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Shimla: कांग्रेस के भाजपा को हिमाचल विरोधी बताए जाने के बाद धूमल बोले- बयान देने से पहले ऐतिहासिक तथ्यों को समझा ही नहीं

प्रेम कुमार धूमल ने कहा कि सरकार के इस बयान में भाजपा के हिमाचल विरोधी मानसिकता का जिक्र किया इससे लगता है बयान देने से पहले इतिहास के तथ्यों को समझा ही नहीं गया। इसी कारण तथ्यों के विपरीत यह ब्यान दिया गया है । देश की जनता को तथ्यों से अवगत करवाने के लिए यह आवश्यक है कि सारी बात विस्तार से लोगों के समक्ष लाई जाए।

By rohit nagpal Edited By: Nidhi Vinodiya Updated: Thu, 18 Jan 2024 12:30 AM (IST)
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बयान देने से पहले ऐतिहासिक तथ्यों को समझा ही नहीं, Prem Kumar Dhumal
जागरण संवाददाता, शिमला। पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने कहा कि सरकार के इस बयान को देखकर आश्चर्य हुआ । इसमें भाजपा के हिमाचल विरोधी मानसिकता का जिक्र किया, इससे लगता है बयान देने से पहले इतिहास के तथ्यों को समझा ही नहीं गया। इसी कारण तथ्यों के विपरीत यह ब्यान दिया गया है । देश की जनता को तथ्यों से अवगत करवाने के लिए यह आवश्यक है कि सारी बात विस्तार से लोगों के समक्ष लाई जाए। साथ ही कहा कि पहली नवंबर 1966 को पंजाब का पुनर्गठन हुआ। इसमें से हरियाणा नया राज्य बना और पहाड़ी क्षेत्र हिमाचल में सम्मलित हुआ। उस समय केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी । 

हर समय हिमाचल के हित में खड़ी हुई भाजपा

संसद में पारित किये गये कानून पंजाब पुनर्गठन अधिनियम, 1966 के तहत जितनी आबादी पुनर्गठन के आधार पर जिस प्रदेश में गई उतनी ही परिसंपत्तियां और देनदारियां उस राज्य को मिली। उस समय देश और तीनों प्रदेशों में कांग्रेस सत्ता में थी, दुख की बात है कि जब भाखड़ा बांध व अन्य परियोजनाओं का बंटवारा हो रहा था तब हिमाचल सरकार के मुख्यमंत्री या मंत्री किसी बैठक में शामिल नहीं हुये। इससे हिमाचल दावा कमजोर रहा। भाजपा ने ही बिजली परियोजनाओं में रॉयल्टी और हिमाचल के हिस्से का प्रश्न उठाया।

अपनी मांगों को लेकर हिमाचल से लेकर दिल्ली तक अधिकार यात्रा निकाली गई। जिसमें पंचायत समिति से लेकर संसद तक के प्रतिनिधि शामिल हुये । पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार विधायक दल के नेता थे । उनके नेतृत्व में अधिकार यात्रा निकली, मैं उस समय पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष था ।

धूमल ने कांग्रेस से पूछे सवाल

दिसम्बर 2012 में कांग्रेस सत्ता में आ गई। अब कांग्रेस सरकार बताये कि उन्होंने 4300 करोड़ का बकाया लेने के लिये 2012 से 2017 के बीच क्या कदम उठाये । वास्तव में यह तथ्य लोगों के सामने आयेंगे तो हिमाचल विरोधी मानसिकता किस की है यह स्पष्ट हो जायेगा। कांग्रेस सरकार ने अपना अधिकार और बकाया राशि लेने के लिए गंभीर प्रयास नहीं किये। सरकार के पास सारे रिकॉर्ड कानूनी लड़ाई से लेकर अन्य पत्राचार तक उपलब्ध हैं, पैसा तो संबंधित राज्यों से लेना था। इसमें यदि अपना पक्ष सही ढंग से रखा जाता तो निश्चित तौर पर प्रदेश को लाभ होता । दोषारोपण से कोई लाभ होने वाला नहीं है।

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