक्षा कर्मियों को पहले लकड़ी के खड़ाऊं पहनने को दिए जाते थे। खड़ाऊं पहनकर आठ घंटे ड्यूटी करना पहाड़ जैसी चुनौती थी। सर्दी में ठंड से बचाव नहीं होता था। मोदी मंडी जिले के दौरे पर आए थे तो यहां उन्होंने भांग के रेशे से बनी पूलें देखी थी। इन्हें पहनकर देव स्थल के अंदर व रसोईघर में जाने में कोई पाबंदी नहीं होती है। उन्होंने 500 जोड़ी पूलें बाबा के पुजारियों, सेवादारों व सुरक्षाकर्मियों को भेंट की थी।
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