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Himachal News: जल प्रदूषण निवारण अधिनियम में संशोधन, हिमाचल बना केंद्र का साथ देने वाला पहला राज्य

जल प्रदूषण निवारण और नियंत्रण अधिनियम-1974 में संशोधन के लिए हिमाचल सरकार ने केंद्र सरकार का साथ दिया है और ऐसा करने वाला हिमाचल पहला राज्य बना है। हिमाचल के मुख्य सचिव ने मंगलवार को सहमति पत्र केंद्र सरकार को भेज दिया है और प्रदेश की सुक्खू सरकार केंद्र की मोदी सरकार द्वारा उठाए सुधारवादी कदम के लिए आगे आई है।

By Jagran News Edited By: Shoyeb AhmedUpdated: Wed, 03 Jan 2024 05:00 AM (IST)
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हिमाचल बना जल प्रदूषण निवारण अधिनियम में संशोधन करने को लेकर केंद्र का साथ देने वाला पहला राज्य (फाइल फोटो)

प्रकाश भारद्वाज, शिमला। जल प्रदूषण निवारण और नियंत्रण अधिनियम-1974 (Water Pollution Prevention and Control Act-1974) में संशोधन के लिए हिमाचल सरकार (Himahcal Govt) ने केंद्र सरकार (Central Govt) का साथ दिया है। अधिनियम में संशोधन के लिए दो राज्य सरकारों से प्रस्ताव पारित होना चाहिए।

हिमाचल पहला राज्य है, जिसने सहमति प्रस्ताव पारित कर केंद्र को भेजा है। हिमाचल के मुख्य सचिव ने मंगलवार को सहमति पत्र केंद्र सरकार को भेज दिया है। प्रदेश की सुक्खू सरकार केंद्र की मोदी सरकार द्वारा उठाए सुधारवादी कदम के लिए आगे आई है।

केंद्र सरकार ला सकती है संसोधन विधेयक

इस संबंध में प्रदेश सरकार ने विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान 22 दिसंबर को संकल्प पारित किया। उसके बाद प्रशासनिक औपचारिकताएं पूरी करते हुए सहमति पत्र भेज दिया है। अब केंद्र सरकार संसद के अगले सत्र में संशोधन विधेयक ला सकती है।

सजा का प्रविधान खत्म होगा, जुर्माना 15 लाख चुकाना पड़ेगा केंद्र सरकार चाहती है कि जल प्रदूषण पर सजा का प्रविधान खत्म किया जाएगा। इसके स्थान पर ऐसे उद्योगों पर जुर्माना राशि को बढ़ाया जाए। वर्तमान में जो उद्योग जल प्रदूषण में संलिप्त पाए जाते हैं, उन पर डेढ़ से छह साल तक की सजा का प्रविधान है।

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इतने जुर्माने का है प्रावधान

सजा के साथ-साथ जुर्माने का भी प्रविधान है। जुर्माने के पांच हजार रुपये नहीं चुकाने की स्थिति में तय अवधि के बाद प्रतिदिन पांच हजार के हिसाब से जुर्माना लेने की व्यवस्था है। अब केंद्र सरकार चाहती है कि सजा की व्यवस्था को खत्म कर जुर्माना राशि को बढ़ाकर न्यूनतम 10 हजार से अधिकतम 15 लाख रुपये किया जाए।

प्रदेश में अभी तक किसी को नहीं हुई सजा प्रदेश में भी उद्योगों पर इस तरह के मामले बनते रहे हैं। यहां पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा उद्योगों को नोटिस जारी होते हैं।

किसी को नहीं हुई सजा

विशेषकर राज्य के सबसे बड़े औद्योगिक क्षेत्र बद्दी, बरोटीवाला व नालागढ़ में सिरसा नदी को प्रदूषित करने पर कई बार कार्रवाई की गई है। इसमें उद्योगपतियों को भारी जुर्माना लगता है। यदि वह जुर्माना न दें तो उनको सजा का भी प्रविधान है, लेकिन अभी तक किसी को सजा नहीं हुई है।

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