Shimla News: जल उपकर आयोग के नाम से विद्युत कंपनियों को भेजे गए बिल, 31 दिसंबर तक जमा करने के दिए निर्देश
हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में जल उपकर आयोग के नाम पर विद्युत कंपनियों को बिल भेजे गए हैं। इसको लेकर निर्देश जारी किए गए हैं कि पहली किश्त का भुगतान 15 अक्टूबर से पहले करना है। इसके साथ ही भारत सरकार पहले ही हिमाचल सरकार को विद्युत परियोजनाओं पर लगाए जा रहे जल उपकर को अवैध और असंवैधानिक बता चुकी हैं।
राज्य ब्यूरो, शिमला: राज्य जल उपकर आयोग की ओर से विद्युत कंपनियों को बिल मिलने शुरू हो गए हैं। जिन विद्युत कंपनियों को पत्र मिले हैं, उनमें तीन किश्तों में जल उपकर का भुगतान करने के लिए कहा गया है। उपकर की पहली किश्त का भुगतान 15 अक्टूबर से पहले करना है और उसके बाद दो अन्य किश्तों का भुगतान 31 दिसंबर तक करना होगा। जल शक्ति विभाग के अधीक्षण अभियंता की ओर से उपकर चुकाने के संबंध में लिखकर दिया गया है। जबकि लेटर हेड राज्य जल उपकर आयोग का है।
अभी तक विद्युत कंपनियों से विद्युत उत्पादन करने के लिए उपयोग किए जा रहे पानी का डाटा मांगा गया था। इस संबंध में सभी विद्युत उत्पादक कंपनियों को पत्र भेजे जा रहे थे। अचानक ही आयोग के लेटर हेड पर जल उपकर चुकाने की समय सीमा निर्धारित कर दी गई है। गुरुवार को प्रदेश में विद्युत उत्पादन करने वाली कई कंपनियों को जल उपकर बिल का भुगतान करने के पत्र मिले हैं। इस तरह के बिल जल शक्ति विभाग की ओर से आधिकारिक मेल पर भेजे गए हैं।
भारत सरकार ने असंवैधानिक करार दिया
भारत सरकार के ऊर्जा मंत्रालय की ओर से प्रदेश सरकार को पत्र लिखा गया था, जिसमें हिमाचल सरकार द्वारा विद्युत परियोजनाओं पर लगाए जा रहे जल उपकर को अवैध और असंवैधानिक करार दिया गया था। इस संबंध में दो बार मुख्य सचिव को लिखित पत्र भेजा जा चुका है। ये पत्र देश के सभी राज्यों को दिए गए थे।
हाइड्रो डवेलपर एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेश शर्मा ने कहा कि वाटर सेस के नाम पर हमें सरकार की कोई दरें स्वीकार्य नहीं है। प्रदेश में 112 सूक्ष्म और लघु विद्युत परियोजनाएं हैं और सरकार इन छोटी विद्युत परियोजनाओं से कमीशन लेना चाहती है।