Himachal News: सबकी समस्याएं सुलझाते पर इनकी समस्या का क्या? CM हेल्पलाइन के 122 कर्मचारियों को नहीं मिल रहा न्यूनतम मानदेय
सीएम हेल्पलाइन ( CM Helpline) से प्रदेश के लोगों की समस्याओं को सुलझाने में महत्वपूर्ण कड़ी का काम करने वाले सवा सौ कर्मचारियों को न्यूनतम मानदेय नहीं मिलता है। किसी भी कंपनी ठेकेदार संस्था को 11250 रुपये का मासिक भुगतान करना होता है मगर न्यूनतम मानदेय के नाम पर हर महीने उन्हें हाथ में 8500 रुपये थमा दिए जाते हैं।
न्यूनतम मानदेय के नाम पर थमाए 8500 रुपये
प्रदेश सरकार की ओर से घोषित न्यूनतम दिहाड़ी के हिसाब से अकुशल कामगार को किसी भी कंपनी, ठेकेदार, संस्था को 11250 रुपये का मासिक भुगतान करना होता है मगर न्यूनतम मानदेय के नाम पर हर महीने हाथ में 8500 रुपये थमा दिए जाते हैं।सीएम हेल्पलाइन ने साढ़े पांच लाख से अधिक शिकायतों का किया समाधान
ये हेल्पलाइन अभी तक साढ़े पांच लाख से अधिक शिकायतों में से अधिकांश का समाधान करवाने में सफल रही है। अनुमान के अनुसार पचास हजार से कम संख्या में शिकायतें शेष पड़ी हैं।चार साल से न्यूनतम मानदेय नहीं दिया जा रहा
वी विन लिमिटेड कंपनी की ओर से आऊटसोर्स पर सेवाएं देने वाले कर्मचारियों को न्यूनतम मानदेय नहीं दिया जा रहा है। राज्य श्रम एवं रोजगार विभाग की ओर से अकुशल कर्मियों को दैनिक 375 रुपये के हिसाब से 11250 रुपये मासिक मानदेय देना अनिवार्य है। इसके अतिरिक्त अन्य छह श्रेणियों को मानदेय के लिए न्यूनतम मानदेय निर्धारित है। जिसके तहत कुशल श्रमिकों को 460 रुपये दैनिक मानदेय देना पड़ेगा।वी विन कंपनी न्यूनतम मानदेय का पालन कर रही
यह भी पढ़ें- गुर्जरों की हाटीयों को दो टूक...ST आरक्षण के लिए सरकार पर न बनाएं अनावश्यक दबाव; आरक्षण मिला तो करेंगे विरोधहमारी कंपनी न्यूनतम दिहाड़ी या मानदेय प्रदान करती है। नए युवाओं को हम प्रति माह साढ़े आठ हजार रुपये और पुराने नौ हजार एक सौ रुपये से अधिक न्यूनतम मानदेय देते हैं।
इसके अलावा पीएफ काटते हैं और स्वास्थ्य स्कीम की सुविधा प्रदान करते हैं। हमने श्रम एवं रोजगार विभाग को न्यूनतम दिहाड़ी और मानदेय देने से जुड़ा रिकार्ड दिया है। - राजेश सिंह, प्रोजेक्ट प्रबंधक वी विन लिमिटेड।
11250 रुपये से कम देना गैरकानूनी
यह भी पढ़ें- लोकसभा चुनाव सिर पर...एक साल बीतने के बाद भी विधानसभा चुनाव की पेमेंट बकाया, वेंडर्स की एक करोड़ से अधिक राशि लंबितकिसी भी कामगार को 375 रुपये के हिसाब से मासिक 11250 रुपये का भुगतान करना पड़ेगा। प्रदेश सरकार की ओर से इस वर्ष 1 अप्रैल को इस संबंध में अधिसूचना जारी की गई थी, जिसके आधार पर कुशल कामगारों को 25 फीसदी अधिक वृद्धि के साथ मानदेय चुकाना पड़ेगा।
ऐसा नहीं करने वाले किसी भी व्यक्ति, कंपनी, संस्था, ठेकेदार के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने का प्रविधान है। - सतीश कुमार, निरीक्षक जिला शिमला सर्कल।