Mandi News: टारना की पहाड़ी का आज से होगा मृदा परीक्षण, पहाड़ी का विस्तार से होगा अध्ययन
भारतीय भूविज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआइ) की दो सदस्यीय टीम बुधवार से इस बात का पता लगाने के लिए मृदा व अन्य परीक्षण करेगी कि मंडी शहर की टारना की पहाड़ी कितनी सुरक्षित है। जीएसआइ की टीम सोमवार शाम उपकरणों के साथ मंडी पहुंच गई है। करीब एक माह तक पहाड़ी का विस्तार से अध्ययन होगा। उसी के आधार पर पहाड़ी को बचाने के लिए कारगर कदम उठाए जाएंगे।
मंडी, जागरण संवाददाता: मंडी शहर की टारना की पहाड़ी कितनी सुरक्षित रही है। भारतीय भूविज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआइ) की दो सदस्यीय टीम बुधवार से इस बात का पता लगाने के लिए मृदा व अन्य परीक्षण करेगी। जीएसआइ की टीम सोमवार शाम उपकरणों के साथ मंडी पहुंच गई है। करीब एक माह तक पहाड़ी का विस्तार से अध्ययन होगा। उसी के आधार पर पहाड़ी को बचाने के लिए कारगर कदम उठाए जाएंगे।
जीएसआइ की वरिष्ठ विज्ञानी श्रेयसी महापात्रा ने अपनी टीम के साथ कुछ दिन पहले टारना की पहाड़ी का जायजा लिया था। क्षतिग्रस्त घरों व भूधंसाव का निरीक्षण करने के बाद उन्होंने पहाड़ी का विस्तार से अध्ययन करने की बात कही थी। प्रारंभिक जांच में पानी निकासी की सही व्यवस्था न होना व एक घंटे में 100 मिलीलीटर से अधिक वर्षा को तबाही का मुख्य कारण बताया गया था।
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जीएसआइ ने पहाड़ी का सर्वेक्षण किया
पहाड़ी के अंदर की मिट्टी की पकड़ कमजोर होने से ढ़लानों में गुरुत्वाकर्षण बढ़ा था। इससे भूस्खलन व भूधंसाव हुआ था। यहां जलशक्ति विभाग के कार्यालय सहित 22 घरों को क्षति पहुंची थी। 10 घर पूरी तरह ढह गए थे। प्रशासन के आग्रह पर जीएसआइ ने पहाड़ी का सर्वेक्षण किया था।
कई घर हो गए थे ध्वस्त
आइआइटी मंडी के विशेषज्ञों ने विभिन्न विभागों के अधिकारियों के साथ संयुक्त निरीक्षण किया था। पुलघराट रामनगर विश्वकर्मा मार्ग 13 अगस्त से वाहनों की दोतरफा आवाजाही के लिए बाधित है। प्रताप पैलेस व कोयल होटल तक भारी मलबा सड़क पर गिरा हुआ है। यहां तीन घर ध्वस्त हो गए थे। कई घर खतरे की जद में है। जलशक्ति विभाग का करोड़ों की लागत से बना भवन दरारों के कारण असुरक्षित हो चुका है। करीब 694 लोग प्रभावित हुए हैं।