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Shimla: 9 महीनों में 62 लोगों ने लगाया मौत को गले, आखिर शिमला में क्यों बढ़ रहे आत्महत्या के मामले?

Suicide in Shimla शिमला में आत्महत्या के मामले काफी तेजी से बढ़ रहे हैं। युवाओं में भी आत्महत्या के मामलों में उछाल आने के बाद ये काफी चिंताजनक मामला बन गया है। वहीं शिमला में बीते 9 महीनों में 62 लोगों ने मौत को गले लगाया है। वहीं मनोचिकित्सकों का कहना है कि पारिवारिक माहौल और तनाव के चलते सुसाइड केस में बढोत्तरी हो रही है।

By Anil ThakurEdited By: Deepak SaxenaUpdated: Sun, 08 Oct 2023 07:18 PM (IST)
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शिमला में बीते 9 महीनों में 62 लोगों ने लगाया मौत को गले।
अनिल ठाकुर, शिमला। जिले में आत्महत्या के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है। जिला में पिछले 9 महीनों में 62 लोगों ने आत्महत्या की है। आत्महत्या करने वालों में ज्यादातर युवा शामिल हैं। युवा वर्ग में ज्यादा आत्महत्या की बढ़ती प्रवृत्ति चिंताजनक है।

पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, जनवरी से सितंबर महीने तक जिले में 62 लोगों ने आत्महत्याएं की हैं। इनमें 46 पुरुष है जबकि 16 महिलाएं शामिल हैं। हालांकि, ये आंकड़े पिछले साल के मुकाबले कम है। पिछले साल इन्हीं 9 महीनों में कुल 82 मामले दर्ज हुए थे। इनमें 66 पुरुष व 16 महिलाएं शामिल थी। मनोचिकित्सक की माने तो मौत को गले लगाना समस्या का समाधान नहीं है।

2023 में 30 सितंबर तक यह दर्ज हुए केस

आत्महत्या 62
पुरुष 46
महिला 16
2022 में 30 सितंबर तक इतने दर्ज थे आत्महत्या के केस

आत्महत्या 82
पुरुष 66
महिला 16
आत्महत्या के लिए उकसाने के 4 मामले

पुलिस में दर्ज मामलों के अनुसार इस साल सितंबर महीने तक कुल 62 मामलों में से 4 मामले आत्महत्या के उकसाने के दर्ज हैं जबकि 2022 में 3 मामले आत्महत्या के उकसाने के दर्ज हुए थे।

लक्षण दिखने पर करवानी चाहिए काउंसलिंग

मनोचिकित्सक की मानें तो आत्महत्या के कई कारण हैं। इनमें मानसिक तनाव, दबाव या अन्य कारण हैं। इसमें लोग आत्महत्या जैसा कदम उठाते हैं। जो आत्महत्या करते हैं उनमें कुछ दिन पहले ही लक्षण दिखाई देने लगते हैं। ऐसी स्थिति में स्वजन, दोस्त या परिवार के अन्य सदस्यों को चाहिए कि वे समय पर ऐसे व्यक्ति को इलाज व काउंसलिंग के लिए डाक्टर के पास ले जाएं।

यह गुत्थी अभी तक अनसुलझी

ढली थाना के तहत पड़ने वाले भट्टाकुफर में 50 वर्षिय दर्जी का शव उसके कमरे में पड़ा मिला था। उसके पेट पर चाकू से कई बार वार किए गए थे। पुलिस पुलिस ने इसमें आत्महत्या का मामला दर्ज किया था। लेकिन स्वजनों ने इस में हत्या की आशंका जताई जिसके बाद हत्या का मामला दर्ज कर पुलिस ने जांच शुरू की। करीब छह महीने पुराने इस केस का राज अभी तक नहीं खुल पाया है। चाकू पर जो फिंगर प्रिंट मिले वह भी मैच नहीं हो पाए। दर्जी की हत्या का राज जांच में ही उलझ कर रह गया है।

कसुम्पटी के पास मिला था शव

सिरमौर के एक युवक ने शिमला के कसुम्पटी स्थित रानी मैदान के साथ जंगल में आत्महत्या की थी। युवक कॉलेज का छात्र था। पुलिस ने इस मामले में उसके कुछ दोस्तों को हिरासत में भी लिया था। इस मामले में पहले हत्या का मामला दर्ज कर जांच शुरू की गई थी। लेकिन हत्या के कारणों का कोई पता नहीं चल सका।

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10वीं कक्षा की छात्रा ने की थी आत्महत्या

बीते माह ही बालूगंज थाना के तहत पड़ने वाले समरहिल क्षेत्र में स्कूली छात्रा ने आत्महत्या की थी। छात्रा दसवीं कक्षा में पढ़ती थी। घर के साथ लगते जंगल में ही पुलिस को उसका शव बरामद हुआ था।

ये है कानूनी प्रक्रिया

आत्महत्या के मामले में पुलिस 174 के तहत दर्ज करती है। आत्महत्या के मामले में पहले पुलिस 174 सीआरपीसी के तहत मामला दर्ज करती है। यदि परिवार का कोई सदस्य आत्महत्या में किसी तरह के शक की आशंका जताता है तभी अन्य पहलुओं से भी जांच की जाती है। कई मामलों में यह भी सामने आया है कि दबाव के चलते आत्महत्याएं की गई हैं। पुलिस मामले की गहराई से जांच करती है।

मामलों की जांच कर रही पुलिस: अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक

अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सुनील नेगी ने कहा कि आत्महत्या के मामले बढ़ना चिंतनीय विषय है। पुलिस ऐसे मामलों में 174 सीआरपीसी के तहत मामला दर्ज करवाती है। शव का पोस्टमॉर्टम किया जाता है। पूरे तथ्यों की जांच की जाती है कि आत्महत्या के पीछे कोई साजिश तो नहीं है। स्वजन यदि आत्महत्या के उकसाने की शिकायत करते हैं तब पुलिस मामले की अन्य पहलुओं के तहत जांच करती है। कई बार लोग पारिवारिक माहौल और तनाव के कारण भी आत्महत्या जैसा कदम उठा लेते हैं। हालांकि पुलिस फिर भी हर मामले की गहराई से जांच करती है।

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