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हिमाचल में 13 जातियां ओबीसी सूची से बाहर

हिमाचल प्रदेश की 13 जातियां अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की सूची से बाहर कर दी गई हैं। इनमें तूरी, भड़भूना, चाहंग, चांगर, धीमार, दइया, कश्यप राजपूत, प्रजापति, कंगेहरा, कंजर, नालबंद, रेचबंद व गुज्जर शामिल हैं जबकि केंद्रीय सूची में ये जातिया शामिल हैं।

By Rajiv GoswamiEdited By: Updated: Tue, 14 Jul 2015 10:52 AM (IST)

राज्य ब्यूरो, शिमला : हिमाचल प्रदेश की 13 जातियां अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की सूची से बाहर कर दी गई हैं। इनमें तूरी, भड़भूना, चाहंग, चांगर, धीमार, दइया, कश्यप राजपूत, प्रजापति, कंगेहरा, कंजर, नालबंद, रेचबंद व गुज्जर शामिल हैं जबकि केंद्रीय सूची में ये जातिया शामिल हैं।

इन जातियों को अब केंद्रीय सूची से भी हटा दिया जाएगा। कुल्लू जिला के मलाणा व कांगड़ा के छोटा व बड़ा भंगाल को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) का दर्जा मिलने से पहले सर्वेक्षण होगा। इस मामले पर राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग का दल उक्त क्षेत्रों के लोगों के सामाजिक तौर तरीकों व आर्थिकी का विश्लेषण करेगा। आयोग अध्ययन करेगा कि ऐसा इन गांवों में क्या है जो राज्य सरकार ने सभी को ओबीसी में लाने की सिफारिश की है।

गांव का कोई एक घर तो अन्य से भिन्न होगा जो ओबीसी के लिए पात्र न बनता हो। इसके लिए मंगलवार को आयोग अध्यक्ष मौके पर जाकर जायजा लेंगे और लोगों के रहन-सहन को जानेंगे। सोमवार को राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति वी ईश्वरईया ने यहां पत्रकारों से कहा कि आयोग की टीम कांगड़ा व कुल्लू के उक्त गांवों में जाकर सर्वे करेगी कि सभी परिवार आर्थिक संकट से कैसे जूझ सकते हैं?

इस दौरान जो तस्वीर सामने आएगी, उस आधार पर सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर उचित निर्णय लिया जाएगा। कांगड़ा के छोटा व बड़ा भंगाल में 15 जुलाई व कुल्लू के मलाणा में 17 जुलाई को सर्वे किया जाएगा। प्रदेश सरकार ने 2006 में उक्त तीनों गांवों को ओबीसी में शामिल करने के लिए आयोग को प्रस्ताव भेजा था।शिमला के पीटर हॉफ में पत्रकारों से बातचीत करते राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति वी ईश्वरईया ।

देश में चार प्रतिशत ओबीसी को भी नौकरी नहीं मिल रही है। आयोग अब आरक्षण को 27 प्रतिशत फिक्स करने के लिए केंद्र सरकार के समक्ष आवाज बुलंद करेगा। ओबीसी में उन जातियों के लोगों को शामिल करने का प्रावधान है, जिनकी आय 10 लाख रुपये वार्षिक है।

आयोग इसमें संशोधन कर 10 लाख से अधिक की मांग कर रहा है। आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि क्रीमीलेयर लागू होने के बाद भी ओबीसी को अपना हक नहीं मिल रहा है।
देश के सभी निजी संस्थानों में ओबीसी को आरक्षण न देने पर आयोग अब सख्ती बरतेगा। राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति वी ईश्वरईया ने कहा कि संविधान में निजी शिक्षण संस्थानों सहित अन्य औद्योगिक क्षेत्रों में भी ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है मगर कहीं भी नियमों का पालन नहीं हो रहा है।

निजी कंपनियों को जब लोग जमींन मुहैया करवा रहे हैं तो फिर आरक्षण नियमों का भी पालन करें। निजी क्षेत्रों में आरक्षण नहीं देने वालों के खिलाफ आयोग सख्त कार्रवाई करेगा। हिमाचल में सामाजिक न्याय जनता को मिल रहा है जबकि दक्षिणी राज्यों में अमीर गरीबों का हक छीन रहे हैं। देश में 2006 के बाद वोट की राजनीति में ओबीसी के परिवार पिसते रहे। उन्होंने कहा कि यही कारण है कि आजादी के इतने साल बाद भी ओबीसी को हक नहीं मिल रहा है।

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