Himachal Assembly Session: 'जब आर्थिक संकट नहीं तो क्यों नहीं आ रहा वेतन', जयराम ठाकुर ने सुक्खू सरकार पर कसा तंज
हिमाचल की आर्थिक स्थिती को लेकर हिमाचल विधानसभा मानसून सेशन (Himachal Assembly Session) में नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू पर तंज कसा है। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि जब सीएम कहते हैं कि प्रदेश में आर्थिक संकट नहीं है तो आखिर कर्मचारियों का वेतन क्यों नहीं आ रहा है। उन्होंने कहा कि आज तक प्रदेश में ऐसी स्थिति नहीं आई थी।
जागरण संवाददाता, शिमला। हिमाचल विधानसभा मानसून सेशन (Himachal Assembly Session) में नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने सुक्खू सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि दो दिन से लोग वेतन की राह देख रहे हैं।
फोन के हर मैसेज यही सोचकर चेक करते है कि कहीं वेतन तो नहीं आया। अपने सहकर्मियों और अन्य विभागों के लोगों से फोन करके पूछ रहे हैं कि सैलरी आई क्या। आज तक प्रदेश में ऐसी स्थिति नहीं आई थी कि कर्मचारियों को वेतन के लिए तरसना पड़े।
'आर्थिक संकट नहीं है तो वेतन क्यों नहीं आ रहा?'
रविवार को सीएम सुक्खू ने कहा कि था कि प्रदेश में आर्थिक संकट नहीं है। हिमाचल को बस वित्तीय अनुशासन की जरूरत है और राज्य सरकार अर्थव्यवस्था को सुधारने की दिशा में कार्य कर रही है। हालांकि, सीएम के इस बयान को लेकर जयराम ठाकुर ने तंज कसते हुए कहा है कि प्रदेश के मुखिया कहते हैं कि कोई आर्थिक संकट नहीं हैं।यह भी पढ़ें: 'हिमाचल में नहीं है आर्थिक संकट', CM सुक्खू बोले- बस वित्तीय अनुशासन की है जरूरत
जब आर्थिक संकट नहीं है तो वेतन क्यों नहीं आ रहा है। सरकार को इस मामले में स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए कि कर्मचारियों का वेतन और पेंशनरों की पेंशन कब आएगी। कर्मचारियों के पास आय के कोई और साधन नहीं होते हैं, उन्हें वेतन से ही परिवार पालना होता है। ऐसे में बिना वेतन के परिवार कैसे पलेगा।
जब आर्थिक संकट नहीं है तो वेतन क्यों नहीं आ रहा है। सरकार को इस मामले में स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए कि कर्मचारियों का वेतन और पेंशनरों की पेंशन कब आएगी। कर्मचारियों के पास आय के कोई और साधन नहीं होते हैं, उन्हें वेतन से ही परिवार पालना होता है। ऐसे में बिना वेतन के परिवार कैसे पलेगा।
'राज्य सरकार के कर्मों की सजा भुगत रहे कर्मचारी'
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि कर्मचारी अपने वेतन से ही सारे खर्च वहन करता है। बच्चों की फीस, घर का किराया, होम लोन की किस्तें, पर्सनल लोन की किश्तों के साथ क्रेडिट कार्ड आदि की ईएमआई भी महीने के पहले सप्ताह में देनी होती हैं। घर का किराया से लेकर राशन, बिजली-पानी का खर्च भी महीने के पहले हफ्ते में ही देना पड़ता है।
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लोन की किस्तें न जमा कर पाना अपने आप में बड़ी आफत हैं। इसके कारण जुर्माना से लेकर वित्तीय शुल्क अलग से भरने पड़ते हैं। यह स्थिति किसी भी सूरते हाल में सही नहीं है कि कर्मचारी राज्य सरकार के कर्मों की सजा भुगते। मुख्यमंत्री प्रदेश के कर्मचारियों को बताएं कि कब तक कर्मचारियों का वेतन उनके खाते में आएगा।
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